नए साल में प्रवेश कर गया किसान आंदोलन, टिकरी बाॅर्डर पर एक किसान की हुई मौत, आज किसानों की बड़ी बैठक

किसानों का आंदोलन आज 37वें दिन में प्रवेश कर गया है। इस बीच टिकरी बाॅर्डर पर एक किसान की मौत हो गयी है...

Update: 2021-01-01 04:27 GMT

मोदी सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ नव वर्ष की पूर्व संध्या पर प्रदर्शनकारियों ने गाजीपुर बाॅर्डर पर कैंडल मार्च निकाला।   Photo Credit - ANI Twitter.

जनज्वार। मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों का आंदोलन शुक्रवार को नए साल में प्रवेश कर गया। हजारों किसान इस कड़ाके की ठंड में भी दिल्ली से लगी विभिन्न सीमाओं पर अपनी मांगों को लेकर डटे हैं। इस बीच किसान नेताओं की सरकार से सातवें दौर की वार्ता चार जनवरी को प्रस्तावित है। वहीं, आंदोलनरत किसानों में से एक और किसान की मौत हो गयी है।

गुरुवार को हरियाणा के कैथल जिले के रहने वाले एक किसान की मौत हो गयी। आशंका जतायी जा रही है कि दिमाग की नस फटने से किसान की मौत हुई है। हालांकि पोस्र्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही इस संबंध में पक्की जानकारी आएगी। ध्यान रहे कि ठंड के दिनों में उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों का रक्तचाप बढने का खतरा होता है और उससे दिमाग की नस फटने जैसे मामले घटित होते हैं।

मृतक किसान कैथल जिले के भाणा गांव के रहने वाले थे। वे कई दिनों से किसान आंदोलन में हिस्सा ले रहे थे। वह नया गांव बाईपास के पास किसानों के जत्थे के साथ रह रहे थे। जानकारी के अनुसार, बुधवार की शाम वे लंगर का सामान लेने के लिए ट्राॅली से अपने साथियों के साथ मंडी भी गए थे। इस दौरान उन्हें दौरा पड़ा था जिसके बाद उन्हें नजदीकी अस्पताल में उनके साथी ले गए। हालांकि हालत नाजुक होने की वजह से डाॅक्टरों ने उन्हें रोहतक के पीजीआइएमएस रेफर कर दिया, जहां इलाज के क्रम में गुरुवार सुबह उनकी मौत हो गयी।

किसानों का आंदोलन नए साल में 37वें दिन में कर गया प्रवेश

किसानों का आंदोलन एक जनवरी को नए साल के मौके पर 37वें दिन में प्रवेश कर गया। किसानों ने इससे पहले गुरुवार को नव वर्ष की पूर्व संध्या पर कैंडल मार्च निकाल कर प्रदर्शन किया। किसान संगठन आज चार जनवरी को सरकार के साथ प्रस्तावित बैठक को लेकर रणनीति तय करेंगे। इसके लिए वे सिंघु बाॅर्डर पर बैठक करेंगे। दिन के दो बजे से होने वाली इस बैठक में करीब 80 किसान संगठन के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

किसान नेताओं ने इससे पहले कहा है कि सरकार हमें फुसलाए नहीं, हमारा मूल मुद्दा तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेना है और हम उस पर अब भी कायम हैं। किसान की चार प्रमुख मांगों में दो मांगों तीन कृषि कानून की वापसी और एमएसपी को वैधानिक मान्यता देने पर अभी भी बात नहीं बनी है। वहीं, पराली जलाने को लेकर को लेकर कार्रवाई व बिजली बिल को लेकर सरकार ने उनकी मांगें मान ली हैं।


Tags:    

Similar News