GST Returns : जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की तारीख बढ़ी, जानिए किस महीने तक कारोबारी फाइल कर सकते हैं रिटर्न
GST Returns : कारोबारियों के लिए फाइनेंशियल ईयर 2020-21 के लिए जीएसटी वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख को बढ़ा दिया गया है, कारोबारियों को केंद्र सरकार की तरफ से और 2 महीने का समय दिया गया है...
GST Returns : केंद्र सरकार के नए आदेश ने कारोबारियों कि मुश्किल आसान कर दी है। केंद्र सरकार के आदेश से कारोबारियों को एक बड़ी राहत मिली है। कारोबारियों के लिए फाइनेंशियल ईयर 2020-21 के लिए जीएसटी वार्षिक रिटर्न (GST Returns) दाखिल करने की आखिरी तारीख को बढ़ा दिया गया है। इस आदेश के बाद अब सभी कारोबारियों को 31 दिसंबर तक फाइनेंशियल ईयर 2020-21 के लिए रिटर्न (GST Returns) दाखिल करने की चिंता नहीं रहेगी। बता दें कि कारोबारियों को केंद्र सरकार की तरफ से और 2 महीने का समय दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस बात की जानकारी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने दी है।
क्या है आदेश
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने इस जानकारी को शेयर करते हुए कहा कि फाइनेंसियल ईयर 2020-21 के लिए फॉर्म GSTR-9 वार्षिक रिटर्न (GST Returns) और फॉर्म GSTR-9C में स्व-प्रमाणित सुलह विवरण प्रस्तुत करने की नियत तारीख 31 दिसंबर से बढ़ाकर 28 फरवरी 2022 कर दी गई है।
क्या है GSRT-9
बता देती जो कारोबारी जीएसटी में पंजीकृत होते हैं। उन्हें फाइनेंशियल ईयर के आखिर में आउटवर्क और इनवर्डआपूर्ति का विवरण देना होता है। इसे ही वार्षिक रिटर्न (GST Returns) कहते हैं। इसमें कारोबारियों को GSTR-9C और GSTR-9 फोन के जरिए फाइल करना होता है।
नए साल पर क्या होगा महंगा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नए साल में कपड़े और जूते खरीदना महंगा हो जाएगा। क्योंकि इन सभी वस्तुओं पर लगने वाला वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी में इजाफा हो जाएगा। खबर है कि आप 5 फीसदी से बढ़ाकर 12% तक कर दिया जाएगा। मेरा रिपोर्ट के अनुसार सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स (CBIC) इस बढ़ोतरी के प्रस्ताव के बारे में नवंबर में सूचित कर चुका है
यह कॉमर्स ऑपरेटरों पर जीएसटी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जोमैटो (Zamato) स्विग्गी (Swiggy) ओला (Ola) और उबेर (Uber) सहित ई-कॉमर्स ऑपरेटर स्पर्शने जीएसटी (GST Returns) का दबाव बढ़ेगा। बता दें कि 17 सितंबर को जीएसटी टैक्स काउंसलिंग की मीटिंग में निर्णय हुआ था कि ई-कॉमर्स ऑपरेटरों को उनके जरिए दी जाने वाली शिवम और टैक्स पेमेंट के लिए उत्तरदायी बनाया जाएगा।