सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने योग को बताया नौटंकी और एक क्रूर चाल, बोले भूखे योग न होए गोपाला

काटजू ने कहा कि भारत में लोग योग नहीं बल्कि भोजन, नौकरी, आश्रय, उचित स्वास्थ्य देखभाल, अच्छी शिक्षा और अन्य आवश्यकताएं चाहते हैं। किसी भूखे या बेरोजगार पुरुष-महिला को योग करने के लिए कहना एक क्रूच चाल और भटकाव है....

Update: 2021-06-21 10:01 GMT

जनज्वार डेस्क। सुप्रीम कोर्ट पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को नौटंकी और नाटक करार दिया है। काटजू का कहना है कि भारत में लोग योग नहीं बल्कि भोजन, नौकरी, आश्रय, उचित स्वास्थ्य देखभाल, अच्छी शिक्षा और अन्य आवश्यकताएं चाहते हैं। किसी भूखे या बेरोजगार पुरुष/महिला को योग करने के लिए कहना एक क्रूर चाल और भटकाव है।

बता दें कि आज 21 जून को देश और दुनियाभर में योग दिवस मनाया जा रहा है। पूर्व जज का कहना है कि जब पचास प्रतिशत भारतीय बच्चे कुपोषित (ग्लोबल हंगर इंडेक्स देखें) हैं, पचास प्रतिश महिलाएं एनिमिक हैं और रिकॉर्ड बेरोजगारी है।

काटजू ने कहा कि भारत में लोग योग नहीं बल्कि भोजन, नौकरी, आश्रय, उचित स्वास्थ्य देखभाल, अच्छी शिक्षा और अन्य आवश्यकताएं चाहते हैं। किसी भूखे या बेरोजगार पुरुष-महिला को योग करने के लिए कहना एक क्रूच चाल और भटकाव है।

उन्होंने आगे पूछा कि ऐसा कहा जाता है कि योग अच्छा स्वास्थ्य और शांत मन देता है लेकिन क्या यह किसी गरीब, भूखे और बेरोजगार पुरुष-महिला को यह देगा? क्या यह हमारे कुपोषित लोगों और एनीमिक महिलाओं को शांति देगा?

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने आगे कहा कि बहुत से लोग मुझसे पूछते हैं कि क्या मैं स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, दिवाली, होली, फादर्स डे, बाल दिवस आदि के खिलाफ हूं? सिर्फ योग दिवस के खिलाफ ही क्यों? मैं जिस चीज के खिलाफ हूं वह राजनीतिक एजेंडे के लिए उनका अपहरण करना। रोमन सम्राट कहते थे- अगर आप लोगों को रोटी नहीं दे सकते तो उन्हें सर्कस दें। 

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