Delhi Riots : दिल्ली दंगों को लेकर रिपोर्ट पेश न करने पर अदालत ने की DSP की जमकर खिंचाई, कार्रवाई की दी चेतावनी

Delhi Riots : अदालत ने कहा कि DSP से उनके हस्ताक्षरों वाला स्पष्टीकरण भारत सरकार के सचिव (गृह) के माध्यम से मांगा जाए कि पिछले आदेश के संदर्भ में रिपोर्ट प्रस्तुत न करने के लिए उनके खिलाफ कानून के अनुसार उचित कार्रवाई क्यों न की जाए।

Update: 2021-10-23 07:13 GMT

(दिल्ली दंगों के दौरान आगजनी की तस्वीर)

Delhi Riots 2020 : साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगों (Delhi Riots 2020) के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने रिपोर्ट पेश न करने पर दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना (DSP Rakesh Asthana) की जमकर खिंचाई की। अदालत ने उनसे स्पष्टीकरण मांगाहै कि उनके खिलाफ कानून के अनुसार उचित कार्रवाई क्यों न की जाए।

मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अरुण गर्ग (Justice Arun Kumar Garg) ने इस बात पर गौर किया था कि जांच अधिकारी और अभियोजक ने बहुत ही लापरवाह तरीके से स्थगन की मांग की थी और इसके बाद अदालत ने 25 सितंबर को पुलिस पर पांच हजार रुपे का जुर्माना लगाया था और पुलिस कमिश्नर को जांच करने का निर्देश दिया था।

आदेश के लगभग एक महीने के बाद 21 अक्टूबर को मजिस्ट्रेट ने पुलिस पर लगाए गए जुर्माने को माफ कर दिया था लेकिन इस पर ध्यान दिया कि कमिश्नर की ओर से कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है।

अदालत (Court) ने कहा कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर से उनके हस्ताक्षरों वाला स्पष्टीकरण भारत सरकार के सचिव (गृह) के माध्यम से मांगा जाए कि पिछले आदेश के संदर्भ में रिपोर्ट प्रस्तुत न करने के लिए उनके खिलाफ कानून के अनुसार उचित कार्रवाई क्यों न की जाए।

अदालत ने पुलिस आयुक्त और डीसीपी (नॉर्थ ईस्ट) को भी आगह किया कि अगर जांच अधिकारी दंगों के मामले में आदेशों के अनुपालन के लिए स्थगन की मांग करते हैं तो उनपर व्यक्तिगत रूप से जुर्माना लगाए जाने के लिए वह खुद जिम्मेदार होंगे।

इससे पहले अदालत ने पहले एक मामले में अदालत ने जुर्माना लगाया था जिसमें जांच अधिकारी को कोमल मिश्रा नाम के आरोपी को ई-चालान की एक कॉपी प्रदान करने का निर्देश दिया गया था। हालांकि आईओ ने अदालत को सूचित किया कि ई-चालान की प्रति आरोपी को नहीं दी जा सकती क्योंकि उसे अदालत के आदेश की जानकारी नहीं थी।   

वहीं दिल्ली दंगों के मामले में अदालत ने भड़काऊ भाषण और लोगों को हिंसा के लिए लिए उकसाने के आरोपी जेएनयू के छात्र शरजील इमाम को जमानत देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि भाषण सांप्रदायिक तर्ज पर दिया गया था और इसकी विषय वस्तु शांति और सद्भाव को कमजोर करने वाला प्रभाव डालने वाली है।   

पुलिस ने बताया कि शरजील ने 13 दिसंबर 2019 को कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था जिसके चलते दो दिन बाद देंग हुए थे जिसमें जामिया नगर इलाके में तीन हजार से अधिक लोगों की भीड़ ने पुलिस पर हमला कर दिया था और कई वाहनों को जला दिया था।

अदालत ने शरजील को जमानत देने से इनकार किया और कहा कि भाषण को सरकारी तौर पर पढ़ने से लगता है कि इसे स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक तर्जपर दिया गया था। उन्होंने कहा कि इस भाषण के लहजे और विषय वस्तु का सार्वजनिक शांति व सामाजिक सद्भाव को कमजोर करने वाला प्भाव है।

हालांकि अदालतने यह भी कहा कि इन आरोपों को साबित करने के लिए साक्ष्य अपर्याप्त हैं कि शरजील के भाषण से दंगाई भड़क गए और इसके बाद उन्होंने लूटपाट की, उपद्रव मचाया और पुलिस पर हमला किया।                                                                              

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