PM Poshan Scheme: दिल्ली में अनाज की कमी ने 27% बच्चों के मुंह से छीना पोषण का निवाला, बिहार में 38% को नहीं मिला मिड डे मील

PM Poshan Scheme: यह चौंकाने वाली बात केंद्र सरकार की मध्यान्ह भोजन योजना यानी पीएम पोषण (PM-POSHAN) के सर्वे में सामने आई है। सर्वे में बिहार फिर सबसे पिछड़ा रहा, जहां 38% बच्चों को मध्यान्ह भोजन का लाभ नहीं मिला।

Update: 2022-06-08 12:00 GMT

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PM Poshan Scheme: हाईटेक क्लास रूम और स्कूली ढांचे में बदलाव का दावा कर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) भले ही वाहवाही लूट लें, लेकिन उनके राज्य में सरकारी स्कूलों के पिछले वित्त वर्ष में 27% बच्चों के मुंह से पोषण का निवाला छीना गया है। यह चौंकाने वाली बात केंद्र सरकार की मध्यान्ह भोजन योजना यानी पीएम पोषण (PM-POSHAN) के सर्वे में सामने आई है। सर्वे में बिहार (Bihar) फिर सबसे पिछड़ा रहा, जहां 38% बच्चों को मध्यान्ह भोजन का लाभ नहीं मिला।

कोविड (Covid 19) की महामारी के दौरान मध्यान्ह भोजन योजना (Mid Day Meal Scheme) के कवरेज को लेकर किए गए इस राज्यव्यापी सर्वे में सामने आया है कि दिल्ली (Delhi) में योजना के कवरेज से बच्चों के बाहर रहने की खास वजह अनाज की कमी रही। लेकिन महाराष्ट्र, गोवा, लक्षद्वीप, पुड्डुचेरी जैसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश कवरेज के मामले में टॉप पर रहे, जहां 100% बच्चों को योजना के तहत मध्यान्ह भोजन या खाद्य सुरक्षा भत्ते का लाभ मिला।

ये राज्य पिछड़े

बिहार के अलावा तेलंगाना भी कवरेज के मामले में पिछड़ गया, जहां 25% बच्चों को योजना का लाभ नहीं मिला। वहीं मध्यप्रदेश, ओडिशा और नगालैंड में 99% बच्चों का कवरेज हुआ। अब केंद्र सरकार की ओर से बिहार को खासतौर पर कहा गया है कि पीएम पोषण कार्यक्रम में बच्चों का कवरेज बढ़ाया जाए। कोविड काल में जब लॉकडाउन (Covid Lockdown) के कारण स्कूल बंद रहे, तब योजना के तहत पंजीकृत 10.21 लाख से अधिक बच्चों को खाद्य सुरक्षा भत्ते उपलब्ध कराए गए थे। इनमें से 7.87 लाख बच्चे अपर प्राइमरी के हैं। देश में प्राइमरी के औसतन 73% बच्चों को और अपर प्राइमरी के भी इतने ही प्रतिशत बच्चों को भत्ते (Food Security Allowance) प्राप्त हुए हैं।

इसलिए पिछड़ा दिल्ली

दिल्ली सरकार ने केंद्र को सफाई पेश करते हुए कहा है कि पीएम पोषण कार्यक्रम के तहत 5.23 लाख से ज्यादा बच्चों ने अतिरिक्त रूप से सरकारी स्कूलों में नामांकन करवाया था। इससे योजना के लिए पंजीकृत बच्चों की संख्या अचानक बढ़ गई और अनाज की कमी के कारण सभी पंजीकृत बच्चों को कवरेज नहीं मिल पाया। इसके जवाब में केंद्र ने कहा है कि दिल्ली को अतिरिक्त बच्चों की संख्या को मंजूरी के लिए वित्त वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही तक भेज देना चाहिए था, जो नहीं भेजा गया। इससे इन सभी बच्चों को योजना के लिए पंजीकृत करने में आसानी होती।

दिल्ली के स्कूलों में किचन गार्डन नहीं

दिल्ली के 3055 स्कूलों में से केवल 430 में ही किचन गार्डन (Kitchen Garden) हैं, क्योंकि बाकी स्कूलों में जगह की कमी है। अब केंद्र ने केजरीवाल सरकार को स्कूलों में किचन गार्डन की सुविधा बढ़ाने को कहा है। इस बीच, दिल्ली सरकार के प्रवक्ता का कहना है कि स्कूलों के खुलने में अनिश्चितता के कारण सारी गड़बड़ हुई और सरकार अनाज की जरूरत का वास्तविक अनुमान आखिरी तिमाही तक ही भेज सकी। ऐसे में लेट-लतीफी का केंद्र सरकार का आरोप सही नहीं है।

पीएम पोषण के कवरेज के राज्यव्यापी आंकड़े



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