Farmers Movement : अनंतकाल के लिए बंद नहीं किया जा सकता हाईवे - सुप्रीम कोर्ट
Farmers Movement : नोएडा की मोनिका अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर किसान आंदोलन के चलते कई महीनों से दिल्ली और नोएडा हाइवे बाधित होने का मसला उठाया है....
Farmers Movement जनज्वार। किसान आंदोलन (Farmers Movement) पिछले 10 महीनों से सरकार के लिए एक चिंता का विषय बना हुआ है। वहीं सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी हाईवे (Highway) को अनंतकाल के लिए बंद नहीं किया जा सकता। दिल्ली बार्डर (Delhi Border) पर किसानों के आंदोलन से रास्ता बंद है। इस तरह के मामलों के लिए पहले से ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है। सरकार उसे लागू नहीं करवा पा रही है।
बार्डर पर रास्ते बंद होने से परेशान आम नागरिक अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की ओर आशा की नज़र से देख रहा है। नोएडा की रहने वाली मोनिका अग्रवाल (Monika Agrawal) ने इस मसले में याचिका दाखिल की थी। उन्होनें किसान आंदोलन के चलते कई महीनों से दिल्ली और नोएडा हाइवे बाधित होने का मसला उठाया है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट को हरियाणा (Haryana) से लगी दिल्ली की कुछ सीमाओं को भी किसानों के द्वारा बंद कराए जाने की जानकारी मिली। इस पर कोर्ट ने हरियाणा और यूपी को भी पक्ष बना लिया था। दोनों ही राज्यों की ओर से कोर्ट में लगातार यही जवाब दिया गया कि वह आंदोलनकारियों (Protesters) को समझा बुझा कर सड़क से हटाने की कोशिश कर रहे हैं।
कोर्ट में हरियाणा और केंद्र सरकार (Centre) की तरफ से बताया गया कि सड़क से हटने के लिए आंदोलनकारियों को मनाने की कोशिश कामयाब नहीं हो पा रही है। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने अनुरोध किया कि कोर्ट आंदोलनकारी नेताओं को बतौर पक्ष मामले में जोड़े।
इस पर जस्टिस संजय किशन कौल (Justice S.K.Kaul) और एम एम सुंदरेश (Justice M.M. Sunderesh) की बेंच ने कहा, "ऐसे मामलों पर आदेश दिया जा चुका है। आप चाहते हैं कि हम बार-बार एक ही बात को दोहराएं।" इस टिप्पणी के बाद कोर्ट ने आज सरकार से कहा कि वह आंदोलनकारी नेताओं को मामले में पक्ष बनाने के लिए आवेदन दे, ताकि आदेश देने पर विचार किया जा सके। मामले की अगली सुनवाई सोमवार, 4 अक्टूबर को होगी।
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने शाहीन बाग (Shaheen Bagh) मामले पर फैसला दिया था। उस फैसले में कहा गया था कि आंदोलन के नाम पर किसी सड़क को लंबे समय के लिए रोका नहीं जा सकता है। धरना-प्रदर्शन जैसे कार्यक्रम प्रशासन की तरफ से तय की गई जगह पर ही होने चाहिए। याचिकाकर्ता ने इसी फैसले को याचिका में आधार बनाया है. उन्होंने कहा है कि कोर्ट राज्य सरकारों को इसे लागू करने का आदेश दे।
बता दें कि किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार अपने तीनों कृषि कानून (Farm Laws) वापस ले ले। सरकार की ओर से कई मौकों पर संशोधन की बात कही गई है, लेकिन किसान सिर्फ और सिर्फ वापसी पर बात करने के लिए राज़ी हैं। इसी वजह से सरकार और किसानों की पिछली 10 बैठकें भी बेनतीजा रही हैं। पिछली बार भी जब किसान और सरकार बातचीत की टेबल पर आए थे, वो बैठक भी 7 महीने पुरानी हो गई है। ऐसे में किसान और सरकार के बीच ऐसा रार ठन चुका है जो टूटने का नाम नहीं ले रहा।