सरकारी स्कूलों में कितने IAS-IPS के बच्चे पढ़ रहे, HC के आदेश के बाद जानकारी जुटाने में जुटी बिहार सरकार
पटना हाईकोर्ट ने 15 जुलाई को एक मामले की सुनवाई के दौरान राज्य में सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर नाराजगी जाहिर की थी....
जनज्वार ब्यूरो। यह कहा जाता है कि सरकारी स्कूलों में अगर अफसरों के बच्चों का नामांकन होने लगे तो स्वभाविक तौर पर शिक्षा व्यवस्था में सुधार दिखने लगेगा। इसी क्रम में एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार से यह ब्यौरा मांगा है कि बिहार के सरकारी स्कूलों में कितने आईएएस व आईपीएस के बच्चे पढ़ते हैं।
4 अगस्त के पूर्व सरकार द्वारा सभी 38 जिलों का विवरण उपलब्ध कराना है। इस आदेश के बाद से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले आईएएस और आईपीएस के बच्चों के रिकॉर्ड खंगालने में अधिकारी जुट गए हैं।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान बिहार सरकार को यह कहा था कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई तब पता चलेगा जब यह आंकड़ा सामने आएगा कि बिहार के सरकारी स्कूलों में कितने आईएएस और आईपीएस के बच्चों का दाखिला है। जब तक बिहार के आईएएस और आईपीएस के बच्चे सरकारी स्कूलों में दाखिला नहीं लेंगे, तब तक बिहार के शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया जा सकता है। गौरतलब हो कि बिहार के शिक्षा पर लगातार सवाल उठते रहे हैं यहां तक की बिहार के मुखिया नीतीश कुमार भी हाई कोर्ट में बिहार के शिक्षकों की कमियां गिना चुके हैं।
पटना हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने सभी जिलों के डीएम और एसपी को पत्र भेजा है। शिक्षा विभाग के पत्र में कहा गया है कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा कौशल किशोर ठाकुर बनाम बिहार राज्य मामले में 13 जुलाई 2021 को अंतरिम आदेश पारित किया गया है। उसमें राज्य में पदस्थापित भारतीय प्रशासनिक सेवा एवं भारतीय पुलिस सेवा तथा श्रेणी एक तथा श्रेणी दो के पदाधिकारियों के कितने बच्चे सरकारी प्राथमिक एवं अन्य विद्यालयों में अध्ययनरत हैं के संबंध में विस्तृत विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। पटना उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश के अनुपालन में मुख्य सचिव 4 अगस्त 2021 को सभी जिलों के डीएम और एसपी के साथ बैठक कर समीक्षा करेंगे।
जिलों से रिपोर्ट मिलने के बाद इसका पूरा डाटाबेस तैयार किया जाएगा और उसे पटना हाई कोर्ट के सामने राज्य सरकार की तरफ से रखा जाएगा। इस मामले में आगामी 4 अगस्त को मुख्य सचिव सभी जिलों के डीएम और एसपी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा करेंगे। इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में आए आंकड़ों को कोर्ट के सामने रखा जाएगा। सभी जिलों के डीएम एसपी को सख्त हिदायत दी गई है कि वह इस मामले में लापरवाही न बरतें।
अपर मुख्य सचिव ने इस मामले में सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को भी गाइडलाइन जारी किया है। दरअसल पटना हाईकोर्ट ने अतिथि शिक्षकों को हटाए जाने के मामले पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की थी कि जब तक अफसरों के बच्चे सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ेंगे तब तक शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार नजर नहीं आएगा। पटना हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ की टिप्पणी के बाद राज्य सरकार हरकत में आई।
शिक्षा विभाग ने भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा के पदाधिकारियों की बच्चों की पढ़ाई से संबंध में जानकारी मांगी है।