Diwali 2021 : फीकी होगी गरीबों की दीवाली, 500 से 2000 रुपये प्रति किलो बिक रही मिठाईयां

Diwali 2021 : दिवाली में मिठाइयों की खास अहमियत है। माना जाता है कि मिठाइयों के बिना दिवाली का त्यौहार फीका है लेकिन मिठाइयों के महंगे दाम गरीब तबकों के पहुंच के बाहर है।

Update: 2021-11-02 11:57 GMT

(कमरतोड़ महंगाई में गरीबों की दिवाली रहेगी फीकी)

Diwali 2021 : दिवाली का त्यौहार पास आ गया है। चारों तरफ हर्सोउल्लास का माहौल नजर आ रहा है। दिवाली दीपों और मिठाइयों का त्यौहार (Diwali Festivel) है। लेकिन इस दिवाली में मिठाई हर घर नहीं पहुंचेगी। गरीब तबके के लोग मिठाइयों का स्वाद चखने से वंछित रह जाएंगे।  साधारण 1 किलो मिठाई का दाम 500 रुपए से भी ज्यादा है। वहीं बात करें घी से बनी मिठाइयों की तो बाजार में 700 रुपए प्रति किलो से इसकी शुरुआत होती है। दिवाली में लोग आपस में मिठाईयों का आदान-प्रदान करते है लेकिन मिठाइयों के इन भावों को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि साधारण जीवन जीने वाले परिवार, जिसकी मासिक आय से किसी तरह घर का खर्च चलता है उनके लिए यह मिठाई खरीदना मुश्किल है।

महंगाई की मार

भारत में महंगाई (Inflation) लगातार बढ़ती जा रही है। खाने पीने की चीजों से लेकर ब्यूटी प्रोडक्ट्स तक सब महंगे हो रहे हैं। पेट्रोल, डीजल और गैस सिलेंडर (LPG) के लगातार बढ़ते हुए दामों के कारण कमरतोड़ महंगाई हो रही है। पेट्रोल-डीजल के दाम तो रोज नया रिकॉर्ड बना रहे हैं। ऐसे में आयात निर्यात पर भी असर पड़ रहा है। आयात-निर्यात में होने वाले ज्यादा खर्च के कारण तेल, घी समेत अन्य सामग्रियों के दामों में भी बढ़ोत्तरी हुई है जिसके कारण व्यापारियों की लागत अधिक लगती है और वे लोग महंगे दामों में सामानों की बिक्री करते हैं। मिठाई बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों की खपत में अधिक लागत लगती है। इसके साथ ही दिवाली में मिठाइयों की स्पेशल पैकेजिंग का अलग चार्ज लगा के सभी मिठाई विक्रेता दुकानों पर ज्यादा दामों में मिठाई बेचते हैं।

दिवाली में मिठाई के दाम

दिवाली में मिठाइयों की खास अहमियत है। माना जाता है कि मिठाइयों के बिना दिवाली का त्यौहार फीका है लेकिन मिठाइयों के महंगे दाम गरीब तबकों के पहुंच के बाहर है। भारतीय बजारों में अच्छी गुणवत्ता वाली मिठाइयों के दामों की शुरुआत ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यमों में लगभग 1000 रुपए से है।

इनमें मिठाइयों के लिए कई नामचीन कंपनिया शामिल हैं। बात करें फेमस भारतीय मिठाई और स्नेक्स निर्माता कंपनी हल्दीराम के बारे में तो पाएंगे कि इस ब्रांड की मिठाइयों के रेट 500 रुपए से शुरू हैं। इसके अलावा 'दिवाली स्पेशल स्वीट्स विद गिफ्ट पैकेजिंग' में आने वाली मिठाइयों के दाम 2000 से 25 हजार के बीच है।

बात करें बीकाजी और बिकानो ब्रांड कि तो यहां भी 1 किलो मिठाइयों के शुरुआती दाम 500 और 550 हैं। दिवाली स्पेशल मिठाई के दाम तो आसमान छू रहे हैं। इन मिठाइयों के दाम 1500 से 2550 रुपये तक है।

इतने महंगे दामों पर मिठाई खरीदना आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लोगों के लिए मुश्किल है। दिवाली में सड़कों और फुटपाथ पर लगी मिठाइयों के स्टॉल पर भी ऊंचे दामों में मिठाई मिलती है। यदि कम दामों में मिठाई मिलती है तो उसकी गुणवत्ता खराब होती है। साथ ही वह मिलावटी मिठाई होती है।

67 प्रतिशत भारतियों की मासिक आय 10000

सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च और गौरी ट्रस्ट के साथ मिलकर अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी ने 2020 एक विस्तृत सर्वे किया। यह सर्वे भारत में लोगों की मासिक आय और जीवन निर्वाह के तरीकों पर किया गया था। अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के सर्वे के अनुसार भारत में 67 प्रतिशत लोगों की मासिक आय 10000 रुपए है। केवल दस हजार रुपए में भारत के 67 प्रतिशत परिवार गुजारा करते हैं। ऐसे में दिवाली और अन्य त्योहारों में महंगी मिठाई कैसे खरीदेंगे। गरीब तबके के लोग फीकी दिवाली मानाने को मजबूर है।

भारत में 68.9 करोड़ व्यक्ति गरीब है। अमर उजाला में छपी रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2020 में हुए सर्वे के मुताबिक 22 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन निर्वाह कर रही है। ऐसे में गरीब परिवारों के लिए लगातार बढ़ती महंगाई में जरुरत का सामान और दिवाली में महंगी मिठाई खरीदना उनकी एक दिन की आय के बराबर है।

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