'गोरखपुर में गुंडाराज' : काजल सिंह की हत्या के आठ दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली, सोशल मीडिया पर उठी न्याय की मांग
घटना के छह दिन बाद भी काजल के पेट से गोली नहीं निकाली जा सकी थी। बुधवार 25 अगस्त की सुबह उसकी मौत हो गई थी....
जनज्वार। उत्तर प्रदेश के गोरखुपर (Gorakhpur) जिले में 21 अगस्त की रात बदमाशों ने इसलिए एक छात्रा की गोली मारकर हत्या कर दी थी क्योंकि उसने पिता की पिटाई का वीडियो बना लिया था। घटना के पांच दिन बाद छात्रा की लखनऊ के केजीएमसी में मौत हो गई थी। वहीं आठ दिन से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं। पुलिस की ओर से हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए पच्चीस-पच्चीस हजार का ईनाम घोषित किया गया है।
खबरों के मुताबिक यह पूरा मामला गोरखपुर के गगहा इलाके के जगदीशपुर भलुवान गांव का है। राजीव नयन सिंह का कथित तौर पर अपने ही गांव के शातिर अपराधी विजय प्रजापति के साथ पैसे के लेन-देन को लेकर विवाद था। 21 अगस्त की रात करीब साढ़े ग्यारह बजे विजय प्रजापति, राजीव नयन सिंह के घर में घुसा और उन्हें मारने लगा। मारपीट देखकर सोलह वर्षीय बेटी काजल सिंह (Kajal Singh) घर से बाहर निकल आई और अपने पिता को पिटता देख मोबाइल से वीडियो बनाने लगी। इससे विजय और बौंखला गया और उसने काजल के पेट में मार दी थी और उसका मोबाइल छीनकर अपने साथियों के संग फरार हो गया।
काजल को उपचार के लिए गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज में भर्तीय गया लेकिन हालत नाजुक होते देख डॉक्टरों ने उसे केजीएमसी लखनऊ रेफर कर दिया था। घटना के छह दिन बाद भी काजल के पेट से गोली नहीं निकाली जा सकी थी। बुधवार 25 अगस्त की सुबह उसकी मौत हो गई। वहीं सोशल मीडिया पर अब काजल के हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की जा रही है। ट्विटर पर "जस्टिस फॉर काजल'' हैशटैग के साथ कई यूजर्स हत्यारों को कड़ी सजा दिलाने की मांग कर रहे हैं।
राठौर साहब नाम का ट्वीटर यूजर लिखते हैं, "कहाँ मर गए वो नेता जो कहते थे कि यूपी में ठाकुरों की सरकार है...?? हमें अपनी बहन काजल सिंह के लिए न्याय चाहिए..।"
अजीत सिंह लिखते हैं, "इतनी गंभीर घटना पर भी उत्तर प्रदेश के तमाम बड़े नेताओं ने चुप्पी साध रखी है, अगर यहां किसी और समाज की बेटी होती तो अब तक दोगला मीडिया से सब आकर रोने लगते।"
जालम सिंह चांपावत नाम के यूजर लिखते हैं, "बेटी बचाओ सिर्फ नारा रह गया है केवल राजनीति करने के लिए ..।।"
रिशु सिंह नाम का ट्विटर हैंडल लिखता है, "भारत में आम व्यक्ति का जीवन इतना बेकार लगता है कि लोगों में कानून को अपने हाथ में लेने, दूसरों को पीटने और परिणाम के डर के बिना एक छोटे बच्चे को मारने का दुस्साहस है। यह कैसी व्यवस्था है?"
सौरभ प्रताप सिंह लिखते हैं, "हमारी बेटी, बहन और मां को कब लगेगा कि वे सुरक्षित हैं। यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, मुझे कहना होगा कि पार्टी लाइन के सभी राजनीतिक दल आगे आएं और समर्थन करें, ताकि हमें जल्द से जल्द न्याय मिल सके।"
अंश बेस नाम के यूजर लिखते हैं, "पीड़ित को न्याय दिलाने में भी सरकार और प्रशासन पीड़ित की जाति को क्यों देखते हैं ?"