Ground Report : ऊबड़-खाबड़ सड़कों पर बहती नालियों से परेशान हैं सांसद अनुराग शर्मा के गोद लिए सरवां गांव के लोग

Ground Report : सरवा गांव में प्रवेश करते समय बाहर सड़क पर लगे पत्थर को देखने से जानकारी मिली कि ग्राम पंचायत सरवां को सांसद आदर्श ग्राम के रूप में वर्ष 2019-20 में चयनित किया गया था।

Update: 2021-10-27 14:42 GMT

झांसी से लक्ष्मी नारायण शर्मा की रिपोर्ट

Ground Report । किसी चयनित गांव को मॉडल के रूप में विकसित कर अन्य गांव को प्रेरित करने के मकसद से शुरू हुई सांसद आदर्श गांव योजना (Sansad Adarsh Gram Yojana) की सच्चाई जानने के लिए जब हम झांसी जिले (Jhansi District) के बबीना ब्लॉक के सरवां गांव पहुंचे तो यहां जो तस्वीर देखने को मिली, उसने कई सवाल खड़े कर दिए। पूरे गांव की टूटी सड़कें और सड़कों पर बहती नालियां इस गांव की दुर्दशा की कहानी बयां करती दिखाई दी। गांव में पानी की व्यवस्था के लिए सांसद अनुराग शर्मा (Anuraj Sharma) की ओर से प्रयास शुरू हुए हैं और पेयजल योजना पर भी काम चल रहे हैं लेकिन इस गांव के लोगों ने सामान्य तौर पर जो राय रखी, उससे सांसद के प्रति नाराजगी उभर कर सामने आ गई। खुद भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता और ग्राम प्रधान भी कहते हैं कि गांव के विकास को लेकर जो उम्मीदें थीं, वे पूरी नहीं हुई हैं। 

वर्ष 2019-20 में चयनित हुआ गांव 

गांव में प्रवेश करते समय बाहर सड़क पर लगे पत्थर को देखने से जानकारी मिली कि ग्राम पंचायत सरवां को सांसद आदर्श ग्राम के रूप में वर्ष 2019-20 में चयनित किया गया है। गांव के बाहर एक राजकीय हाईस्कूल का भवन दिखाई देता है, जो देखने में साफ-सुथरा और नया दिखाई देता है। गांव में प्रवेश करते ही पानी के बताशे की दुकान पर मौजूद युवक गगन कहते हैं कि गांव में काफी परिवर्तन हुआ है। नदी पर कुछ काम हुआ है। लोगों के लिये आवास भी आये हैं। नालियों की सफाई हुई है। बिजली कभी आती है, कभी जाती है। गांव के अंकेश बताते हैं कि विद्यालय में शिक्षक समय से आते हैं।

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आवास और पेंशन की समस्या की समस्या

गांव की बुजुर्ग महिला कमला बताती हैं कि यहां कोई काम नहीं किया गया। बिजली आती है और कभी चली जाती है। शिव कुमार सेन बताते हैं कि हमने गांव के विकास और अपने लिए आवास की उम्मीद रखी थी। गांव में किराए के मकान में रहते हैं। हमने प्रधान जी और सांसद जी से इस बारे में बात की है लेकिन आवास नहीं आ रहा है। गांव में इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। शिव कुमार से बातचीत के दौरान टोकते हुए कमला बताती हैं कि उन्हें पेंशन नहीं मिल रही है। गांव में अस्पताल है लेकिन इलाज की व्यवस्था नहीं है। ऐसे ही गन्दी पड़ी है। 


सरकारी खरीद केंद्रों से परेशान

गांव में थोड़ा आगे बढ़ने के दौरान हमें सड़कों पर बहता नाली का पानी दिखाई पड़ता है। यहीं एक घर के सामने बैठे कामता प्रसाद से हमने बात की। कामता बताते हैं कि सांसद जी ने गोद तो ले लिया लेकिन जैसे पहले थे, वैसे अभी हैं। हम खेती करते हैं और गेंहू, मूँगफली, उर्द उगाते हैं। हमने आज तक सरकारी रेट देखी ही नहीं है कि यह किधर है। फायदा की बात छोड़ो, आमदनी नीचे चली गई। पहले गेंहू 25 और 26 रुपये किलो बिक जाती थी। आज 16-17 में बिक रही है। गांव में सड़कों की स्थिति ऐसी है कि आप निकल नहीं पाओगे।

किसानों की नहीं बढ़ी आमदनी

कामता प्रसाद के पास में ही बैठे राम सहाय बातचीत में कहते हैं कि गांव जैसा पहले था, वैसा अभी है। स्कूल दो बनवाये हैं। अस्पताल बन्द पड़ी है। सड़के खराब पड़ी हैं। हम अपनी फसल सरकारी केंद्र पर नहीं बेचते हैं क्योंकि वहां कागज के नाम पर परेशान करते हैं और चक्कर कटवाते हैं। हम यहीं व्यापारी को बेच देते हैं। मूंगफली चालीस से पैंतालीस के रेट में बेच रहे हैं। आमदनी में किसी तरह की कोई बढोत्तरी नहीं हुई है।


सड़कों की स्थिति बेहद खराब

यहां से थोड़ा आगे बढ़ते हैं तो लखन सिंह मिलते हैं। लखन बताते हैं कि सांसद जी के कारण गांव में सबको कोरोना वैक्सीन लगा है लेकिन सड़कों को लेकर गांव के लोगों की बहुत सारी मांग थी। शायद वह मांग उन तक नहीं पहुंची है, इसलिए काम नहीं हो पाया है। गांव में कई जगहों पर पानी की दिक्कत है। पाइपलाइन डाली जा रही है, इसलिए भी सड़कों की स्थिति खराब हो गई है। राम जाने कब ठीक होगी। मोहन सिंह कहते हैं कि दिखाने को तो सब कुछ हुआ लेकिन असल में कुछ नहीं हुआ। हम चाहते हैं कि गांव में साफ-सफाई और सड़क की बेहतर व्यवस्था हो जाये। खेती से आमदनी बढ़ने के सवाल पर मोहन कहते हैं कि हमें मालूम ही नहीं कि सरकारी केंद्र कहाँ है। आप ही बता दो कहाँ है। व्यापारी यहीं से खरीद ले जाते हैं।

सामुदायिक शौचालय पर ताला

लखन और मोहन से बात कर जब आगे बढ़ते हैं तो हमें ऊबड़खाबड़ सड़कें और सूखा पड़ा हैण्डपम्प दिखाई देता है। थोड़ी दूरी पर सोलर पंप लगा दिखाई देता है जो सम्भवतः एक साल पहले सांसद अनुराग शर्मा की ओर से लगवाया गया है। इससे आगे बढ़ने पर एक सामुदायिक शौचालय दिखाई पड़ा, जिस पर ताला लगा दिखाई दिया। इसके पास ही स्वास्थ्य केंद्र स्थित है, जिस पर ताला लटका दिखाई दिया। 


ग्राम प्रधान ने भी सांसद से जताई नाराजगी

इसके बाद वापस लौटकर जब हमने ग्राम प्रधान से बात की तो प्रधान ने भी गांव के लोगों के सुर में सुर मिलाते हुए नाराजगी और निराशा जाहिर की। ग्राम प्रधान अशोक कुमार राजपूत कहते हैं कि गांव को गोद तो लिया गया है लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ है। कोई काम नहीं हुआ है। आज तक कोई ऐसा काम नहीं हुआ जो सही हुआ हो। हमारे गांव में पंचायत भवन होना चाहिए। एक भी सड़क नहीं दी उन्होंने। गांव की पूरी व्यवस्था फेल है। हमने प्रयास किया। सांसद जी के यहां गए लेकिन उन्होंने सुना नहीं। सांसद जी खुद आएं और गांव की हालत देखें।

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