Farmers Movement : किसानों की सभी मांगे पूरी, 4 दिसंबर को खत्म हो जाएगा आंदोलन ?

Farmers Movement : पिछले एक साल से चल रहा किसान आंदोलन 4 दिसंबर को खत्म हो सकता है। जनज्वार से हुई बातचीत में आंदोलनकारियों ने बताया कि सरकार 4 दिसंबर से पहले सभी मांगे मान लेगी...

Update: 2021-11-30 15:31 GMT

(सिंघु बॉर्डर पर 32 किसान संगठनों की बैठक के दौरान की तस्वीर)

Farmers Movement : तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ बीते एक साल से ज्यादा समय तक चला किसान आंदोलन 4 दिसंबर को समाप्त हो सकता है। 'जनज्वार' से बातचीत के दौरान किसान आंदोलनकारियों ने बताया कि सरकार 4 दिसंबर से पहले सभी मांगों को मान लेगी।  

आंदोलनकारी किसानों के अनुसार 21 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) ने जब तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की उसी दिन किसान आंदोलन (Farmers Movement) जीत गया था। बहुत साफ था कि सरकार आने वाले पांच राज्यों में होने वाले चुनाव (Assembly Election 2022) के कारण अपनी जिद्द से पीछे हट रही है। लेकिन तीनों कृषि बिलों की वापसी का रवैया इतना असंवैधानिक था कि किसान बिल वापसी को गंभीरता से नहीं ले पा रहे थे। अब जबकि 29  नवंबर को संसद की दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा से यह बिल ध्वनिमत से वापस ले लिया गया है तो किसानों के पास अविश्वास की कोई वजह नहीं बचती है। ऐसे में पंजाब के 32 जत्थेबंदियों की ओर से किसान आंदोलन का मकसद पूरा हो चुका है। लेकिन उत्तर प्रदेश से नेतृत्व में शामिल हुए भाकियू नेता और संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता राकेश टिकैत की एमएसपी गारंटी कानून और बिजली बिल वापसी की मांग अधूरी रह गई थी। 

हालांकि सत्तापोषित मीडिया किसान आंदोलन को लेकर लगातार दुष्प्रचार कर रहा है और आंदोलन को तोड़ने की हर कोशिश में जुटा है। दूसरी तरफ सरकार की ओर से संयुक्त किसान मोर्चा से एमएसपी के लिए बनाई जा रही कमिटी में शमिल होने वाले 5 सदस्यों के नाम मांगे गए हैं। यह जानकारी संयुक्त किसान मोर्चा के नेता सतनाम सिंह ने मीडिया को दी। 

पिछले वर्ष नवंबर के शुरुआती हफ्तों में जब पंजाब की जत्थेबंदियों के वहां से दिल्ली कूच करने की खबरें आने लगीं तो पहली मांग उनकी तीन कृषि बिलों की वापसी ही रही। जब आंदोलनकारी दिल्ली पहुंच गए और आंदोलन में गाजीपुर बॉर्डर से राकेश टिकैत शामिल हुए उसके बाद एमएसपी और बिजली बिल का सवाल आंदोलन में शामिल हुआ। इसीलिए जैसे पीएम मोदी ने जैसे ​ही टीवी पर किसान बिलों की वापसी की बात घोषित की तभी पंजाब की किसान जत्थेबंदियों ने अपना लश्कर समेटना शुरू कर दिया। ले​किन यहां एक नया संकट मोदी ने अपने घोषण के तरीके से आंदोल​नकारियों के सामने खड़ी कर दी। किसानों का नेतृत्व कर रहे नेताओं के सामने जहां तीनों कृषि कानूनों के खत्म होने की खुशी थी, वहीं इस बात की चुनौती भी थी कि आखिर वह अपने किसान कतारों यानी आंदोलनकारी साथियों के सामने क्या कहेंगे, जबकि मोदी ने किसी टेबल पर उनसे बैठा कर बात ही नहीं की।

साफ है कि जो आंदोलन सप्ताह भर पहले खत्म हो जाना चाहिए था वह 4 दिसंबर को खत्म होगा, क्योंकि किसान आंदोलन की रीढ़ रहीं पंजाब कि 32 जत्थेबंदियों की बात मोदी सरकार मान चुकी है। लेकिन पंजाब के जमीनी किसान नेता नहीं चाहते कि सरकार को किसान आंदोलन के खिलाफ दुष्प्रचार का कोई मौका मिले और राकेश टिकैत अलग—थलग पड़ जाएं, इसलिए आंदोलनकारियों ने एमएसपी पर कानून बनाने की कमिटी व ​सभी किसानों से मुकदमें वापसी की बात तक इंतजार किया है।

इससे पहले टिकैत ने 29 नवंबर को कहा कि सरकार चाहती है कि देश में कोई विरोध प्रदर्शन न हो, लेकिन हम एमएसपी सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा से पहले धरना स्थल नहीं छोड़ेंगे।

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