CM के कार्यक्रम में हिंसा करने वाले किसानों की पहचान नहीं कर पाई हरियाणा पुलिस, केस रद्द
350 किसानों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, पुलिस का दावा,एक भी आरोपी की पहचान नहीं हो सकी। विपक्ष का आरोप, किसानों की आवाज दबाने के लिए प्रदेश में बनाए जा रहे आपातकाल जैसे हालात....
जनज्वार ब्यूरो/चंडीगढ़। हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर के हिसार में 16 मई को आयोजित कार्यक्रम में किसानों के हिंसक प्रदर्शन मामले में पुलिस आरोपियों की पहचान नहीं कर पाई। इस वजह से कोर्ट ने एफआईआर रद्द कर दी है। पुलिस ने हिंसक झड़प के मामले में 350 किसान प्रदर्शनकारियों पर एफआईआर दर्ज की थी।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर 16 मई को हिसार में नवनिर्मित चौधरी देवीलाल संजीवनी कोविड अस्पताल का उद्घाटन करने पहुंचे थे। उनका विरोध करने के लिए किसान भी वहां पहुंच गए थे। इसी दौरान किसानों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। जिसमें पुलिस के 20 से ज्यादा कर्मचारी घायल हो गए थे। इसके बाद पुलिस ने 350 प्रदर्शनकारियों पर एफआईआर दर्ज की गई थी।
कोर्ट के निर्णय के बाद खट्टर सरकार चारो तरफ से घिर गई है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि किसानों की आवाज को दबाने के लिए सरकार कानून का दुरुपयोग कर रही है। इस निर्णय से साबित हो गया कि किस तरह से किसानों के खिलाफ मामले दर्ज हो रहे हैं। बिना सबूत और पहचान के किसानों को आरोपी बनाया जा रहा है। यह किसानों के प्रति सरकार के तानाशाही रवैये को दिखा रहा है।
तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने ऐलान कर रखा है कि जहां जहां सरकार के मंत्रियों और सीएम के कार्यक्रम होंगे, वहां किसान उनका विरोध करेंगे। मई में जब कोविड संक्रमण अपने चरम पर था,तब हिसार में मरीजों के लिए एक अस्थाई अस्पताल बनाया गया था। 16 मई को सीएम मनोहर लाल अस्पताल का उद्घाटन करने आए थे। किसानों ने पुरजोर विरोध किया था।
पुलिस ने भी किसानों पर लाठी चलाई थी। बदले में किसानों ने भी पुलिस पर पत्थर बरसाए थे। किसानों ने ऐलान किया था कि वह सरकार की दमनकारी नीति कर हर जगह विरोध करेंगे।
हरियाणा और पंजाब में कई जगह लगातार किसान तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा दिल्ली बॉर्डर पर भी किसान सात माह से डटे हुए हैं।
किसान आंदोलन सरकार के लिए परेशानी की वजह बन गया है। क्योंकि किसान अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। सरकार के लिए परेशानी की वजह तो यह है कि वह न तो प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ ठोस कार्यवाही कर सकती है, न ही चुप बैठ सकती। यदि कार्यवाही करते हैं तो ग्रामीण मतदाता सरकार से नाराज हो सकते हैं। यदि कार्यवाही नहीं करते हैं तो किसान मंत्रियों व सीएम का बाहर निकलना मुश्किल कर देंगे।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने बताया कि सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने होंगे। क्योंकि इसके सिवाय उनके पास चारा नहीं है। सरकार बेकार में ही अड़ियल रवैया अपना कर माहौल खराब कर रही है।
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार की हठधर्मिता की वजह से प्रदेश के हालत बद से बदतर होते जा रहे हैं। किसानों पर जबरदस्ती मामले दर्ज कराए जा रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि कानून का डर दिखा कर सरकार किसानों की आवाज को दबाना चाह रही है। हिसार की घटना से यह बात स्पष्ट हो गई है। पूर्व सीएम ने कहा कि किसानों पर देशद्रोह के मामले दर्ज किए जा रहे है। हर संभव कोशिश हो रही है कि किसानों को डरा कर घर बिठाया जाए।
उन्होंने कहा कि हिसार की घटना सरकार की विफलता है। खट्टर सरकार को इस पर जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस घटना की जांच भी होनी चाहिए। क्यों बेकसूर किसानों को तंग किया जाए। इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा कि किसानों को अपराधी बनाने का षड़यंत्र यह सरकार कर रही है। कोर्ट के निर्णय से स्पष्ट हो गया कि किसानों पर झूठे मामले दर्ज किए गए थे। खट्टर सरकार को इसका जवाब देना चाहिए।
किसान नेताओं ने कहा कि कोर्ट ने साबित कर दिया कि किसान सही है, उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। सरकार के लोगों ने ही हिसार में उपद्रव किया है। सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेते हुए किसानों से माफी मांगनी चाहिए। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि किसान शांतिपूर्वक आंदोलन चला रहे हैं। सरकार किसानों को बदनाम करने के लिए इस तरह की चाल चल रही है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि हमारा आंदोलन शांतिपूर्वक इसी तरह से चलता रहेगा।
इधर दूसरी ओर सिरसा में एक अन्य मामले में नेशनल हाईवे व अन्य रोड जाम करने पर पुलिस ने 875 लोगों पर केस दर्ज किया गया है। चार अलग-अलग थानों में केस दर्ज हुआ है। बड़ागुढ़ा पुलिस ने 21 जुलाई को पंजुआना के निकट रोड जाम करने के आरोप में 250, पांच दिन तक बरनाला रोड जाम करने के मामले में भी सिविल लाइन पुलिस ने 350, डबवाली पुलिस ने 125, डिंग पुलिस ने 150 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।