Delhi Riots 2020 : दिल्ली दंगों के चार मुसलमानों की हत्या के आरोपियों को कोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार

Delhi Riots 2020 : जस्टिस सुब्रमण्यम ने कहा इस कोर्ट का कर्तव्य है कि वह इस बात के प्रति सचेत रहे कि क्या जमानत देने से जांच के संचालन में संभावित बाधा उत्पन्न हो सकती है....

Update: 2021-12-14 06:57 GMT

किसी वीआईपी के प्रभाव में ना आए पुलिस, बिना डरे जांच पूरी करें : दिल्ली हाईकोर्ट

Delhi Riots 2020 : उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों (Delhi Riots) में चार मुसलमानों की हत्या के आरोपियों अजय और शुभम को दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट (Delhi High Court) ने कहा कि यह आशंका है कि वे एकमात्र सार्वजनिक गवाह को धमकी दे सकते हैं।

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, जमानत न्यायशास्त्र एक आरोपी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सामाजिक सुरक्षा के बीच की खाई को पाटने का प्रयास करता है। यह किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सुरक्षित करने और यह सुनिश्चित करने के बीच जटिल संतुलन है कि यह स्वतंत्रता सार्वजनिक व्यवस्था की गड़बड़ी का कारण न बने।

जस्टिस सुब्रमण्यम ने कहा इस कोर्ट का कर्तव्य है कि वह इस बात के प्रति सचेत रहे कि क्या जमानत देने से जांच के संचालन में संभावित बाधा उत्पन्न हो सकती है।

आरोपी अजय ने दयालपुर थाने में धारा 147, 148, 149, 302, 120 बी, 34 के तहत दर्ज तीन अलग अलग एफआईआर के मामले मं जमानत याचिका दाखिल की थी। उन पर दंगों के दौरान बरामद किए गए चार शवों (जाकिर, मेहताब, अशफाक हुसैन, जमील के शव) के मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी। इन चारों की मौत का समय और स्थान अलग था इसलिए अलग-अलगे एफआईआर दर्ज की गईं।

वहीं शुभम ने अशफाक हुसैन नाम के एक व्यक्ति की मौत से संबंधित एक एफआईआर में जमानत याचिका दायर की थी। अजय की ओर से यह तर्क दिया गया कि पूरी जांच और एफआईआर धारा 161 सीआरपीसी के तहत दर्ज एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी के बयान पर आधारित थी। 

कोर्ट में प्रस्तुत किया गया कि उक्त बयान झूठा था जैसाकि इस तथ्य से संकेत मिलता है कि इसमें शामिल सभी अभियुक्तों को जानने के बावजूद, चश्मदीद अपने पीसीआर कॉल में उनमें से किसी एक का नाम लेने में विफल रहा जिसमें उसने उस घटना का वर्णन किया था जिसमें सभी चार पीड़ितों की मौत हुई थी। यह भी तर्क दिया गया कि अजय सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दे रहा था लेकिन उसकी उपस्थिति से केवल यह संकेत मिला कि वह अपने समुदाय के लोगों को भीड़ के हमले से बचाने की कोशिश कर रहा था।

दूसरी ओर अभियोजन पक्ष का यह मामला था कि सीसीटीवी फुटेज को पास की दुकान से प्राप्त किया गया था और एक विश्लेषण में संकेत मिला कि भीड़ ने तीन मुस्लिम लड़कों को पकड़ा था और उन्हें बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया था। इसके अलावा सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि अजय के पास तलवार थी और उसी के आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया था। 

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