पेगासस जासूसी मामला : एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने किया सुप्रीम कोर्ट का रूख, SIT जांच की मांग

याचिका में इस बात की भी मांग की गई है कि निगरानी के लिए स्पाइवेयर लगाने के लिए विदेशी कंपनियों के साथ किए गए कॉट्रेक्टस के मामले में केंद्र सरकार को पूरी जानकारी बताने के लिए निर्देश जारी किए जाएं और उन लोगों की डिटेल्स दी जाएं जिनके खिलाफ इस तरह के स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया गया....

Update: 2021-08-04 06:30 GMT

(याचिका में कहा गया कि प्रतिवादियों ने जानबूझकर इस मुद्दे पर सार्वजनिक बहस से परहेज किया और अस्पष्ट उत्तर प्रदान किए गए)

जनज्वार। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पेगासस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कोर्ट की निगरानी में एसआईटी के द्वारा पेगासस जासूसी मामले की जांच की मांग की गई है। बता दें कि सरकारी एजेंसियों पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, राजनेताओं आदि की कथित तौर पर पेगासस स्पाईवेयर से जासूसी की है।

गिल्ड ने अपनी याचिका में कहा कि प्रेस की आजादी को बनाए रखने के लिए सरकार और उसकी एजेंसियां के हस्तक्षेप पर रोक लगाना जरूरी है। पत्रकारों की रिपोर्टिंग गैर-हस्तक्षेप पर निर्भर करती है जिसमें स्त्रोतों के साथ सुरक्षित व स्वतंत्र रूप से बोलने, सत्ता के दुरूपयोग और भ्रष्टाचार की जांच करने, सरकारी अक्षमता को उजागर करने व विरोध करने वालों के साथ बोलने की उसकी क्षमता भी शामिल है।

याचिका में इस बात की भी मांग की गई है कि निगरानी के लिए स्पाइवेयर लगाने के लिए विदेशी कंपनियों के साथ किए गए कॉट्रेक्टस के मामले में केंद्र सरकार को पूरी जानकारी बताने के लिए निर्देश जारी किए जाएं और उन लोगों की डिटेल्स दी जाएं जिनके खिलाफ इस तरह के स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया गया।

कानूनी मामलों की समाचार वेबसाइट लाइव लॉ के मुताबिक यह याचिका अधिवक्ता, रूपाली सैमुअल, राघव तन्खा और लजपीर अहमद के जरिए दायर की गई है। जनहित याचिका में कहा गया है कि देश के नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि क्या कार्यकारी सरकार संविधान के तहत अपने अधिकार की सीमाओं का उल्लंघन कर रही है और मौलिक अधिकारों के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। संसदीय प्रक्रियाओं के जरिए जवाबदेही बनाने और संवैधानिक सीमाओं को लागू करने के सभी प्रयास किए गए हैं।

याचिका में कहा गया कि प्रतिवादियों (सरकार) ने जानबूझकर इस मुद्दे पर सार्वजनिक बहस से परहेज किया और अस्पष्ट उत्तर प्रदान किए हैं जिससे याचिकाकर्ता को जनता की ट्रस्टी के रूप में और भारत के सभी नागरिकों की ओर से दायित्वों के प्रदर्शन में जनता के जानने के अधिकार को लागू करने के लिए इस न्यायालय से संपर्क करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

पेगासस विवाद में न्यायिक जांच की मांग वाली याचिका पर सीजेआई के नेतृत्व वाली बेंच 5 अगस्त को विचार करेगी। इससे पहले पेगासस जासूसी की सूची में कथित तौर पर शामिल होने वाले पांच पत्रकारों ने भी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

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