किसान आंदोलन : सरकार से आज की वार्ता से पहले क्या बोले प्रमुख किसान नेता?

अगर मोदी सरकार और किसान संघों के बीच आज की वार्ता विफल रही तो किसानों का आंदोलन नए साल में प्रवेश कर जाएगा और इसके और मजबूत होने की संभावना बढ जाएगी। इस बीच बैठक में शामिल होने से पहले यह स्पष्ट रूप से कहा है कि तीन कानूनों को रद्द करना ही होगा...

Update: 2020-12-30 05:41 GMT

जनज्वार। मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन नए साल के प्रवेश के मुहाने पर खड़ा है। इस बीच लोगों का गुस्सा सरकार के प्रति बढता जा रहा है। वहीं, इन इस सब के बीच बुधवार को किसान नेताओं और सरकार के बीच मामले को सुलझाने के लिए होने वाली बैठक पर टिकी है। अगर इस बैठक में कोई सार्थक नतीजा नहीं निकला तो यह आंदोलन और अधिक उग्र हो सकता है। आज की बैठक छठे दौर की वार्ता है।

बैठक से पहले क्या बोले किसान नेता?

सरकार व किसान संघों की बैठक से पहले इस पर प्रमुख किसान नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी, पंजाब के संयुक्त सचिव सुखविंदर सिंह साबरा ने बुधवार सुबह बैठक में शामिल होने से पहले कहा कि पांच चक्र की वार्ता सरकार व किसानों के बीच हो चुकी है, हमलोगों को नहीं लगता है कि आज की बैठक में भी हम किसी समाधान तक पहुंच पाएंगे। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों को खत्म किया ही जाना चाहिए।

वहीं, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि यह आवश्यक है कि देश में एक मजबूत विपक्ष हो, जिससे सरकार को डर हो लेकिन वह यहां नहीं है। इसी वजह से किसान सड़कों पर उतरे हैं। विपक्ष को खेत में, सड़कों पर व मंच पर किसानों के विरोध प्रदर्शन में साथ देना चाहिए। उन्होंने बैठक से पहले स्पष्ट तौर पर कहा कि अगर सरकार कानून वापस नहीं लेग तो प्रदर्शन खत्म नहीं होगा। सरकार को कानून वापस लेना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इसमें संशोधन से बात नहीं बनेगी।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मैनपाल चौहान ने कहा कि तीनों कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिए और एमएसपी की गारंटी का प्रावधान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर फसल एमएसपी से नीचे खरीदी जाती है तो दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने उम्मीद जतायी कि आज की वार्ता सफल होगी।

पंजाब में लोगों का गुस्सा भड़का

कृषि बिल को लेकर सबसे अधिक गुस्सा पंजाब में दिख रहा है, जहां आंदोलन समर्थक मोदी सरकार के साथ मुकेश अंबानी के रिलायंस व गौतम अडानी के अडानी समूह का विरोध कर रहे हैं। किसानों को संदेह है कि ये दोनों बड़े उद्योगपति कृषि क्षेत्र में अपने लिए कारोबार की संभावनाएं तलाश रहे हैं और और मोदी सरकार ने उनके व उन जैसे कृषि में कारोबार तलाशने वालों के लिए ही कृषि कानून लाया है।

पंजाब में अबतक डेढ हजार से अधिक रिलायंस जियो के मोबाइल टाॅवरों को नुकसान पहुंचाया जा चुका है। हालांकि किसान नेता लगातार यह अपील कर रहे हैं कि लोग संपत्तियों को नुकसान नहीं पहुंचाएं बल्कि शांतिपूर्ण ढंग से कानून का विरोध करें। मंगलवार को भी 63 और मोबाइल टाॅवरों के नुकसान पहुंचाया गया। एक ओर जहां नयी जगहों पर टाॅवरों को निशाना बनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर उनकी मरम्मत भी की जा रही है। अबतक 700 से अधिक टाॅवरों को दुरुस्त किया जा चुका है। राज्य में जियो के नौ हजार से अधिक टाॅवर हैं।

मोबाइल टाॅवरों के काम नहीं करने से नेटवर्क में दिक्कत की वजह से एटीएम से पैसे निकालने में भी परेशानी हो रही है। आॅनलाइन क्लास प्रभावित हो रही हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मोबाइल टाॅवरों को नुकसान पहुंचाने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है।

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