देश के 257 थानों में वाहन तो 638 में फोन तक नहीं, संसदीय समिति ने की केंद्र से सख्त कदम उठाने की सिफारिश

Parliamentary Committee : गृह मंत्रालय ऐसे राज्यों को सलाह दे सकता है कि उनके थानों में पर्याप्त वाहन और संचार उपकरणों की व्यवस्था की जाए। ऐसा न करने पर केंद्र आधुनिकीकरण के लिए अनुदान जारी न करे।

Update: 2022-02-11 03:07 GMT

parliamentary committees : संसदीय समितियों में बड़ा फेरबदल, कांग्रेस ने कई पैनल की अध्यक्षता गंवाईं, TMC के पास कोई पद नहीं

Parliamentary Committee : आजादी के 75वें साल में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में एक तरफ देशभर में अमृत महोत्सव मनाने का सिलसिला जा रही है तो दूसरी तरफ देश के सैकड़ों थानों में अभी तक वाहन व टेलीफोन तक नहीं हैं। चिंता की बात यह है कि इनमें से अधिकतर थाने सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित हैं। इस बात का खुलासा कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा की अध्यक्षता में गठित संसद की स्थायी समिति ( Parliamentary Committee ) ने की है।

संसद में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में संसदीय समिति ने कहा है कि देश में 257 थानों में वाहन नहीं हैं और 638 में टेलीफोन नहीं हैं। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ( Anand Sharma ) की अध्यक्षता वाली गृह मंत्रालय ( Union Home Ministry )  संबंधी स्थायी समिति ने कहा कि एक जनवरी, 2020 की स्थिति के मुताबिक देश में 16,833 थानों में से 257 थानों में वाहन नहीं हैं। 638 थानों में टेलीफोन नहीं है और 143 थानों में वायरलैस या मोबाइल फोन नहीं हैं।

संसदीय समिति ने इस स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि उसकी राय है कि आधुनिक पुलिस प्रणाली में सुदृढ़ संचार समर्थन, अत्याधुनिक उपकरण और त्वरित कार्रवाई के लिए अत्यधिक गतिशीलता जरूरी है। 21वीं सदी में भी भारत में खासकर अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और पंजाब जैसे अनेक संवेदनशील राज्यों में थाने बिना टेलीफोन या उचित वायरलैस कनेक्टिविटी के हैं। जबकि इनमें से कुछ राज्यों को 2018-19 में बेहतर प्रदर्शन प्रोत्साहन के लिए सम्मानित किया गया है।

संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जम्मू कश्मीर जैसे बहुत संवेदनशील सीमावर्ती केंद्रशासित प्रदेश में भी ऐसे थाने बड़ी संख्या में हैं, जिनमें टेलीफोन और वायरलेस सेट नहीं हैं।

आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली समिति ने सिफारिश की है कि गृह मंत्रालय ऐसे राज्यों को सलाह दे सकता है कि उनके थानों में पर्याप्त वाहन और संचार उपकरणों की व्यवस्था की जाए। अन्यथा केंद्र से आधुनिकीकरण के लिए अनुदानों को हतोत्साहित किया जा सकता है। केंद्र शासित प्रदेशों के लिए गृह मंत्रालय यह सुनिश्चित कर सकता है कि जल्द से जल्द आवश्यक कदम उठाये जाएं।

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