Ghaziabad News : 2021 में गाजियाबाद के 39 भ्रष्ट पुलिसककर्मी हुए सस्पेंड, 150 को किया गया लाइन हाजिर

Ghaziabad News : पुलिस के अनुसार भ्रष्टाचार में शामिल होने के लिए 2021 में 45% पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया....

Update: 2021-09-27 08:55 GMT

(सस्पेंड किए गए अधिकारियों में 30 फीसदी ट्रैफिक विभाग के हैं।  प्रतीकात्मक तस्वीर)

Ghaziabad News जनज्वार। उत्तर प्रदेश (UP) पुलिस के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इस साल 25 सितंबर तक गाजियाबाद में कुल 39 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। इसके अलावा करीब 150 को भ्रष्ट आचरण और ड्यूटी की अवहेलना के लिए पुलिस लाइन हाजिर किया गया। शनिवार को भी एसएसपी (SSP) पवन कुमार ने दो पुलिसकर्मियों को गैस सिलेंडर के साथ एक ट्रक को छोड़ने के लिए रिश्वत (Bribe) लेते पाए जाने पर निलंबित कर दिया था। दो पुलिसकर्मियों – हेड कांस्टेबल (Head Constable) संतोष कुमार और कांस्टेबल हरविंदर सिंह के खिलाफ की गई शिकायत के बाद कार्रवाई की गई।

क्या थी शिकायत

कवि नगर (Ghaziabad) में एक गैस एजेंसी ने एसएसपी के पास शिकायत दर्ज कराई कि दोनों पुलिसवाले हर महीने रिश्वत ले रहे थे और हाल ही में उन्होंने अपनी मांग बढ़ा दी थी, जिससे एजेंसी को भुगतान रोकना पड़ा। 30 अगस्त को पुलिस ने कथित तौर पर पैसे मांगे और मना करने पर वे ट्रक को गोविंदपुरम पुलिस चौकी (Ghaziabad) ले गए और राशि मिलने के बाद ही उसे जाने दिया।

प्रतिवर्ष निलंबित पुलिसकर्मियों के आंकड़ों की तुलना

2020 में समान आरोपों के तहत 70 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया और 720 को पुलिस लाइन भेज दिया गया। जबकि 2019 में संख्या लगभग 2020 के समान थी। उस वर्ष कुल 71 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया था और 359 को पुलिस लाइन भेजा गया था।

पुलिस के अनुसार, भ्रष्टाचार (Corruption) में शामिल होने के लिए 2021 में 45% पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया, जबकि 40% को अपनी ड्यूटी ठीक से नहीं करने के लिए निलंबित कर दिया गया। इस साल चार निरीक्षक, छह उप निरीक्षक, 16 प्रधान आरक्षक, 12 आरक्षक और एक लिपिक समेत 39 पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गयी थी।

पिछले साल 7 इंस्पेक्टर, 14 सब-इंस्पेक्टर, 16 हेड कांस्टेबल, 27 कॉन्स्टेबल, 1 कंप्यूटर आपरेटर, 4 कांस्टेबल ड्राइवर और एक चतुर्थ श्रेणी अधिकारी ( forth grade officer) को भ्रष्टाचार ( corruption) और ड्यूटी में लापरवाही के आरोप में निलंबित किया गया था। 2019 में तीन इंस्पेक्टर, 13 सब-इंस्पेक्टर, 12 हेड कॉन्स्टेबल और 43 कॉन्स्टेबल को सस्पेंड किया गया था। 2019 में कुल 155 पुलिसकर्मियों से पूछताछ की गई, जिसमें 125 पुलिसकर्मियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा, जबकि 30 निर्दोष पाए गए। 2020 में कुल 313 पुलिसकर्मियों से पूछताछ की गई जिसमें 249 पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा जबकि 64 पुलिसकर्मी निर्दोष पाए गए। इस साल 25 सितंबर तक कुल 221 पुलिसकर्मियों से पूछताछ की गई। कुल 120 पुलिसकर्मियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया, एक को सजा के रूप में वेतन रोक दिया गया और 100 को निर्दोष पाया गया।

क्या है भ्रष्टाचार की सजा

यदि किसी इंस्पेक्टर या सब इंस्पेक्टर को 'भ्रष्टाचारी' (Corrupt) घोषित किया जाता है, तो उसे अगले तीन वर्षों तक कोई प्रभार नहीं दिया जाएगा। कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल के मामले में वेतन (Salary) वृद्धि पांच साल के लिए रुक जाती है। पुलिस के मुताबिक, 'इस साल जिला पुलिस को ईमेल (Email) और कूरियर के जरिए से भ्रष्टाचार से जुड़ी 70 से अधिक शिकायतें (Complaint) मिली हैं और सभी का निपटारा कर दिया गया है।'

ट्रैफिक विभाग के 30% अधिकारी सस्पेंड किये गए

इस साल सस्पेंड किए गए अधिकारियों में 30 फीसदी ट्रैफिक विभाग के हैं। वे यात्रियों से रिश्वत लेते हुए पाए गए। साथ ही पुलिस लाइन में भेजे गए 60 प्रतिशत अधिकारी बिना वर्दी के ड्यूटी करते या ड्यूटी में लापरवाही करते पाए गए। जिनके खिलाफ जिला पुलिस प्रशासन को शिकायत मिलते ही उन पर कार्यवाही की गई साथ ही जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप साबित हुए उन्हें सजा दी गई।

3 साल में भ्रष्टाचारियों के आंकड़े

2020 में, यूपी पुलिस डायल 112 (UP Dial 112) कांस्टेबल, जिसने NH-9 पर 50 से अधिक लोगों को लूटने में मदद की, को उसके छह सहयोगियों के साथ गिरफ्तार किया गया।

2019 में, एसएचओ लक्ष्मी चौहान, सब-इंस्पेक्टर नवीन कुमार पचौरी और पांच कांस्टेबल को 70 लाख रुपये की चोरी में शामिल पाया गया और निलंबित कर दिया गया, इंदिरापुरम थाना प्रभारी दीपक शर्मा, बहन संदीप कुमार व सचिन कुमार पर जुआरियों ( gambler) के एक गुट ( group) से 12 लाख रुपये ठगने का आरोप हैं।

2021 में, मसूरी में लूटपाट शिकायत मिलने पर उस मामले में कोई एक्शन ना लेने के जुर्म में एक सब इंस्पेक्टर और एक हेड कांस्टेबल को सस्पेंड किया गया। 

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