Farmars Movement : कृषि कानूनों का असर हरियाणा में आने लगा नजर, सरकार सिर्फ 25 प्रतिशत बाजरा खरीदेगी MSP पर
Farners Movement : किसानों ने बताया कि अभी सरकार बाजरे में कर रही है, कल यह प्रावधान धान और गेहूं में करेगी। इस तरह से तो खुले बाजार में फसल का दाम मिलेगा ही नहीं....
Farmers Movement जनज्वार ब्यूरो/चंडीगढ़। कृषि कानूनों के तहत केंद्र सरकार एमएसपी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) खत्म करना चाहती है, यह आशंका आंदोलन (Farmers Movement) कर रहे किसानों ने जताई थी। हरियाणा में किसानों की यह आशंका अब सही साबित होती नजर आ रही है। सरकार ने इस बार बाजरे की फसल (Millet Crop) कुल फसल का 25 प्रतिशत ही एमएसपी पर खरीदने की घोषणा कर दी है। सरकार की इस घोषणा से बाजरा उत्पादक किसान सकते में हैं।
बाजरे का एमएसपी 2250 रुपए है। किसानों ने बताया कि हरियाणा (Haryana) के महेंद्रगढ़, भिवानी, रेवाड़ी, दादरी और हिसार में बड़े पैमाने पर बाजरे की खेती होती है। सरकार ने जो निर्णय लिया है, यह यदि फसल बुवाई से पहले ले लिया जाता तो उन्हें इस तरह की दिक्कत न होती। अब अचानक यह निर्णय ले लिया है, इससे तो वह बाकी की 75 प्रतिशत फसल कहां लेकर जाए? यह सवाल उनके सामने खड़ा हो रहा है। महेंद्रगढ़ के गांव बरौली निवासी किसान सुखपाल सिंह 32 ने बताया कि इस वक्त बाजार में बाजरा 1000 से लेकर 1200 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है।
सरकार (Govt) के निर्णय के बाद तो दाम और गिर जाएंगे। स्थिति यह है कि खुले बाजार में बाजरे का खरीददार ही नहीं है। वह अब तैयार फसल को लेकर कहां जाएंगे? इस तरह से उन्होंने फसल तैयार करने पर जो खर्च किया है, वह भी पूरा नहीं होगा।
भिवानी (Bhiwani) जिले के गांव जमालपुर के किसान राजा राम 76 ने बताया कि सरकार ऐसा अचानक कैसे निर्णय ले सकती है। उन्होंने बताया कि इससे तो यह साबित हो रहा है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य से पीछे हटना चाह रही है। कृषि कानूनों की आड़ में यही हो रहा है। बाजरे की खरीद पर सरकार ने जो निर्णय लिया, यह इस दिशा में उठाया गया कदम भर है।
किसानों ने बताया कि अब सरकार बाजरे में कर रही है, कल यह प्रावधान धान और गेहूं में करेगी। इस तरह से तो खुले बाजार में फसल का दाम मिलेगा ही नहीं। क्योंकि यदि सरकारी खरीद नहीं होगी या कम होगी तो व्यापारी की कोशिश तो यह होगी कि वह कम से कम दाम पर फसल की खरीद करे। इस तरह से तो किसान बर्बाद हो जाएंगे।
इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के नेता अभय सिंह चौटाला (Abhay Chautala) ने कहा कि सरकार की इस नीति का विरोध किया जाएगा। जब हर साल बाजरे की खरीद सरकार एमएसपी (MSP) पर करती रही है, इस बार क्यों नहीं।
उन्होंने कहा कि मनोहर सरकार (Manohar Lal Govt) व्यापारियों और पूंजीपतियों के हाथों में खेल रही है। उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए ही यह निर्णय लिया गया है। सरकार की इस नीति से बाजरा उत्पादक किसानों को आर्थिक नुकसान होगा। सरकार को इसकी चिंता ही नहीं है।
किसानों ने बताया कि जो सरकार कहती है कि एमएसपी खत्म नहीं होगा, दूसरी ओर एमएसपी पर मात्र 25 प्रतिशत बाजरा खरीदा जा रहा है। बाकी का 75 प्रतिशत बाजार कैसे एमएसपी पर बिकेगा। सरकार इसका जवाब दें।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी (Gurnam Singh Chadhuni) ने कहा कि हम पहले ही कह रहे हैं कि यह सरकार कहती कुछ है और करती कुछ और है। इस सरकार पर यकीन नहीं किया जा सकता। इसलिए हम लगातार मांग उठा रहे है कि एमएसपी की गारंटी होनी ही चाहिए। सरकार तो चाहती ही यह है कि किसानों को बाजार के हवाले कर दिया जाए।
इधर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल (Manohar Lal Khattar) ने तर्क दिया कि जो किसान का जो 75 प्रतिशत बाजरा बच जाता है, इस पर सरकार 600 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से किसानों के खाते में भुगतान करेगी। यह पैसा सात अक्टूबर तक किसानों के खाते में आ जाएगा। हरियाणा में 2 लाख 71 हजार किसानों ने अपनी 8 लाख 65 हजार एकड़ बाजरे की फसल की पैदावार का पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया हुआ है।
कृषि मंत्री जेपी दलाल ने बताया कि बाजरा अभी बाजार (Market) में 1650 रुपए क्विंटल पर बिक रहा है। किसान (Farmers) खुले बाजार में बाजरा बेच सकता है, बाकी के 600 रुपए का भुगतान सरकार कर ही देगी। यह भावांतर योजना है, उदाहरण के लिए अगर रेवाड़ी में एक एकड़ में बाजरे की 10 क्विंटल पैदावार होती है तो किसान के खाते में 6 हजार रुपए डाले जाएंगे। बाजार में बाजरे का भाव ठीक बना रहे, इसके लिए सरकार की दो एजेंसियां कुल पैदावार के 25 प्रतिशत बाजरे की खरीद करेगी।
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Huda) ने कहा कि इस बात की क्या गारंटी की खुले बाजार में बाजरे का रेट 1650 रुपए बना ही रहेगा। जैसे ही सरकार ने घोषणा की कि बाजरे की खरीद 25 प्रतिशत होगी, व्यापारियों को तो इससे मौका मिल गया। उन्हें तो पता है कि किसान बाजरे की फसल लेकर जाएगा कहां? इसलिए उसकी फसल सस्ते से सस्ते दाम पर खरीदने की कोशिश होगी।
इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा कि एक ओर तो उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) दावा करते हैं कि जिस दि किसानों को एमएसपी नहीं मिलेगा, वह उसी दिन सरकार से त्यागपत्र दे देंगे। तो अब सरकार एमएसपी से भाग रही है। क्या दुष्यंत चौटाला सरकार से त्यागपत्र देंगे।
उन्होंने बताया कि इस बार तो सरकार 600 रुपए प्रति क्विंटल बाजरे का दे भी रही है, अगले साल क्या होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सरकार खेती और किसान को पूरी तरह से बाजार के हवाले करना चाह रही है। इसलिए तीन कृषि कानून (Farm Laws) बनाए गए हैं। किसानों को इस सरकार की मंशा का पता चल गया है, इसलिए वह इनका विरोध कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने बाजरे की पूरी फसल किसान से नहीं खरीदी तो इनेलो इसके लिए आंदोलन करेगी। जिसकी पूरी जिम्मेदारी भाजपा जेजेपी सरकार की होगी।