सस्ती फ्लाइट का मनोहर सपना सात माह में खत्म, हिसार से चंडीगढ़ एयर टैक्सी सेवा ठप्प
उड़ान स्कीम के तहत देश की पहली हवाई सेवा का सात माह में ही दम फूल गया। ऑपरेटर कंपनी ने फ्लाइट्स आपरेशन रोक दिया है। दावा किया गया था कि मेट्रो सिटी को हवाई मार्ग से टीचर टू व टीयर थ्री सिटी से जोड़ा जाएगा....
मनोज ठाकुर की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो/ चंडीगढ़। हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई यात्रा करेगा, इस तरह के जुमलों के साथ हिसार से चंडीगढ़ के लिए शुरू की गई देश की पहली हवाई टैक्सी सेवा सात माह में ही बंद हो गई। हवाई टेक्सी ऑपरेटर कंपनी का कहना है उन्हें एयरपोर्ट अथारिटी और सिविल एविएशन का सहयोग नहीं मिल रहा है। इस वजह से उनके सामने हवाई सेवा रोकने के सिवाय कोई चारा नहीं रह गया है।
हिसार एयरपोर्ट का नाम हाल ही में महाराजा अग्रसेन इंटरनेशनल एयरपोर्ट रखा गया था। हवाई टैक्सी सेवा बंद होने के बाद यहां से अब अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट तो क्या लोकल फ्लाइट सेवा भी बंद हो गई है।
इसी साल 14 जनवरी को सीएम मनोहर लाल ने बड़े बड़े दावों के साथ इस सेवा की शुरुआत की थी। दावा किया गया था कि यह सस्ती फ्लाइट गरीबों को भी हवाई यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराएगी। हिसार से 35 रूटों पर एयर टैक्सी चलाने की योजना थी। पहले चरण में हिसार से चंडीगढ़, हिसार से देहरादून पर हवाई सेवा प्रदान की जा रही थी। इस सेवा के लिए किराया 1500 रुपए रखा गया था।
आपरेटर कंपनी का कहना है कि संचालक वरुण सुहाग ने बताया कि जब सेवा शुरू की गई थी, जब दृश्यता का नियम 1500 मीटर का था, इसे बदल कर पांच हजार मीटर कर दिया है। हिसार का मौसम ऐसा नहीं होता कि यहां पांच हजार मीटर की दृश्यता मिल सके। इस वजह से एयर टैक्सी संचालन में दिक्कत आ रही थी। समस्या के बारे में कई बार एयरपोर्ट अथॉरिटी और सिविल एविएशन निदेशालय को लिखा। लेकिन उन्हें इसमें छूट नहीं मिली।
इस वजह से उनकी 70 प्रतिशत फ्लाइट कैंसिल हो रही थी। हिसार एयरपोर्ट से महीने मं 180 फ्लाइट्स का संचालन होना था, हो रहा थ 60 का। इस वजह से कंपनी को नुकसान हो रहा था। इस वजह से उनके सामने सेवा को रोकने के सिवाय कोई चारा नहीं रह गया था।
यूथ फॉर चेंज के अध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने बताया कि सियासी नेता लोगों को भ्रमजाल में रखने के लिए इस तरह की परियोजनाओं की शुरुआत करते हैं। हिसार एयरपोर्ट रनवे के विस्तार पर सरकार 946 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है।
इसे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित किया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि एयर टैक्सी सेवा प्रदान कर रही कंपनी यहां छोटे जहाज का संचालन भी नहीं कर पा रही है। युवा मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र राठौर ने बताया कि सियासी दल आम आदमी को भ्रम जाल में उलझा कर रखना चाह रहे हैं। एयरपोर्ट से किसका भला होगा? यह देखने वाली बात है। स्थिति तो यह है कि जब लोगों के पास पेट भरने और कमाने के साधन ही नहीं है, मनोहर सरकार उन्हें हवाई यात्रा का सपना दिखा रही है। यह आम आदमी के साथ मजाक नहीं तो और क्या है?
वीरेंद्र राठौर ने कहा कि यह आम आदमी के टैक्स की रकम का दुरुपयोग है। कुछ चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए इस तरह की योजना शुरू होती है। जो कंपनी हवाई सेवा उपलब्ध करा रही थी, उसे प्रति सीट 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा था।
एक ओर तो सरकार प्रदेश की परिवहन व्यव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाने वाली हरियाणा रोडवेज को खत्म करने पर तुली हुई है। निगम का निजीकरण किया जा रहा है।नई बस खरीदने की जगह इसमें प्राइवेट प्लेयर को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके पीछे सरकार का तर्क है कि रोडवेज लगातार घाटे में जा रही है। दूसरी ओर हवाई सेवाओं पर 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। लेकिन एक गरीब आदमी 1500 रुपए कहां से लेकर आएगा? उसे सस्ती बस चाहिए, लेकिन मनोहर सरकार उन्हें फ्लाइट उपलब्ध करा रही है। यह गरीबों के साथ मजाक नहीं तो और क्या है?
यूथ फॉर चेंज के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने बताया कि इस तरह की योजना सीएम मनोहर लाल अपने विधानसभा क्षेत्र करनाल में भी करने जा रहे हैं। यहां भी हवाई पट्टी को बढ़ाने के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। सरकार इस योजना पर भी करोड़ों रुपए खर्च करने जा रही है। एडवोकेट ढुल ने बताया कि समझ में नहीं आता मनोहर सरकार आखिर करना क्या चाह रही है?
प्रदेश की सड़कों की हालत खस्ता है। बरसात के दिनों में पानीपत अंबाला नेशनल हाइवे के फ्लाईओवर दरक रहे हैं। उनके साथ बेरिकेड्स लगाकर बचाने की कोशिश हो रही है। हाईवे पर जगह जगह गहरे गड्ढे है, जिससे हर वक्त हादसे का अंदेशा बना रहता है।
रोडवेज व्यवस्था चरमरा रही है। सरकार लोगों को हवाई सफर का सपना दिखा रही है। अच्छा होता यदि सरकार रोड सिस्टम बेहतर कर दें। अच्छी बस सेवा उपलब्ध करा दें, ताकि गरीब आदमी आसानी से और कम खर्च कर एक जगह से दूसरी जगह जा सके।
राकेश ढुल ने बताया कि भले ही आपरेटर कंपनी दृश्यता की बात कह रही हो, हकीकत यह है कि पर्याप्त संख्या में सवारी नहीं मिल रही थी। क्योंकि हवाई यात्रा के लिए लोगों के पास खर्च करने के लिए 1500 रुपए नहीं है। इसलिए कंपनी यह सेवा बंद करना चाह रही थी। कंपनी इसके पीछे भी अब सरकार से कुछ और रियायत मांग सकती है, क्योंकि सरकार के लिए यह हवाई सेवा प्रतिष्ठा का सवाल बन रही है,इसलिए संभव है, कंपनी को और रियायत मिल जाए।