LPG Gas Cylinder Price Hike : एक साल में घरेलू गैस सिलेंडर हुआ 218 रुपए महंगा, जनता पर पड़ी महंगाई की मार और मोदी सरकार मालामाल
LPG Gas Cylinder Price Hike : केंद्र सरकार ने 2020-21 में एलपीजी सब्सिडी के तौर पर 11 हजार 896 करोड़ रुपए खर्च किए थे, यह आंकड़ा 2021-22 में घटकर सिर्फ 242 करोड़ रुपए हो गया है...
LPG Gas Cylinder Price Hike : दिल्ली में घरेलू गैस सिलेंडरों की कीमत 23 जुलाई 2021 को 834.50 रुपए थी, जो अब 1053 रुपए हो गई है। इस साल के दौरान घरेलू गैस सिलेंडरों के दामों में 218.50 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। पहले जो गैस सिलेंडर पर सब्सिडी मिलती थी सरकार उसे भी अब धीरे-धीरे खत्म कर रही है। लगातार घरेलू गैस सिलेंडरों के दाम बढ़ने से आम जनता परेशान है वही सब्सिडी में कटौती पर सरकारी खजाने में करोड़ों रुपए जमा हो गए हैं।
मोदी सरकार ने बचाए करोड़ों रुपए
केंद्र सरकार ने 2020-21 में एलपीजी सब्सिडी के तौर पर 11 हजार 896 करोड़ रुपए खर्च किए थे। यह आंकड़ा 2021-22 में घटकर सिर्फ 242 करोड़ रुपए हो गया है। सरकार ने सब्सिडी को खत्म कर दिया और इसी तरह सिर्फ एक साल में ही 11,654 करोड रुपए बचा लिए।
लाभार्थियों के बैंक खाते में आती है सब्सिडी
सरकार ने फैसला लिया है की अब जून 2020 से सिर्फ प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को ही गैस सिलेंडर पर सब्सिडी दी जाएगी। अब सरकार की तरफ से सब्सिडी पाने वाले लोगों की संख्या काफी कम हो जाएगी। उज्जवला योजना का लाभ लेने वालों को सरकार की तरफ से एक साल में 12 गैस सिलेंडर लेने तक 200 हर सिलेंडर पर सब्सिडी मिलती है। यह सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में आती है।
सामर्थ्यवान हो वह अपनी सब्सिडी छोड़ें
पेट्रोलियम मंत्रालय की माने तो वित्तीय वर्ष 2017-18 एलपीजी पर मिलने वाली सब्सिडी पर सरकार ने 23 हजार 464 करोड़ रुपए खर्च किए। वही 2018-19 वित वर्ष में यह संख्या 37 हजार 209 करोड़ रुपए पर पहुंची। जब सरकार पर इसका भार बढ़ने लगा तो उसने लोगों से अपील की कि जो सामर्थ्यवान हो वह अपनी सब्सिडी छोड़ें सरकार की अपील पर करोड़ों लोगों ने अपनी सब्सिडी छोड़ दी थी।
खर्च पर देखी गई 50% से ज्यादा की गिरावट
इसके बाद वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार का खर्च घट गया और 24 हजार 172 करोड़ पर आ गया। इसके अगले वित्तीय वर्ष 2020-21 में यह खर्च घटकर 11,896 करोड़ रुपए रह गया। वित्तीय वर्ष 2019-20 से लेकर 2020-21 तक खर्च पर करीब 50% से ज्यादा की गिरावट देखी गई। यह सिलसिला आगे भी चलता रहा और वित्तीय वर्ष 2021-22 में सब्सिडी पर खर्च घटकर महज 242 करोड़ रुपए रह गया है।