Hate Speech के मुद्दे पर मोदी-योगी सरकार पूरी तरह से फेल, 7 साल में कई गुना बढ़े केस

Hate Speech : हेट स्पीच के आरोपी को 3 साल तक की कैद की सजा दी जा सकती है, लेकिन ऐसा होता नहीं है क्योंकि कोई न्यूनतम सजा तय नहीं है।

Update: 2022-01-21 05:51 GMT

हेट स्पीच रोकने के मामले में मोदी और योगी सरकार पूरी तरह फेल साबित हुई है।

Hate Speech : हाल ही में हरिद्वार धर्म संसद ( Haridwar Dharam Sansad ) में मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी के बाद से हेट स्पीच ( Hate Speech ) का मामला लगातार सुर्खियों में हैं। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस आरएफ नरीमन ने सुझाव दिया है कि संसद को हेट स्पीच के लिए न्यूनतम सजा का प्रावधान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हेट स्पीच के आरोपी को 3 साल तक की कैद की सजा दी जा सकती है, लेकिन ऐसा होता नहीं है क्योंकि कोई न्यूनतम सजा तय नहीं है। दूसरी तरफ हेट स्पीच को लेकर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो ( NCRB ) के आंकड़े से भी बड़ा खुलासा हुआ है। एनसीआरबी की आंकड़े को माने तो हेट स्पीच के मामले पिछले सात सालों में कई गुना बढ़े हैं। मोदी और योगी सरकार ( Modi-Yogi Government ) इस मसले में पर पूरी तरह से फेस साबित हुई है।

कन्विक्शन रेट सिर्फ 20%

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक देश में हर साल धारा 153A के तहत दर्ज होने वाले मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। 2014 में देश में हेट स्पीच के 336 मामले दर्ज हुए थे। जबकि 2020 में 1804 मामले दर्ज हुए हैं। यानी 7 साल में हेट स्पीच के मामले 6 गुना तक बढ़ गए हैं। एनसीआरबी 2014 से धारा 153A और 153AA के तहत दर्ज मामलों का आंकड़ा अलग से दे रही है। 2014 में अदालतों में हेट स्पीच से जुड़े 19 मामलों का ही ट्रायल पूरा हुआ था। इनमें से केवल 4 में ही आरोपियों को सजा मिली पाई।

इसी तरह 2020 में 186 मामलों में ट्रायल पूरा हुआ और 38 मामलों में सजा मिली। 2020 में हेट स्पीच के मामलों में कन्विक्शन रेट 20.4% था। इससे पहले 2019 में 159 मामलों का ट्रायल पूरा हुआ था और 42 मामलों में सजा मिली थी। इसका मतलब हुआ कि ज्यादातर मामलों में आरोपी बरी हो जाते है।

क्यों होता है धारा 153ए और 505 के तहत केस दर्ज?

Hate Speech : भारत में भड़काऊ भाषण देने पर इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 153A और 153AA के तहत केस दर्ज किया जाता है। कई मामलों में धारा 505 भी जोड़ी जाती है। धारा 153A कहती है कि धर्म, जाति, जन्म स्थान, भाषा आदि के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सौहार्द्र बिगाड़ने पर 3 साल की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। ये धारा आगे कहती है कि अगर किसी धार्मिक स्थल या सभा में ऐसा किया जाता है तो 5 साल की कैद की सजा का प्रावधान है। धारा 505 में के तहत भड़काऊ बयान देना अपराध है. धारा 505(1) के तहत, अगर एक समुदाय को दूसरे समुदाय के खिलाफ अपराध करने के लिए उकसाया जाता है और शांति भंग होती है तो ऐसे में 3 साल की कैद की सजा का प्रावधान है। 505(2) में प्रावधान है कि दो वर्गों के बीच दुश्मनी, घृणा या द्वेष पैदा करने वाले बयान देना अपराध है। इसकी उपधारा (3) में प्रावधान है कि अगर ये काम धार्मिक स्थल या धार्मिक समारोह में होता है तो 5 साल की कैद हो सकती है।

लॉ कमीशन रिपोर्ट पर अभी तक नहीं हुई अमल

हेट स्पीच पर लॉ कमीशन ने 2017 में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें आयोग ने सरकार से हेट स्पीच के लिए अलग धारा जोड़ने की सिफारिश की थीं आयोग ने धारा 153C और 505A जोड़ने का सुझाव दिया था। प्रस्तावित 153C में धर्म, जाति या समुदाय आदि के आधार पर बोलकर, लिखकर या इशारों से धमकाने पर 2 साल की कैद और 5 हजार रुपए का जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है। कुछ मामलों में भय या हिंसा भड़काने पर सजा देने के लिए 505A जोड़ने की लॉ कमिशन ने सिफारिश् की थी। इस धारा के तहत 1 साल की कैद या 5 हजार रुपए का जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान करने का प्रस्ताव दिया गया है। केंद्र सरकार ने अभी तक इन सिफारिशों को लागू नहीं किया है। इन सिफारिशों को लागू करवाने के लिए बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। ये मामला अभी कोर्ट में पेंडिंग है।

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