11 वर्षों में कॉरपोरेट घरानों का 16 लाख करोड़ से भी ज्यादा का कर्ज माफ करने वाली मोदी सरकार ने किसानों को नहीं दी एक रुपये की भी कर्जमाफी !
ऐतिहासिक किसान आंदोलन की पांचवी वर्षगांठ के अवसर पर 26 नवंबर 2025 को देशभर के किसान और मजदूर एक बार फिर राज्य तथा जिला स्तर पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के लिए मजबूर हुए हैं...
इंदौर। मध्य प्रदेश श्रम आयुक्त कार्यालय इंदौर पर श्रम संगठनों के संयुक्त मोर्चा एवं संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा संयुक्त राष्ट्रीय आह्वान के तहत 26 नवंबर की सुबह 11:00 से दोपहर 1:00 बजे तक धरना—प्रदर्शन किया और चारों श्रम संहिता लागू किए जाने के सरकार के फैसले का तीखा विरोध दर्ज कराते हुए इसे मजदूर विरोधी बताते हुए मजदूरों को गुलाम बनाने की साजिश बताया। चारों श्रम संहिता को तत्काल निरस्त किए जाने की मांग महामहिम राष्ट्रपति के नाम श्रम आयुक्त मध्यप्रदेश को ज्ञापन देते हुए रखी।
दूसरा ज्ञापन संयुक्त किसान मोर्चे द्वारा श्रम आयुक्त मध्य प्रदेश को महामहिम राष्ट्रपति के नाम प्रस्तुत किया, जिसे तत्काल उन्होंने राष्ट्रपति को भेजने का आश्वासन दिया। ज्ञापन के माध्यम से ऐतिहासिक किसान आंदोलन की पांचवी वर्षगांठ के अवसर पर 26 नवंबर 2025 को देशभर के किसान और मजदूर एक बार फिर राज्य तथा जिला स्तर पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के लिए मजबूर हुए हैं।
ज्ञापन में बतलाया गया कि ऐतिहासिक किसान आंदोलन 26 नवंबर 2020 को दिल्ली की सीमाओं पर शुरू हुआ और जिसे संयुक्त ट्रेड यूनियन आंदोलन का सक्रिय समर्थन प्राप्त हुआ था। 380 दिनों तक चला आंदोलन, जिसमें 736 किसानों के बलिदान दिए गए और भारत सरकार को तीन कॉर्पोरेट परस्त कृषि कानून को निरस्त करने के लिए मजबूर किया। किसानों की लंबित मांगें जिसमें एसएसपी सी प्लस 50% शामिल है, को पूरा करने हेतु समिति गठन के संबंध में 9 दिसंबर 2021 को केंद्र सरकार द्वारा एसकेएम को दिए गए लिखित आश्वासन के संदर्भ में आंदोलन को स्थगित किया गया था।
पिछले 5 वर्षों से भारत के किसान संयमपूर्वक भारत सरकार द्वारा आश्वासन पूरा होने की प्रतीक्षा कर रहे थे, लेकिन इसके बजाय सरकार ने ऐसे कदम उठाए हैं जिन्होंने किसानों की आर्थिक स्थिरता को और नष्ट किया है तथा कृषि आत्मनिर्भरता को देश की खाद सुरक्षा को कमजोर किया है। पिछले 11 वर्षों में कार्पोरेट घरानों को 16. 41 लाख करोड़ रुपए की कर्जमाफी दी गई, लेकिन किसानों का एक भी रुपया माफ नहीं किया गया। इसके अलावा सरकार ने मजदूरों पर हमले तेज किये हैं। जैसे बिजली विधेयक 2025, बीज विधेयक 2025 और कपास पर 11% आयात शुल्क समाप्त करना आयात शुल्क समाप्त करना।
इस हमले की कतार में नवीनतम है चार श्रम कानून संहिताओं की अधिसूचना, जिसने तयशुदा 12 घंटे के कार्य दिवस और यूनियन व हड़ताल के अधिकार को समाप्त कर दिया है। किसान संगठनों की मांग है कि सरकार अपनी मनमानी पर रोक लगाए और मजदूर-किसानों से किए वादों को पूरा करे, अन्यथा दीर्घकालीन परिणाममूलक आंदोलन चलाया जाएगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी सरकार की होगी।
धरनास्थल पर हुई सभा को किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष अरुण चौहान, एटक के सचिव रुद्रपाल यादव, सीटू के प्रदेश उपाध्यक्ष कैलाश लिंबोदिया, सीटू के जिला सचिव सिएल सरावत, सीटू से कविता सोलकी, इंटक के नेता हरनाम सिंह धारीवाल, राहुल निहोरे, एटक के ओमप्रकाश खटके, सोहनलाल शिंदे, किसान संघर्ष समिति के रामस्वरूप मंत्री, किसान खेत मजदूर संगठन के सोनू शर्मा, बैंक कर्मचारी यूनियन के नेता विजय दलाल, कॉमरेड अरविंद पोरवाल, परेश टोकेकर, भागीरथ कछवाह, ऋषभ वर्मा, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव यूनियन से मनीष ठक्कर द्वारा संबोधित किया गया। इस मौके पर लॉयर यूनियन के अध्यक्ष बीएल नगर, वरिष्ठ पत्रकार मनोहर लिंबोदिया, महिला नेत्री किरण चौहान और बड़ी तादाद में मजदूर किसान कर्मचारी नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए।