Haryana : पुलिस ने रिपोर्ट गलत बताकर भास्कर के 2 पत्रकारों को उठाया, IFJ व IUJ ने कहा सरकार प्रेस का गला घोंटने पर आमादा

जांच अधिकारी द्वारा अदालत में पेश किए गए रिमांड पेपर और अखबार की प्रति को देखने के बाद, अदालत ने सबूत देखते हुए माना कि इसमें ऐसा कुछ भी नहीं था, जो वर्गों के बीच दुश्मनी पैदा कर सकता...

Update: 2021-09-22 12:50 GMT

(दैनिक भास्कर के दो पत्रकारों को पुलिस ने किया गिरफ्तार अदालत ने छोड़ा)

Dainik Bhaskar Journalist Arrest (जनज्वार) : दैनिक भास्कर द्वारा एक संदिग्ध आतंकवादी की गिरफ्तारी संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित करने में 'तथ्यात्मक त्रुटि' का हवाला देते हुए हरियाणा पुलिस ने अखबार के संपादक संदीप शर्मा सहित रिपोर्टर सुनील बरार को गिरफ्तार किया था। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (IFJ) और इसके सहयोगी इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन (IUJ) ने मीडिया को डराने और राष्ट्रीय हित की कहानियों पर रिपोर्टिंग को रोकने के लिए राज्य की शक्ति के दुरुपयोग की निंदा की है।

यह था पूरा मामला

पंजाब पुलिस की एक टीम ने 15 सितंबर काे अम्बाला से आतंकी रुबल सिंह को पकड़ा था। पंजाब पुलिस ने विज्ञप्ति भी जारी की थी। भास्कर समाचारपत्र ने सूत्रों के हवाले से यह गिरफ्तारी आईओसी डिपो से प्रकाशित की थी। लेकिन गिरफ्तारी की सही लोकेशन मरदाे साहिब थी। इसे 17 सितंबर को दुरुस्त कर दिया गया था।

उधर, पड़ाव थाने के एसएचओ राधेश्याम ने शिकायत दी कि पत्रकार सुनील ने 15 सितंबर की रात मुझे फोन करके बताया कि मेरे इलाके में आईओसी डिपो के पास से एक आतंकवादी पकड़ा गया है। मैंने कहा कि मेरे पास ऐसी सूचना नहीं है। फिर भी पत्रकार ने यह झूठी व असत्यापित खबर 16 सितंबर के अंक में प्रकाशित की है। इससे समाज में दशहत का माहौल है। साथ ही सामाजिक और जातीय दंगे भड़कने का अंदेशा है।'

पंजाब बम धमाके के थे कथित आरोपी

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 पुलिस का क्या कहना है?

लेकिन कहा जा रहा है कि, भास्कर (Dainik Bhaskar Journalist Arrest) की रिपोर्ट में जगह को लेकर गलत तरीके से पहचान की गई। पुलिस के मुताबिक, संदिग्धों को 'मरदो साहिब गांव' के बजाय 'अंबाला जिले में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन डिपो के पास अंबाला छावनी क्षेत्र' के रूप में गिरफ्तार किया गया था। जबकि, दोनों स्थानों के बीच की दूरी 20 किलोमीटर है। भास्कर की रिपोर्ट में यह आईओसी छपा था, जिसे बाद में ठीक कर लिया गया था।

बीती 17 सितंबर को गलती को सुधारने के बावजूद, अखबार के संपादक संदीप शर्मा और रिपोर्टर सुनील बराड़ को भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया और धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 177 (गलत जानकारी) सहित 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) व तथ्यात्मक त्रुटि के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 505 (2) (वर्गों के बीच शत्रुता, घृणा या दुर्भावना पैदा करना या बढ़ावा देना) के तहत गिरफ्तार किया गया है।

अदालत ने माना निर्दोष

अदालत में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि शर्मा और बरार ने जनता को गलत सूचना दी और रिपोर्ट से दहशत पैदा करने का प्रयास किया। बाद में 18 सितंबर को न्यायिक मजिस्ट्रेट मुकेश कुमार की अंबाला अदालत में बराड़ को जमानत दे दी गई। मामले में जांच अधिकारी द्वारा अदालत में पेश किए गए रिमांड पेपर और अखबार की प्रति को देखने के बाद, अदालत ने सबूत देखते हुए माना कि इसमें ऐसा कुछ भी नहीं था, जो वर्गों के बीच दुश्मनी पैदा कर सकता है।

राजनीतिक पार्टियों ने की निंदा

इंडियन नेशनल लोक दल (INLD), हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट और बसपा के राजनीतिक नेताओं ने गिरफ्तारी को 'अवैध' करार देते हुए इसकी चौतरफा आलोचना की है। दैनिक भास्कर ने भारत में कोविड-19 के कुप्रबंधन पर व्यापक रूप से रिपोर्ट की थी। कर चोरी के कई आरोपों के आरोप में जुलाई में अखबार की विभिन्न आफिसों पर छापे मारे गए थे। दैनिक भास्कर समूह विभिन्न राज्यों से हिंदी और गुजराती में समाचार पत्र संस्करण निकालता है।

प्रेस एशोसिएशन ने की कड़ी आलोचना

इस सिलसिले में इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन (IJU) के अध्यक्ष, गीतार्थ पाठक ने कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा कि, 'IJU दोनों पत्रकारों के खिलाफ मामले की निंदा करता है। समाचार मीडिया में मामूली तथ्यात्मक त्रुटि हो सकती है, और इसे पहचानना और ठीक करना मीडिया का कर्तव्य है। त्रुटि के सुधार के बाद भी इस तरह की त्रुटि के खिलाफ मामला दर्ज करना सिर्फ डराने-धमकाने की रणनीति के तहत है।'

वहीं, इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (IFJ) ने कहा 'संदीप शर्मा और बरार के खिलाफ हरियाणा सरकार द्वारा दंडात्मक कार्रवाई से पता चलता है कि भारत का प्रशासन सक्रिय रूप से मीडिया की स्वतंत्रा और आलोचनात्मक आवाज को चुप कराने के लिए रास्ते तलाश रहा है।'

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