EPF Interest Rate : मोदी राज में 40 साल बाद सबसे कम मिलेगा EPF पर ब्याज, कभी 12% मिलता था interest

EPF Interest rate : ईपीएफओ ने 2021-22 के लिए पीएफ पर ब्याज दर 0.40 फीसदी की कटौती कर 8.10 फीसदी तय कर दी है। यह फैसला PF के दायरे में आने वाले देश के लगभग 7 करोड़ नौकरीपेशा लोगों के लिए अच्छी खबर नहीं है।

Update: 2022-06-04 03:28 GMT

6 करोड़ नौकरीपेशा लोगों को मोदी सरकार ने बड़ा झटका दिया।

EPF Interest rate : मोदी राज में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने नौकरीपेशा लोगों के लिए निराश करने वाला फैसला लिया है। ईपीएफओ के ताजा फैसलों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष यानि 2021-22 के लिए पीएफ पर ब्याज दर ( EPF interest rate ) 0.40 फीसदी की कटौती कर 8.10 फीसदी तय की गई है। ईपीएफओ का यह फैसला PF के दायरे में आने वाले देश के लगभग 7 करोड़ सब्सक्राइबर को नुकसान पहुंचाने वाला है।

हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है जब नौकरीपेशा वाले लोगों के पैसे पर कैंची चली है। इस उलट एक वक्त वो भी था जब EPF पर लोगों को मिलने वाली ब्याज दर 12 प्रतिशत हुआ करती थी लेकिन बेतहाशा महंगाई और EPFO की कमाई कम होने के चलते आपकी बचत में भी यह कटौती करने का फैसला लिया गया है। अब PF अकाउंट में डिपॉजिट पर 8.5 फीसदी के बजाए 8.10 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलेगा।

वर्ष 1977-78 में EPFO ने 8 फीसदी का ब्याज दिया था। उसके बाद से यह 8.25 फीसदी या उससे ज्यादा ही रहा। वित्तीय वर्ष 2019-20 और 2020-21 में पीएफ पर ब्याज दर 8.50% रही।

कभी सिर्फ 3% थी ब्याज दर

देश आजाद होने के बाद साल 1952 में जब भारत सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की स्थापना की तब ये EPF स्कीम 1952 एक्ट को लागू किया गया। PF पर मिलने वाले ब्याज की शुरुआत तभी से हुई। शुरुआती दौर में पीएफ पर ब्याज दर महज 3 फीसदी हुआ करती थी। 1955-56 में इसे पहली बार बढ़ाया गया और अगमादी 2 साल तक ब्याज दर 3.50% रही। 1963-64 में यह बढ़ते हुए 4% पर पहुंची।

1963-64 के बाद से हर साल इसे 0.25 फीसदी बढ़ाया जाने लगा। 1969-70 तक यह बढ़कर 5.50 फीसदी पहुंच गई। 1970 के बाद लगातार 0.25% पर बढ़ोतरी पर ब्रेक लगा और ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 1970-71 में इसे महज 0.10 फीसदी ही बढ़ाया।

पहली बार 1977-78 में पीएम परब्याज दर 8% पहुंची थी। 1978-79 में सबसे ज्यादा फायदा पीएफधारकों को मिला। जनता सरकार ने पीएफ पर 8.25 प्रतिशत करने के साथ ही 0.5% का बोनस भी दिया। यह बोनस उन लोगों के लिए लिया था, जिन्होंने कभी अपना PF कभी नहीं निकाला हो। बोनस के रूप में मिलने वाली रकम को सिर्फ 1976-1977 और 1977-1978 के PF पर ही दिया गया।

1985-86 पहली बार दो डिजिट में पहुंची ब्याज दर

वित्तीय वर्ष 1985-86 में पहली बार पीएफ पर ब्याज दर 9.90% से बढ़ाकर 10.15% कर दिया गया। इसके बाद 1986-87 के लिए ब्याज दर 11% तय की गई। ईपीएफओ ने 1989-90 में पीएफ पर सबसे अधिकतम ब्याज 12% देने का फैसला किया। 2000 तक इसे नहीं बदला गया। 2000-01 तक पीएफ पर 12% ही ब्याज मिलता रहा।

2001 के बाद घटती गई ब्याज दरें

2001 के बाद नौकरीपेशा की जेब पर कैंची चलती रही। जुलाई 2001 से इसे घटाकर 11% किया गया।2004-05 में घटाकर 8.50% कर दिया गया। इस बीच 2010-11 में इसे बढ़ाकर फिर से 9.50% तय किया गया था लेकिन 2011-12 में फिर एक बार बड़ी कटौती की गई। इसे सीधे 9.50% से घटाकर 8.25% कर दिया गया। 2014-15 में यह फिर से बढ़कर 8.75% पर पहुंची। 2015-16 में इसे फिर बढ़ाया गया और यह दर 8.80% तक पहुंची। अब 2021-22 के लिए 8.10% ब्याज दर तय की गई है।

ऐसे समझें EPF पर interest का हिसाब

EPF Interest rate : दरअसल, EPFO एक्ट के तहत कर्मचारी को बेसिक सैलरी प्लस DA का 12% PF अकाउंट में जाता है तो दूसरी तरफ कंपनी भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी+DA का 12% का योगदान देती है। कंपनी के 12% कंट्रीब्यूशन में से 3.67% कर्मचारी के EPF अकाउंट में जाता है और बाकी 8.33% कर्मचारी पेंशन स्कीम (EPS) में जाता है। अब मान लीजिए कि आपके EPF अकाउंट में 31 मार्च 2022 तक कुल 5 लाख रुपए जमा हैं। अगर आपको 8.50% की दर से ब्याज मिलता तो आपको 5 लाख पर 42,500 रुपए ब्याज के रूप में मिलते। ताजा ब्याज दर यानि 8.10% के मुताबिक आपको 40,500 रुपए ब्याज मिलेगा। यानि दो हजार रुपए का सीधा नुकसान।



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