Gujarat riots 2002: गुजरात दंगा मामले में जाकिया जाफरी को सुप्रीम कोर्ट से मिला झटका, मोदी के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज

Gujarat riots 2002: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि जकिया जाफरी की अपील में कोई दम नहीं है इसलिए इसे खारिज किया जाता है।

Update: 2022-06-24 07:02 GMT

Gujarat riots 2002: गुजरात दंगा मामले में जाकिया जाफरी को सुप्रीम कोर्ट से मिला झटका, मोदी के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज

Gujarat riots 2002: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Then Gujarat Chief Minister Narendra Modi) समेत 64 लोगों को एसआईटी (SIT) की क्लीन चिट को चुनौती देने वाली जकिया जाफरी (Zakia Jafri's) की याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि जकिया जाफरी की अपील में कोई दम नहीं है इसलिए इसे खारिज किया जाता है।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने एसआईटी द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ जाफरी की विरोध याचिका को खारिज करने के विशेष मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखा है। वह दिवंगत सांसद एहसान जाफरी की पत्नी हैं। जानकारी के लिए बता दें, साल 2000 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस को आग के हवाले कर दिया गया था। जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी। इसके एक दिन बाद अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी में दंगे हो गए थे। इन दंगों में एहसान जाफरी समेत 68 लोग मारे गए थे।


इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर को कहा था कि वह 64 व्यक्तियों को क्लीन चिट देने वाली विशेष जांच दल की क्लोजर रिपोर्ट और इसे स्वीकार करते हुए मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा दिए गए औचित्य पर गौर करना चाहेगी। सिब्बल ने पहले तर्क दिया था कि जाफरी की शिकायत थी कि दंगा भड़काने की एक बड़ी साजिश थी। जहां नौकरशाही निष्क्रियता, पुलिस की मिलीभगत, अभद्र भाषा और हिंसा को बढ़ावा दिया गया था।

8 फरवरी 2012 को एसआईटी ने नरेंद्र मोदी अब प्रधानमंत्री, और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों सहित 63 अन्य को क्लीन चिट देते हुए एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि उनके खिलाफ कोई मुकदमा चलाने योग्य सबूत नहीं है। जकिया जाफरी ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर गुजरात हाईकोर्ट के 5 अक्टूबर 2017 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें एसआईटी के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था।

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