Hijab Controversy : हिजाब विवाद पर कुतर्क से परेशान सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को मर्यादा न लांघने की दी नसीहत

Hijab controversy : सुप्रीम अदालत ( Supreme court ) ने कहा कि कुतर्क और अतार्किक दलीलों से मामले के अंत तक नहीं पहुंचा जा सकता है। कुतर्क की एक सीमा होती है।

Update: 2022-09-08 04:13 GMT

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Hijab controversy : कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब ( Hijab Ban ) पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में बहस जारी है। आज भी इस मसले पर सुनवाई होगी। इस बीच बुधवार को हिजाब विवाद ( Hijab Controversy ) पर हुई सुनवाई के दौरान वकीलों के कुतर्क से सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) के जज नाराज हो गए। इस मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने अधिवक्ताओं को फटकार लगाते हुए कहा कि आप लोग तर्क करें, कुतर्क नहीं। कुतर्कों की एक सीमा होती है, उसे लांघने की कोशिश न करें। सुप्रीम अदालत ने कहा कि कुतर्क और अतार्किक दलीलों से मामले के अंत पर नहीं पहुंचा जा सकता है। इनकी एक सीमा होती है।

राइट टू अनड्रेस भी तो मौलिक अधिकार ही है

हिजाब विवाद ( Hijab Controversy ) मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने अपनी दलील में सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के 2014 के एनएएलएसए फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पोशाक के अधिकार राइट टू ड्रेस को अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है। इस पर जस्टिस हेमंत गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने कामत से कहा कि हम इन अतार्किक दलीलों को अंत तक नहीं ले जा सकते। अगर आप कहते हैं कि पोशाक पहनने या कपड़े पहनने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है तो कपड़े नहीं पहनने का अधिकार भी मौलिक अधिकार बन जाता है।

पीठ की टिप्पणी पर जवाब देते हुए कामत ने कहा कि मैं यहां घिसे-पिटे तर्क देने के लिए नहीं हूं। मैं, एक बात साबित कर रहा हूं कि कोई भी स्कूल में कपड़े नहीं उतार रहा तो इस पर जस्टिस गुप्ता ने कहा कि आपको कोई भी पोशाक के अधिकार से इनकार नहीं कर रहा है। कोई किसी को भी कपड़े पहनने से नहीं रोक रहा है।

कोई किसी को हिजाब पहनने से नहीं रोक रहा

अधिवक्ता देवदत्त कामत ने शीर्ष अदालत से पूछा कि क्या पोशाक में हिजाब ( Hijab Controversy ) पहनना अनुच्छेद. 19 के आधार पर प्रतिबंधित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हिजाब कोई सार्वजनिक शांति व्यवस्था का मुद्दा नहीं है और न ही किसी नैतिकता के खिलाफ है। कामत ने कहा कि कोई भी उसे इसे पहनने के लिए मजबूर नहीं कर रहा है, लेकिन अगर लड़की इसे पहनना चाहती है तो क्या सरकार इस पर रोक लगा सकती है। इसके जवाब में जस्टिस गुप्ता ने कहा कि उसे यानी छात्राओं को हिजाब पहनने से कोई नहीं रोक रहा है। यहां बात सिर्फ स्कूल के संदर्भ में हो रही है। सार्वजनिक तौर पर हिजाब पहनने पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया।

बता दें कि हिजाब विवाद ( Hijab Controversy ) पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में राज्य के कुछ स्कूलों और कॉलेजों में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध को बरकरार रखा था। याचिकाओं में इसी फैसले को चुनौती दी गई है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ सुनवाई ने की है।

क्या कहा था कर्नाटक हाईकोर्ट ने

Hijab controversy : कर्नाटक हाईकोर्ट के तीन. न्यायाधीशों तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा था कि हिजाब ( Hijab Controversy ) इस्लाम की आवश्यक धार्मिक प्रथाओं का हिस्सा नहीं है। यूनिफॉर्म की आवश्यकता अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर एक उचित प्रतिबंध है। कर्नाटक हाईकोर्ट की बड़ी बेंच ने फैसले में कहा था कि सरकार के पास शिक्षण संस्थानों के संदर्भ में ऐसा राज्यादेश पास करने का अधिकार है। इसके अमान्यकरण के लिए कोई मामला नहीं बनता है।

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