Good Food Challenge : भारत में शुद्ध भोजन जुटाना लोगों के लिए कैसे बनी चुनौती? एक रिपोर्ट में हुआ खुलासा
Good Food Challenge : सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) और डाउन टू अर्थ पत्रिका की ओर से जारी की गयी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 71 प्रतिशत भारतीय स्वस्थ आहार लेने में सक्षम नहीं हैं। वहीं, वैश्विक औसत की बात करें तो यह आंकड़ा 42 प्रतिशत है...
Good Food is Challenge : एक ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश के 71 फीसदी लोग शुद्ध आहार का प्रबंध (Good Food is Challenge) करने में असमर्थ हैं। ऐसें में लोगों को जैसा-तैसा भोजन कर दिन काटना पड़ रहा है, जिससे वे असमय ही काल के गाल में समा जा रहे हैं। एक सर्वे रिपोर्ट में जो परिणाम सामने आये हैं उसके अनुसार अधिकतर भारतीय भोजन का खर्च नहीं उठा सकते हैं और इस कारण (Good Food is Challenge) खराब भोजन का सेवन करके गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं और उचित इलाज के अभाव में उनकी मौत तक हो जाती है। इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि औसत भारतीयों की थाली से पौष्टिक भोजन के रूप में मान्य फल, दूध तथा हरी सब्जियां गायब हैं, ऐसे में उनका स्वास्थ्य पोषक तत्वों की कमी के कारण प्रभावित हो रहा है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) और डाउन टू अर्थ पत्रिका की ओर से जारी की गयी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 71 प्रतिशत भारतीय स्वस्थ आहार लेने में सक्षम (Good Food is Challenge) नहीं हैं। वहीं, वैश्विक औसत की बात करें तो यह आंकड़ा 42 प्रतिशत है। जबकि एक औसत भारतीय के आहार में आमतौर पर फल, सब्जियां, फलियां, नट्स और साबुत अनाज की कमी होती है। एक सामन्य भारतीय के आहार से मछली, डेयरी और रेड मीट भी बहुत कम मात्रा में शामिल है, शाकाहारी को प्राथमिकता देने वाले प्रदेशों में तो यह लगभग नगण्य है।
पोषक तत्वों की कमी के कारण इन बीमारियों का शिकार हो रहे हैं लोग
रिपोर्ट में यह बात भी निकलकर सामने आयी है कि खराब आहार लेने के कारण (Good Food is Challenge) लोग गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण में श्वसन संबंधी बीमारियों, मधुमेह, कैंसर, स्ट्रोक, कोरोना और हृदय से जुड़े रोगों का खतरा बना रहता है। सर्वे रिपोर्ट में आंकड़ों के साथ ही शुद्ध भोजन का खर्च नहीं उठा पाने के पीछे की वजह भी बताई गई है। अधिकांश भारतीय इस वजह से भी शुद्ध भोजन का खर्च नहीं उठा सकते, क्योंकि उनकी आय इस अनुपात में नहीं है कि वे अपने खाने-पीने का ख्याल रख सके। दिन ब दिन बढ़ रही महंगाई के कारण उनके लिए खाने-पीने पर विशेष खर्च करना संभव नहीं है। वहीं दूसरी ओर पोषक तत्वों से परिपूर्ण खाद्य पदार्थों के बारे में आम आदमी के पास जानकारी का भी अभाव है। यही कारण है कि वे अच्छे खान-पान पर खर्च नहीं कर पाते हैं।
कैसा होना चाहिए हमारा भोजन?
रिपोर्ट में यह बात निकलकर सामने आयी है कि 20 वर्ष और उससे अधिक आयु के वयस्क हर दिन केवल 35.8 ग्राम फलों का सेवन करते हैं, डॉक्टर 200 ग्राम फल और 168.7 ग्राम सब्जियां प्रतिदिन लेने को आदर्श स्थिति मानते हैं। इसी तरह, ऐसे व्यस्क प्रतिदिन सिर्फ 24.9 ग्राम (आदर्श लक्ष्य का 25%) फलियां और 3.2 ग्राम (लक्ष्य का मात्र 13%) प्रतिदिन ड्राईफ्रूट्स का सेवन करते हैं।
रोज बढ़ रही महंगाई से आम लोग हैं परेशान
हामरे देश में बीते एक साल के दौरान उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) मुद्रास्फीति में 327 प्रतिशत का इजाफा (Good Food is Challenge) देखा गया है, जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में इस दौरान 84 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। डाउन टू अर्थ के प्रबंध संपादक रिचर्ड महापात्रा का इस बारे में कहना है कि सच्चाई यह है कि आंकड़ों (क्रिटिकल डेटा) के विश्लेषण से यह बात निकलकर सामने आती है कि मार्च-अप्रैल 2022 में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य कीमतों में अधिक तेजी आयी है। इससे गरीबों के लिए अच्छा भोजन जुटाना एक चुनौती बन गया है।