33 वर्षीय हिंदू लड़के ने 17 वर्षीय नाबालिग मुस्लिम से की शादी, हाईकोर्ट का आदेश- लड़की (नाबालिग) विवाह के लिए स्वतंत्र, जानिये वजह

Muslim girl can marry after puberty says Punjab and Haryana High Court: 33 वर्षीय हिंदू लड़के के संग विवाह करने वाली 17 वर्षीय मुसलमान लड़की की याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने सुरक्षा मुहैया करवाने का आदेश दिया है।

Update: 2021-12-26 07:43 GMT

Muslim girl can marry after puberty says Punjab and Haryana High Court: 33 वर्षीय हिंदू लड़के के संग विवाह करने वाली 17 वर्षीय मुसलमान लड़की की याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने सुरक्षा मुहैया करवाने का आदेश दिया है। पंजाब-हरियाणा कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि लड़की यौन परिपक्वता पा चुकी है। और वह अपने अनुसार विवाह करने के लिए स्वतंत्र है।

याचिकाकर्ता जोड़े ने हाई कोर्ट को बताया कि लड़की की आयु 17 वर्ष है और लड़के की 33 वर्ष। दोनों ने अपने परिवार की बिना मर्जी से विवाह करवा लिया। जिसके बाद उन्हें खतरा है। याची ने कहा कि मुस्लिम धर्म के अनुसार यौन परिपक्वता पाने के बाद लड़का और लड़की विवाह के लिए पात्र माना जाता है।

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सुरक्षा का आदेश देते हुए साफ कर दिया कि विवाह योग्य होने पर एक मुस्लिम लड़की अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति से शादी करने के लिए स्वतंत्र है और अभिभावक को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। इसके पक्ष में दलील दी गई कि एक मुस्लिम लड़की की शादी मुस्लिम पर्सनल ला द्वारा शासित होती है। सर दिनशाह फरदुनजी मुल्ला की पुस्तक 'प्रिंसिपल्स आफ मोहम्मडन ला' के अनुच्छेद 195 के अनुसार एक लड़का व लड़की 15 वर्ष की आयु में यौवन प्राप्त कर लेता है जो वयस्कता मानी जाती है।

आप को बता दें मुस्लिम पर्सनल ला इस बात को ज़रूर मानता है लड़का व लड़की 15 वर्ष की आयु में यौवन प्राप्त कर लेता है, साथ ही लड़का व लड़की अपनी मर्ज़ी से विवाह करने के लिए स्वतंत्र है। हालाँकि मुस्लिम पर्सनल ला के अनुसार किसी भी मुस्लिम महिला या पुरुष का अहले-किताब (ईसाई, यहूदी) के अलावा दूसरे धर्म में विवाह अमान्य है।

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