Divya Pharmacy : बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी ने किया ड्रग कानूनों का उल्लंघन, शिकायत के बाद तीन दवाओं का प्रचार किया बंद

Divya Pharmacy : नेत्र विशेषज्ञ बाबू ने दिव्य फार्मेसी की ओर से किए जा रहे प्रचार को लेकर पत्र में लिखा था कि देहरादून की दिव्य फार्मेसी की ओर से एक विज्ञापन चलाया जा रहा है....

Update: 2022-06-13 05:32 GMT

Divya Pharmacy : बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी ने किया ड्रग कानूनों का उल्लंघन, शिकायत के बाद तीन दवाओं का प्रचार किया बंद

Divya Pharmacy : ड्रग कानूनों का उल्लंघन करन करने की शिकायतों के कारण पतंजलि समूह (Patanjali Ayurved) की आयुर्वेदिक दवाई बनाने वाली कंपनी दिव्य फार्मेसी (Divya Pharmacy) ने हार्ट और लीवर से जुड़ी दवाओं का प्रचार बंद करने का फैसला लिया है। दरअसल केरल के एक नेत्र विशेषज्ञ ने केंद्रीय आयुष मंत्रालय से इसकी शिकायत की थी।

नेत्र विशेषज्ञ बाबू ने दिव्य फार्मेसी (Divya Pharmacy) की ओर से किए जा रहे प्रचार को लेकर पत्र में लिखा कि देहरादून की दिव्य फार्मेसी की ओर से एक विज्ञापन चलाया जा रहा है। जिसमें दावा किया गया है कि उसकी दवाई लिपिडोम लेने के बाद एक हफ्ते में ही कोलेस्ट्रोल कंट्रोल में आ जाता है और यह लोगों को हृदय की समस्या से और उच्च रक्तचाप से बचाता है।

पत्र में उन्होंने आगे लिखा कि कंपनी का ये विज्ञापन ड्रग और मैजिक रेमेडीज एक्ट का उल्लंघन है, जिसमें साफ तौर पर लिखा हुआ है कि कोई भी कंपनी स्वस्थ्य समस्याओं के उपचार से जुड़ा विज्ञापन नहीं चला सकती है, इसमें हृदय रोग और उच्च रक्तचाप भी शामिल हैं।

दिव्य फार्मेसी के विज्ञापन (Divya Pharmacy Advertisement) के खिलाफ शिकायत मिलने पर केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने उत्तराखंड प्रशासन को उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए। नेत्र विशेषज्ञ की शिकायत के आधार पर उत्तराखंड सरकार ने कंपनी को नोटिस भेज दिया है।

सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के मुताबिक बाबू ने बताया कि उत्तराखंड आयुर्वेदिक और यूनानी विभाग से मिले नोटिस का कंपनी ने जवाब दिया कि वह तत्काल प्रभाव से अपने विज्ञापन पर रोक लगा रही है। उन्होंने आगे कहा, लोग भ्रामक विज्ञापन देखने के बाद कुछ उत्पाद खरीद रहे हैं और उन्हें यह पता भी नहीं होता कि विज्ञापन भ्रामक था।

केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने इस साल की शुरुआत में संसद को बताया था कि भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ शिकायतों को दर्ज करने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा बनाए गए पोर्टल पर अप्रैल 2014 और जुलाई 2021 के बीच भ्रामक आयुष उत्पादों और सेवाओं के जुड़े 1416 मामले दर्ज किए गए हैं।

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