हिजाब पर बैन लगा तो लड़कियां मजबूर होकर मदरसा चली जाएंगी, जस्टिस धुलिया बोले - ये कैसी दलील है
Hijab controversy : लड़कियां मदरसा छोड़कर स्कूल में पढ़ने आई थीं लेकिन अगर आप हिजाब बैन ( Hijab Ban ) कर देंगे तो फिर मजबूर होकर मदरसा ( Madarsa ) चली जाएंगी।
Hijab controversy : कर्नाटक हिजाब विवाद के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में बुधवार को भी बहस हुई। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच में इस मसले पर सुनवाई हुई। बुधवार की सुनवाई में सीनियर एडवोकेट राजीव धवन और हुजेफा अहमदी ने पक्ष रखा। हुजेफा अहमदी ने कहा कि लड़कियां मदरसा छोड़कर स्कूल में पढ़ने आई थी लेकिन अगर आप हिजाब बैन (Hijab ban) कर देंगे तो फिर मजबूर होकर मदरसा ( madarsa ) चली जाएंगी। इस पर जस्टिस धूलिया ने कहा है कि ये कैसी दलील है?
17000 मुस्लिम छात्राओं ने नहीं दिए एग्जाम
बहस के दौरान अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा कि सभी धर्मों में कंजर्वेटिव लोग हैं। लड़कियां मदरसा छोड़ स्कूल आई। आप उसे मजबूरन मदरसा ( Madarsa ) भेजना चाहते हैं। इसके जवाब में जस्टिस हिमांशु धुलिया ने कहा कि क्या आपका यह तर्क है कि लड़कियां हिजाब ( Hijab ) नहीं पहनना चाहती हैं और उन्हें मजबूर किया जाता है। इस पर एडवोकेट अहमदी कहा -. नहीं, हिजाब बैन होने के बाद माता-पिता कह सकते हैं। स्कूल मत जाओ। मदरसे में जाओ। एक रिपोर्ट भी आई है। इस पर जस्टिस गुप्ता. अहमदी से पूछा कि कितने स्टूडेंट्स हिजाब बैन के बाद स्कूल में अब्सेंट रहे। जवाब में एडवोकेट अहमदी ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के बाद करीब 17 हजार छात्राओं ने एग्जाम नहीं दिए।
सब्जेक्ट पर बात कीजिए
वहीं अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि इस्लाम के रूप में जो कुछ भी आता है उसे खारिज करने के लिए बहुसंख्यक समुदाय में बहुत असंतोष है। काऊ लीचिंग भी एक उदाहरण है। जस्टिस गुप्ता ने कहा कि आप सब्जेक्ट से भटक रहे हैं। तथ्यों पर बात करिए। यहां मामला हिजाब बैन ( Hijab Ban ) का है। याचिकाकर्ता की ओर से अब तक देवदत्त कामत, सलमान खुर्शीद, युसुफ मुचाला और आदित्य स्नोधी पक्ष रख चुके हैं। आज भी कोर्ट में याचिकाकर्ता के पक्ष को सुना जाएगा। इसके बाद 2 दिन पक्ष रखने के लिए सरकार को दिया जाएगा।
हिजाब पहनना जरूरी नहीं : कर्नाटक हाईकोर्ट
बता दें कि हिजाब ( Hijab ) लगाने के विरोध में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में मार्च में याचिका दाखिल की गई थी। कोर्ट में अब तक की दलीलों में याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि केस बड़ी बेंच में भेजा जाए, क्योंकि ये व्यक्तिगत स्वतंत्रता और धार्मिक स्वतंत्रता का मामला है। मार्च में कर्नाटक हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि हिजाब पहनना अनिवार्य नहीं है।