Ground Report : PM-CM ने कागजों में बना दिया यूपी को नंबर वन जबकि प्रधानमंत्री के आदर्श गांवों को छू भी नहीं सका विकास

साल 2018-19 में 10 गांव, 2019-20 में 28 गांव तो 2020-21 में 37 गावों को प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना में चयनित किया गया था। ये सभी गांव 50 प्रतिशत अनुसूचित आबादी के पिछड़े गांव हैं। 2018 और 2019 में 10 टीमें लगाकर इन गावों का सत्यापन कराया गया था...

Update: 2021-07-17 10:28 GMT

चुनाव के मद्देनजर पीएम-सीएम ने यूपी को नंबर वन बता दिया.लेकिन कागजों के बाहर हकीकत अलग है.

मनीष दुबे की रिपोर्ट

जनज्वार, कानपुर। प्रधानमंत्री मोदी आज से दो दिन पहले जब काशी में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राज्य में विकास कराने के लिए पीठ ठोंक रहे थे तो उन्हें जरा भी इल्म नहीं होगा की यहां हजारों की तादाद में गांव भी हैं। जिनमें सैंकड़ों की संख्या में ऐसे गांव भी हैं जो विकास नाम की चीज से आज भी कोसों दूर हैं।

इन गांवों में तमाम गांव वो भी हैं जिन्हें प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम घोषित किया गया है। विकास के मायनो में जब उत्तर प्रदेश को देश का नंबर एक राज्य दिखाया बताया जा रहा है तब पीएम आदर्श ग्राम योजना के तहत आ चुके पिछड़े गांवों की सूरत नहीं बदल सकी है। जनपद कानपुर के 75 गांव इस योजना में शामिल होने के बाद भी विकास को छू तक नहीं सके हैं।

आदर्श गांव पारा का बहता विकास

सरसौल विकास खण्ड के चार गांव पारा, टीकरभाऊ, भगुवाखेड़ा सहित पाल्हेपुर में आज जनज्वार पहुँचा था। इस गांव में विकास की बात करने पर कई लोग हंसने लगते हैं। जगह-जगह गंदगी, तालाबों में काई सहित जमा खर-पतवार बहती नालियां, गडढों वाली सड़कें आपको अमूमन देखने को मिलेगी। और तो सरकारी योजना के तहत बनवाई गये शौचालयों की हालत ना देख सकने वाली है। किसी में दरवाजा नहीं तो किसी में सीट नहीं छत की तो बात ही भूल जाइये।

पारा गांव में अपनी भैंस को नहला रहे पन्नालाल पाठक को हमने जब बताया कि आपका गांव आदर्श गांव है, फिर भी विकास नहीं है? जिसपर पन्नालाल खिसियाई हंसी हंसकर कहते हैं देखिए है तो विकास (बहती नाली दिखाते हुए) विकासै-विकास तो हो रहा है। इस गांव में आज तक एक काम ढ़ंग का नहीं हुआ है। प्रधान से कोई काम कहो तो वो काम करने की एवज में उल्टा हमसे ही पैसे मांगता है।  

अपनी व गांव की समस्याएं गिनाते ग्रामीण

यहां के कई लोगों ने पूर्व प्रधान राममिलन पर मकान, शौचालय वगैरा दिलाने बनवाने के नाम पर रूपये ऐंठने का आरोप लगाया। पूर्व प्रधान ने किसी से 10 हजार तो किसी से 26-26 हजार तक रूपये वसूल लिए, बावजूद इसके उन्हें आज तक मिला कुछ नहीं। इस पंचवर्षीय में अब नया प्रधान बना है। जिसपर यहां की रहने वाली ममता कहती हैं देखो अब ये क्या करते हैं।

यही कुछ हालत बाकी के गांवों की भी है। लोग झोपड़ियों और जर्जर मकानो में रह रहे हैं। सरकारें विज्ञापनो से सब बढ़िया-बढ़िया बता रही हैं। मौजीलाल कहते हैं कि एक दिन यहीं मीटिंग हुई थी। कई अधिकारी आए थे। चारों तरफ अच्छे दिखने वाले पोस्टर लगवाए गये थे। जाते हुए पोस्टर भी समेट ले गये नहीं तो आपको दिखाता की काहे का है। क्योंकि कुछ काम होता तो आपको दिखता तो, देखिए ये नाली बीमारी का घर है। बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं।

गौरतलब है कि, साल 2018-19 में 10 गांव, 2019-20 में 28 गांव तो 2020-21 में 37 गावों को प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना में चयनित किया गया था। ये सभी गांव 50 प्रतिशत अनुसूचित आबादी के पिछड़े गांव हैं। 2018 और 2019 में 10 टीमें लगाकर इन गावों का सत्यापन कराया गया था। जिसके बाद समाज कल्याण विकास विभाग ने कार्ययोजना का बजट बनाकर केंद्र सरकार को भेजा था। जिसका बजट नहीं मिला।

इस योजना के तहत सभी गावोॆ को 20-20 लाख रूपये की धनराशि विकास के लिए दी जाती है। पहले चरण में 10 लाख रूपये तथा दूसरे चरण में बकाया की धनराशि आवंटित की जाती है। बता दें कि 2018 से पहले इस योजना का संचालन डीआरडीए विभाग द्वारा किया जा रहा था। वहीं अब इस योजना का संचालन समाज कल्याण विकास विभाग द्वारा किया जा रहा है। 

पढ़ाई के अभाव में दुकानदारी सीखते गांव भगुवाखेड़ा के भविष्य

पारा व भगुवाखेड़ा का चयन 2020-21 में पीएम आदर्श गांव के लिए किया गया है। कहा जाता है कि केंद्र से बजट पास नहीं हुआ है जिसके चलते इन गांवों की सड़कों पर गडढे दिखाई देते हैं। पारा गांव के रहने वाले मौजीलाल यादव, रामश्री, रामगोपाल, जयसिंह, प्रहलाद सिंह अपनी वृद्धा पेंशन के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। 

टीकरभाऊ के ग्राम पंचायत सचिव रवि यादव कहते हैं कि बजट ना मिलने के चलते कई काम तो ग्राम पंचायत की निधि से करवाए गये हैं। गांव के पन्नालाल पाठक व मनोज यादव ने बताया कि अधिकारियों ने गांव में पानी की टंकी सहित सीसी रोड व गलियों में इंटरलाकिंग लगाने की बात कही थी। लोकिन भगवान जाने कि ये सब काम होंगे कब।

समाज कल्याण अधिकारी प्रज्ञा पांडेय बताती हैं कि तीन साल से लगातार गांवों का सर्वे कर शासन को रिपोर्ट भेजी जा रही है। बजट ना मिलने के कारण गावों में कोई भी विकास नहीं कराया जा सका है। जैसे ही बजट पास होगा सभी विकास कार्य अविलंब शुरू करवा दिए जाएंगे। 

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