कश्मीर : 'हिरासत में पीट-पीटकर मार डालने' के मामले में किशोर के परिजनों को 11 साल बाद भी न्याय का इंतजार

कयूम के परिजनों ने कहा कि मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के 3 साल और अदालत में न्याय के लिए 8 साल की लड़ाई के बाद भी पुलिस ने मामले में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है.....

Update: 2021-08-28 11:39 GMT

(श्रीनगर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) के निर्देश पर 2018 में एफआईआर दर्ज की गई थी।)

श्रीनगर से फैजान मीर की रिपोर्ट

जनज्वार। 2010 के नागरिक विद्रोह में मारे गए किशोरों में से एक के परिवार ने उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने की मांग की है, जिन्होंने श्रीनगर के एक अस्पताल में उनके बेटे को हिरासत में कथित रूप से प्रताड़ित किया और उसकी मौत हो गई।

अगस्त 2010 में श्रीनगर के सौरा पुलिस स्टेशन में सत्रह वर्षीय उमर कयूम की श्रीनगर के एसकेआईएमएस अस्पताल में उस वक्त मौत हो गई थी, जब कथित तौर पर उसके गुप्तांगों को "हिरासत के दौरान पुलिस द्वारा पीटने के बाद" क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। वह स्थानीय दुकानदार और तीन बेटियों के पिता अब्दुल कयूम भट का इकलौता बेटा था।

'जनज्वार' को अस्पताल से मिले रिकॉर्ड के अनुसार, 25 अगस्त 2010 को 'सौरा पुलिस स्टेशन द्वारा हिरासत से रिहा किए जाने के चार दिन बाद' कयूम ने अस्पताल में दम तोड़ दिया था।

2011 में परिवार ने अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर कर उसकी मौत की प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी जिसमें उन्होंने उल्लेख किया था कि कयूम को सौरा के पुलिस स्टेशन के कर्मियों ने गिरफ्तार किया था और बेरहमी से पीटा गया था।

श्रीनगर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) के निर्देश पर 2018 में एफआईआर दर्ज की गई थी। तीन साल बीत जाने के बाद कयूब के परिजनों ने ग्यारहवीं पुण्यतिथि पर श्रीनगर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और आरोप पत्र दाखिल करने की मांग की। पुलिस मामले में अबतक चार्जशीट दाखिल करने में असफल रही है।

'जनज्वार' को मिली एफआईआर की कॉपी के मुताबिक 9 सितंबर 2018 को सीजेएम के निर्देश पर पुलिस स्टेशन सौरा में धारा 302, एफआईआर संख्या 97 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

कयूम के परिजनों ने कहा, 'मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के 3 साल और अदालत में न्याय के लिए 8 साल की लड़ाई के बाद भी पुलिस ने मामले में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है।'

अगस्त 2018 में सीजेएम ने पुलिस को राजपत्रित अधिकारी की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल का गठन करने का निर्देश दिया था, जिसमें कम से कम तीन अधिकारी शामिल थे, जो जांच को तुरंत बंद कर दें। आदेश में आगे लिखा गया है, "वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उक्त जांच की निगरानी करेंगे जैसा कि तत्काल मामले में पारित पिछले आदेश में किया गया था।"

अगस्त 2018 में सीजेएम ने पुलिस को राजपत्रित अधिकारी की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल का गठन करने का निर्देश दिया था, जिसमें कम से कम तीन अधिकारी शामिल थे, जो जांच को तुरंत बंद कर दें। आदेश में आगे लिखा गया है, "वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उक्त जांच की निगरानी करेंगे जैसा कि तत्काल मामले में पारित पिछले आदेश में किया गया था।"

कयूम की बहन उर्जीबा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब मांगते हुए कहा, ''मैं प्रधानमंत्री मोदी से पूछना चाहती हूं कि 2019 में किसने कहा था कि नया कश्मीर होगा। मैं उनसे पूछना चाहती हूं कि नया कश्मीर कहां है? क्या नया कश्मीर में एफआईआर दर्ज करने में 8 साल और चार्जशीट दाखिल करने में 3 साल लगते हैं? क्या यह नया कश्मीर है?''

उर्जीबा ने कहा, "मेरे भाई (उमर कयूम) को पुलिस ने 2010 में गिरफ्तार करने के बाद बेरहमी से पीट-पीट कर मार डाला था, जब कश्मीर में आंदोलन चरम पर था।"

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