84 वर्षीय स्टेन स्वामी को मारने वाली सरकारी एजेंसियां 7800 करोड़ के घोटाले के आरोपी को जेल से छोड़कर बेखबर

करीब 7820 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले का आरोपी फ्रॉस्ट इंटरनेशनल लिमिटेड का निदेशक व हीरा कारोबारी उदय देसाई खमोशी से जेल से बाहर आ गया और जांच से जुड़ी एजेंसियों को इसकी खबर तक नहीं है, उसे 22 जून को ही 60 दिन की अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया है

Update: 2021-07-09 02:41 GMT

(84 वर्षीय स्टेन स्वामी को मारने वाली सरकारी एजेंसियां 7800 करोड़ के घोटाले के आरोपी उदय देसाई को जेल से छोड़कर बेखबर)

कानपुर जनज्वार। सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी का 84 साल की उम्र में हिरासत में 5 जुलाई को निधन हो गया। बढ़ती उम्र और बीमारी के बाद भी उनकी जमानत याचिका खारिज की गयी, फिर इलाज में लापरवाही बरतने की बात भी सामने आयी। इसे लेकर लोगों में जांच एजेंसी के प्रति रोष है। लोगों ने इसे बीमारी से हुई मौत नहीं, बल्कि 'साजिश के तहत हुई हत्या' करार दिया। एक ओर एक बुजुर्ग बीमार सामाजिक कार्यकर्ता के साथ ऐसा बर्ताव, वहीं दूसरी ओर सरकारी जांच एंजेसी की बड़ी लापरवाही सामने आयी है। जहां करीब 7820 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी का आरोपी जेल से बाहर है, और जांच एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं है।

7800 करोड़ घोटाले का आरोपी बाहर, जांच एजेंसी बेखबर

करीब 7820 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले का आरोपी फ्रॉस्ट इंटरनेशनल लिमिटेड का निदेशक व हीरा कारोबारी उदय देसाई खमोशी से जेल से बाहर आ गया और जांच से जुड़ी एजेंसियों को इसकी खबर तक नहीं है। उसे 60 दिन की अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया है। सबसे हैरानी की बात ये है कि हाईपावर कमेटी की गाइड लाइन के तहत विशेष न्यायाधीश की ओर से जेल में दिया गया आदेश लगभग 15 दिन बाद भी कंपनी मामलों की सुनवाई के लिए बनाये गये स्पेशल कोर्ट की फाइल में दाखिल नहीं हुआ।

22 जून को ही छूटा उदय देसाई

उल्लेखनीय है कि जिसे देश की सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने बेल नहीं दी, वो 5 लाख के निचलके मुचलके पर रिहा हो गया। बता दें कि कोरोना काल में बंदियों को पैरोल पर छोड़े जाने के लिए बनाई गई हाईपावर कमेटी के न्यायाधीश ने 22 जून को जेल से ही उदय देसाई की अंतरिम जमानत मंजूर कर ली। और करीब 15 दिनों तक जांच एजेंसियों को इसकी कोई जानकारी नहीं थी।उदय देसाई ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित अपनी ही जमानत याचिका पर जब शपथ पत्र लगाया तब उसके जेल से छुटने का खुलासा हुआ। हालांकि, विशेष अदालत ने शपथ पत्र लिया है कि वो देश छोड़कर बाहर नहीं जायेगा।

अब कारपोरेट मंत्रालय की जांच विंग एसएफआईओ (सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस) की ओर से दिए गए शिकायती पत्र पर कंपनी मामलों की सुनवाई के लिए गठित विशेष न्यायालय के न्यायाधीश ने लिपिक से रिपोर्ट मांगी है। मामले को लेकर एसएफआईओ ने हाईकोर्ट में रिवीजन दाखिल करने का मन बनाया। एसएफआईओ के स्थायी अधिवक्ता कौशल किशोर शर्मा ने मामले की जानकारी ली तो पता चला कि बेल ऑर्डर और बंधपत्र कोर्ट में चल रही फाइल में अब तक दाखिल नहीं हुए।

बुधवार 7 जुलाई को कोर्ट में दी अर्जी में कौशल किशोर ने कहा कि उदय की जमानत हाईकोर्ट से 25 मार्च 2021 को खारिज हो चुकी है। इससे पहले कोविड-19 के आधार पर दिया गया अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र भी खारिज किया जा चुका है। जेल में बेल अर्जी की सुनवाई के दौरान एसएफआईओ का पक्ष भी नहीं सुना गया। उन्होंने कोर्ट की फाइल में जमानत आदेश दाखिल हुए बिना उदय देसाई को छोड़े जाने पर संदेह जताया। उन्होंने कोर्ट से आदेश की प्रति दिए जाने की मांग की है।

उठ रहे हैं कई सवाल

फाइल में आदेश नहीं होने के कारण एसएफआईओ (सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस) को गुरुवार 8 जुलाई को भी आदेश की मूल कॉपी नहीं मिली। इतने बड़े घोटाले के आरोपी की जमानत में जेल अधीक्षक के अलावा जेल चिकित्सक और जिलाधिकारी की रिपोर्ट भी मददगार साबित हुई। जेल चिकित्साधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में उदय देसाई का इलाज लखनऊ के एसजीपीजीआई के एक्सपर्ट के निर्देश पर करने की बात कही । साथ ही 65 साल के उदय देसाई को कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित बताया गया और पोस्ट कोविड के कारण विशेषज्ञों द्वारा लगातार इलाज कराने की हिदायत भी दी गई थी।

वहीं डीएम की रिपोर्ट में कहा गया कि उदय सजायाफ्ता कैदी नहीं, बल्कि विचाराधीन बंदी है और उसके मामले में हाई पॉवर कमेटी के निर्देश लागू होते हैं। आरोपी उदय ने जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान विशेष न्यायाधीश के सामने गंभीर बीमारी का हवाला दिया था। विशेष न्यायाधीश ने परिस्थितियों और सभी रिपोर्ट के आधार पर अंतरिम जमानत मंजूर कर ली। 5 लाख के निचले मुचलके के साथ उससे इस बात का शपथपत्र लिया कि वह जमानत के 60 दिनों की अवधि में कोई गैरकानूनी काम नहीं करेगा, बगैर कोर्ट की अनुमति के देश नहीं छोड़ेगा और 60 दिनों बाद अदालत में सरेंडर कर देगा।

उदय देसाई पर है गंभीर आरोप

कमोडिटीस एंड मर्चेंट ट्रेडिंग का व्यापार करने वाली फ्रॉस्ट इंटरनेशनल लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर और मोहन स्टील लिमिटेड के निदेशक व ऑडिट कमेटी के चेयरमैन रह चुके उदय देसाई पर कंपनी खातों में हेराफेरी कर बैंकों से लगभग 7820 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने का आरोप है। सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस की ओर से 15 मई 2020 को कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसमें उदय देसाई के साथ उनका बेटा सुजय देसाई भी आरोपी हैं। एसएफआईओ के वकील कौशल किशोर शर्मा ने जानकारी दी कि उदय देसाई पर बड़े और गंभीर आरोप हैं। कानून के तहत उसे दस साल तक की सजा हो सकती है और लगभग 12 करोड़ रुपये का जुर्माना भी अदा करना पड़ सकता है। आदेश की सत्य प्रति मिलते ही अंतरिम जमानत के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की जाएगी।

उन्होंने बताया कि कंपनी अधिनियम के तहत बिना शासकीय अधिवक्ता का पक्ष सुने जमानत प्रार्थना पत्र का निस्तारण नहीं किया जा सकता। घोटाले के आरोपी उदय देसाई का पैरोल, अंतरिम जमानत व जमानत प्रार्थना पत्र हाईकोर्ट से खारिज हो चुका है। कंपनी एक्ट के विशेष न्यायाधीश की कोर्ट में उदय ने 13 मई 2021 को भी अंतरिम जमानत अर्जी दी थी, लेकिन उसे वापस ले लिया था। कोरोनाकाल में ही मामले में दोनों आरोपियों की जमानत अर्जी प्रभारी विशेष न्यायाधीश ने खारिज कर दी थी।

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