'डॉ. कफील खान को पिछले 4 सालों से निलंबित रखने का औचित्य क्या है,' हाईकोर्ट ने योगी सरकार से पूछा सवाल

राज्य सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि विभागीय जांच तीन माह में पूरी करने का हर संभव प्रयास किया जाएगा, हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत के पास विचारणीय मुद्दा यह रह गया है कि याची को पिछले चार सालों से निलंबित रखने का औचित्य क्या है....

Update: 2021-08-08 07:58 GMT

(राज्य सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि विभागीय जांच तीन माह में पूरी करने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।)

जनज्वार। उत्तर प्रदेश के बीआरडी ऑक्सीजन कांड के बाद बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील को उनकी सेवा से चार साल तक रखा गया। लेकिन प्रदेश की योगी सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि खान के खिलाफ दोबारा जांच का आदेश वापस ले लिया है। वहीं डॉ. कफील खान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने निलंबन को चुनौती दी है।

याचिका पर हाईकोर्ट ने योगी सरकार से जवाब मांगा कि डॉ. कफील कान को चार वर्षों से क्यों निलंबित रखा गया है। एक बार जांच रिपोर्ट दाखिल होने के बाद दोबारा जांच का आदेश देने में ग्यारह माह का समय क्यों लगाया गया? खान की याचिका पर जस्टिस यशवंत वर्मा की एकल पीठ सुनवाई कर रही है।

जवाब में योगी सरकार की ओर से पेश अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि डॉ. कफील खान के खिलाफ 24 फरवरी 2020 को दोबारा जांच का आदेश वापस ले लिया गया। अधिकारियों को इस बात की छूट दी गई है कि वह हाईकोर्ट के 29 जुलाई 2021 के आदेश के परिप्रेक्ष्य में नए सिरे से कार्यवाही प्रारंभ करर सकते हैं।

राज्य सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि विभागीय जांच तीन माह में पूरी करने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।

हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत के पास विचारणीय मुद्दा यह रह गया है कि याची को पिछले चार सालों से निलंबित रखने का औचित्य क्या है। याचिका में कहा गया है कि याची सहित नौ लोगों के खिलाफ विभागीय जांच प्रारंभ की गई थी, इनमें से सात को बहाल कर दिया गया। हाईकोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 10 अगस्त को करेगी।

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