गुजरात : भाजपा विधायक वीरेंद्र सिंह जाडेजा ने नियमों की उड़ाई धज्जियां, हादसे में एक व्यक्ति की हो गई मौत
गुजरात में ऐसा लगता है कि जनता और विपक्ष के लिए अलग कायदे बने हैं, जबकि सत्ताधारी बीजेपी के लोगों को उन नियम-कायदों से छूट हासिल है...
अहमदाबाद से दत्तेश भावसार की रिपोर्ट
अहमदाबाद। कोरोना वैश्विक महामारी के समय में पूरे देश में भीड़-भाड़ वाले आयोजन की अनुमति नहीं है। परंतु, गुजरात में सत्ताधारी भाजपा के विधायकों और नेताओं के लिए सारे कायदे कागजों तक सीमित रह चुके हैं। कच्छ के मुंद्रा के विधायक वीरेंद्र सिंह जाडेजा (Virendrasinh Bahadursinh Jadeja) ने मुंद्रा गांव के तालाब भरने की खुशी में एक कार्यक्रम में बिना मास्क पहने भाग लिया और इस आयोजन में सोशल डिस्टेंशिंग के नियमों को भी धता बता दिया गया। इतना ही नहीं आयोजन के दौरान प्रसाद प्राप्त करने के कार्यक्रम के दौरान हुए हादसे में एक युवक की पानी में डूब कर मौत भी हो गई।
यह कार्यक्रम ऐसे समय में हुआ है, जबकि पूरे देश में कहीं पर भी भीड़ लगाने वाले कार्यक्रम के आयोजन पर रोक है। इस महामारी के समय में सौ से डेढ़ सौ साल पुरानी परंपराओं के निर्वहन को भी फिलहाल छोड़ दिया गया है, लेकिन सत्ताधारियों के तेवर से लगता है कि गुजरात में सारे कायदे और कानून सिर्फ जनता और विपक्ष के लिए बने हैं। मालूम हो कि गुजरात में मास्क नहीं पहनने पर 1000 रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान है।
पानी से तालाब भरने की खुशी में कार्यक्रम का आयोजन
मुंद्रा विस्तार मैं तीन दिन पहले तालाब भरने की खुशी में तालाब के किनारे एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें स्थानीय विधायक ने हिस्सा लिया। इसमें ना ही उन्होंने मास्क लगाया हुआ था और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया था। मंगलवार, 18 अगस्त को तालाब भरने की खुशी में आयोजित कार्यक्रम में अच्छी संख्या में लोगों के हिस्सा लिया था। कच्छ के गांवों में जब बारिश में तालाब का पानी लबालब भर जाता है तो लोग पूजा का आयोजन करते हैं। पानी में दूर तक नारियल फेंका जाता है। जो जितना दूर तक नारियल फेंकता है और जो जितनी दूर से उसे पकड़ लाता है, उसे उतना ही भाग्यशाली माना जाता है। कच्छ इलाके में 15 सालों बाद इतनी अच्छी बारिश हुई है और इसी को लेकर कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
इस आयोजन में विधायक वीरेंद्र सिंह जाडेजा शामिल हुए। विधायक की मौजूदगी में तालाब में नारियल फेंके जाने का कार्यक्रम हुए जिसे पकड़ने के लिए तीन लड़के काफी अंदर तक चले गए और उसमें एक लड़का पानी में डूब कर लापता हो गया। हादसे के बाद राहत-बचाव दल को भी बुलाया गया, लेकिन कोई उस लड़के को सुरक्षित बाहर नहीं निकाल कर ला सका और उसकी मौत हो गई।
यह तब हुआ जब इस आयोजन के पहले ही प्रशासन द्वारा यह अलर्ट जारी किया गया था कि भारी बारिश से जलस्रोत भर गए हैं और ऐसे में कोई वैसे जलस्रोतों के पास न जाए। लेकिन, इसकी उपेक्षा की गई। इसके बावजूद सत्ता पक्ष का रसूखदार विधायक होने की वजह से आज तक उनके खिलाफ कोई मुकदमा दायर नहीं हुआ। वहीं, विधायक की ओर से तरफ से तालाब में डाले जाने वाले प्रसाद को लेने के लिए कई लोग तालाब में उतरे जिनमें से एक व्यक्ति की डूबने से मृत्यु हो गई। विधायक ने इससे पहले मांडवी में भी ऐसे ही आयोजन में हिस्सा लिया था, जिसमें 200 से 300 लोग शामिल हुए थे। अगर थोड़े दिन पहले उनके द्वारा आयोजित कार्यक्रम के खिलाफ जिला प्रशासन ने कार्रवाई की होती तो आज इस कार्यक्रम का आयोजन ना हुआ होता और एक व्यक्ति की जिंदगी भी बच गई होती।
विपक्षियों पर आसानी से हो जाती है कार्रवाई
वैश्विक महामारी कोरोना के प्रकोप के दौरा में बिना अनुमति हुए आयोजन के बावजूद जिला प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसकी वजह इसका सत्ताधारी भाजपा का आयोजन होना था। जबकि सामान्य विरोध प्रदर्शन करने के चलते विपक्ष के कई लोगों के खिलाफ मुकदमे दायर किए जाते हैं और जनता को बड़े दंड की भरपाई करने पड़ती है। गुजरात में जिसकी लाठी उसकी भैंस की कहावत चरितार्थ होती दिखती है। गुजरात बीजेपी के प्रभारी सीआर पाटील भी पूरे गुजरात में कई जगहों पर नियमों का भंग करते हुए दिखाई दिए थे, लेकिन पूरे गुजरात में सत्ता पक्ष के लिए एक कायदा है और जनता के लिए दूसरा कायदा है।