Amnesty और उसके पूर्व प्रमुख आकार पटेल पर ED ने लगाया 61 करोड़ का जुर्माना, FEMA के उल्लंघन का है गंभीर आरोप

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया (Amnesty International India ), एमनेस्टी इंटरनेशनल नेटवर्क की भारतीय इकाई है। यह मानवाधिकारों और गरिमा को बढ़ावा देने और बचाव करने वाले एक वैश्विक आंदोलन का हिस्सा है।

Update: 2022-07-09 04:53 GMT

Amnesty और उसके पूर्व प्रमुख आकार पटेल पर ED ने लगाया 61 करोड़ का जुर्माना, FEMA के उल्लंघन का है गंभीर आरोप

नई दिल्ली। एमनेस्टी इंडिया (Amnesty International India ) के बारे में मिली शिकायत की जांच के बाद प्रवर्तन निदेशालय ( Enforcement Directorate ) ने मानव अधिकार के क्षेत्र में कार्यरत एमनेस्टी इंटरनेशनल नेटवर्क की भारतीय इकाई पर भारी जुर्माना लगाया है। ईडी ( ED ) ने एमनेस्टी इंडिया और उसके पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी आकार पटेल पर 61 करोड़ रुपए से अधिक का जुर्माना लगाया है।

प्रवर्तन निदेशलय ने विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंधन अधिनियम ( FEMA) के तहत एमनेस्टी इंडिया पर 51.72 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। वहीं अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के तत्कालीन प्रमुख पर 10 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। ईडी ( ED ) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों को जुर्माने के संबंध में नोटिस भेजा गया है।

ईडी ने यह कदम एमनेस्टी इंडिया के बारे में मिली शिकायत की पड़ताल के बाद उठाया है। ईडी के विशेष निदेशक स्तर के फेमा अधिकारी ने इस मामले की जांच की है। जांच के दौरान एआईएल के सभी दावे गलत पाये गए हैं। साथ ही एआई को फेमा नियमों के उल्लंघन का दोषी भी करार दिया गया है।

AI पर लगे हैं फेमा नियमों के उल्लंघन का आरोप

प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया है कि ब्रिटेन स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल ने नवंबर 2013 से जून 2018 के बीच अपनी भारतीय इकाई एमनेस्टी इंडिया इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड ( AIIPL) को बड़ी मात्रा में विदेशी अंशदान कारोबारी गतिविधियों के लिए भेजा था। ऐसा करना विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (FCRA ) से बचने का तरीका था। इस बारे में शिकायत मिली थी कि ब्रिटेन स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल अपनी भारतीय इकाइयों के जरिए बड़ी मात्रा में विदेशी अंशदान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मार्ग से भेजती रही है। शिकायत के मुताबिक एमनेस्टी ने भारत में अपनी एनजीओ गतिविधियों को वित्त मुहैया कराने के लिए ऐसा किया।

एआई ने एफसीआरए से बचने के लिए किया गैर कानूनी काम

एुईडी का दावा है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट (AIIFT) और अन्य ट्रस्ट को एफसीआरए के तहत पूर्व-पंजीकरण या मंजूरी देने से गृह मंत्रालय के 'इनकार'के बावजूद एमनेस्टी इंटरनेशनल ने विदेशी धन भेजने के लिए एफडीआई ( FDI) का इस्तेमाल किया। नवंबर 2013 से लेकर जून 2018 के दौरान एमनेस्टी इंडिया ( AI ) को विदेश से मिली राशि को कारोबार एवं प्रबंधन सलाह के साथ जनसंपर्क सेवाओं के एवज में मिले शुल्क के तौर पर दिखाया गया लेकिन यह विदेशी अंशदाता से ली गई उधारी के अलावा कुछ नहीं है। ईडी का कहना है कि एआईएल ( AIL ) का गठन सामाजिक कार्यों के मकसद से किया गया था लेकिन एआईआईपीएल ( AIIPL ) ऐसी कई गतिविधियों में लिप्त रहा है जो उसके घोषित वाणिज्यिक कार्यों से मेल नहीं खाता। एफसीआर की निगाह से बचने के लिए कारोबारी गतिविधियों के नाम पर विदेशी फंड को भारत भेजने का काम किया गया है।

आकार पटेल ने दिया ये जवाब

इसके जवाब में जुर्माने का नोटिस भेजे जाने पर आकार पटेल (Akar Patel ) ने एक ट्वीट में कहा कि ईडी ( ED ) सरकार है, न्यायपालिका नहीं। हम न्यायालय ( Court ) में इसका मुकाबला करेंगे और जीत हासिल करेंगे।

क्या है AII?

दरअसल, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया, एमनेस्टी इंटरनेशनल नेटवर्क की भारतीय इकाई हैं यह मानवाधिकारों और गरिमा को बढ़ावा देने और बचाव करने वाले एक वैश्विक आंदोलन का हिस्सा है। सितंबर 2020 में एमनेस्टी ने संगठन के सभी बैंक खातों के फ्रीज होने के बाद देश में अपना परिचालन रोक दिया थां भारत में पहली बार 1966 में एक एमनेस्टी इंटरनेशनल का कार्यालय बिहार में स्थापित किया गया थां तब से संगठन ने हिरासत में यातना, अंतरात्मा के कैदियों, अपमानजनक कानूनों, महिलाओं के अधिकारों, कॉर्पोरेट जवाबदेही और अन्य मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित मामलों पर काम करता था। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ( AII) हमेशा सरकारों के निशाने पर रहा है। मानवाधिकारों को लेकर एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने सत्तारूढ सरकारों की आलोचना की है, जिसकी वजह से इस संगठन और सरकारों के बीच आपस में ठनी रहती है।

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