'देश में किल्लत के बीच सोनू सूद के पास कैसे पहुंची दवाइयां' बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को दिया जांच का आदेश

अदालत ने कहा है कि 'सिलेब्रिटी अपने आपको मसीहा की तरह पेश कर रहे थे जबकि उन्होंने इस बात की भी पुष्टि नहीं की कि क्या दवाइयां नकली हैं? या क्‍या वह उन तक अवैध तरीके से तो नहीं पहुंचाई जा रही हैं...

Update: 2021-06-18 08:47 GMT

सोनू सूद द्वारा लॉकडाउन के समय बांटी गई दवाओं के लिए महाराष्ट्र सरकार को जांच के आदेश दिए हैं. photo - bhaskar

जनज्वार ब्यूरो। कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों की मदद कर फरिस्ता बने एक्टर सोनू सूद विवादों में घिर गए हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि लोगों के लिए कोविड के इलाज की दवाओं की खरीद और आपूर्ति में स्थानीय कांग्रेस विधायक जीशान सिद्दीकी और अभिनेता सोनू सूद की भूमिका की जांच की जाए।

अदालत ने कहा है कि 'सिलेब्रिटी अपने आपको मसीहा की तरह पेश कर रहे थे जबकि उन्होंने इस बात की भी पुष्टि नहीं की कि क्या दवाइयां नकली हैं? या क्‍या वह उन तक अवैध तरीके से तो नहीं पहुंचाई जा रही हैं।' सरकार यह भी पता लगाए कि जब देश में दवाओं की भारी किल्लत थी तो कैसे इन दोनों तक यह दवाएं पहुंची?

हाईकोर्ट कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए जरूरी दवाओं और संसाधनों के मैनेजमेंट से संबंधित अनेक मुद्दों पर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि इन लोगों ने इस बात की पड़ताल भी नहीं की कि दवाएं नकली तो नहीं हैं और आपूर्ति वैध है या नहीं।

इस मामले में एडिशनल सालिसिटर जनरल आशुतोष कुंभकोणि ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने चैरिटेबिल ट्रस्ट बीडीआर फाउंडेशन और उसके न्यासियों के खिलाफ सिद्दीकी को रेमडेसिविर दवा की आपूर्ति करने के मामले में मझगांव महानगर अदालत में आपराधिक मामला दर्ज कराया था। उन्होंने कहा कि सोनू सूद को ये दवाइयां अलग-अलग फार्मेसी से भी मिली हैं और मामले की जांच चल रही है।

कुंभकोणि ने कोर्ट से कहा कि सिद्दीकी केवल उन नागरिकों तक दवाएं पहुंचा रहे थे, जो उन्हें संपर्क कर रहे थे, इसलिए उनके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि सोनू सूद ने गोरेगांव स्थित लाइफलाइन केयर अस्पताल में स्थित अनेक दुकानों से दवाएं प्राप्त की थीं।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने बुधवार को मुंबई हाई कोर्ट को सूचित किया कि म्यूकरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस के इलाज के लिए फंगसरोधी दवाएं राज्यों को जरूरत के हिसाब से दी गईं और महाराष्ट्र सहित किसी भी राज्य से भेदभाव नहीं किया गया।

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