छह साल से कौमा में रहे पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह का 82 वर्ष की उम्र में निधन

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी सहयोगी रहे और केंद्र में रक्षा, विदेश व वित्त जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेवारी संभालने वाले जसवंत सिंह का रविवार को निधन हो गया...

Update: 2020-09-27 03:44 GMT

जनज्वार। वाजपेयी सरकार के प्रभावी चेहरा रहे पूर्व विदेश मंत्री व पूर्व भाजपा नेता जसवंत सिंह का 82 साल की उम्र में निधन हो गया। जसवंत सिंह छह साल से कौमा में थे । 2014 में उन्हें दिल्ली के आर्मी अस्पताल में गंभीर रूप से बीमार होने के बाद भर्ती कराया गया था। तब से डाॅक्टरों की निगरानी में उनका इलाज चल रहा था।

जसवंत सिंह भाजपा के संस्थापक सदस्यों में थे। वे अपने राजनैतिक जीवन में अटल युग के बाद पार्टी से मतभेदों के बाद अलग बाहर भी हुए और फिर वापस भी आए। उनके निधन के संबंध में बयान जारी करते हुए दिल्ली के आर्मी अस्पताल ने कहा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का रविवार सुबह 6.55 बजे निधन हो गया। उन्होंने जून में भर्ती कराया गया था और सेप्सिस के साथ मल्टीआॅर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम का इलाज चल रहा था। अस्पताल के अनुसार, उनका निधन कार्डियक अरेस्ट के बाद हुआ। हालांकि उनकी कोविड जांच निगेटिव थी।

जसवंत सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शोक व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने ट्वीट के माध्यम से कहा है कि जसवंत सिंह ने पहले सैनिक के रूप में और फिर राजनीति में आकर लंबे समय तक देश की सेवा की। पीएम मोदी ने कहा है कि वाजपेयी शासनकाल में उन्होंने विदेश, वित्त व रक्षा जैसे अहम मंत्रालयों के मंत्री के रूप में अपनी मजबूत छाप छोड़ी।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी जसवंत सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि जसवंत सिंह ने रक्षामंत्री सहित देश के कई अहम पदों पर देश की की सेवा की। मंत्री और सांसद के रूप में उनका कार्यकाल शानदार रहा है। उन्होंने कहा कि जसवंत सिंह को उनकी बौद्धिक क्षमताओं और देश सेवा के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने राजस्थान में भाजपा को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। राजनाथ सिंह ने उनके परिवार और शुभचिंतकों के लिए संवेदना प्रकट की।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जसवंत सिंह को परमाणु शक्ति वाले भारत की विदेश नीति तैयार करने के लिए खासतौर पर याद किया जाएगा। विदेश मंत्री के रूप में उन्होंने भारतीय कूटनीतिज्ञों से शानदार काम कराया।

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