Hyderabad Fake Encounter : आरोपियों को जान से मारने के लिए पुलिस चलाई गोली, SC को सौंपी रिपोर्ट में कमीशन ने 10 पुलिसवालों पर हत्या का केस दर्ज करने की सिफारिश की
Hyderabad Fake Encounter : मामला 27 नवंबर 2019 को एक वेटिनरी डॉक्टर के साथ हुए रेप और उसकी हत्या से जुड़ा है। युवती से रेप के बाद उसे जलाकर मार डाला गया था। इस घटना में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने चार आरोपियों मोहम्मद आरिफ उर्फ अहमद, जोलू शिवा, चिंताकुंतला चेन्नाकेशवुलु, जोलू नवीन को गिरफ्तार किया था। रेप व हत्या की वारदात के कुछ दिनों बाद यानि 6 दिसंबर को शादनगर के पास एक मुठभेड़ में चारों आरोपी मारे गए थे...
Hyderabad Fake Encounter : हैदराबाद एनकाउंटर मामले की जांच कर रहे न्यायिक आयोग (Hyderabad Fake Encounter) ने चारों आरोपियों के पुलिस एनकाउंटर को फर्जी करार दिया है। एनकाउंटर में शामिल रहे 10 पुलिसवालों पर आयोग ने हत्या का मामला चलाने की सिफारिश की है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त आयोग ने अपनी रिपोर्ट में ये बात कही है। आयोग ने पुलिस की उस दलील पर भरोसा नहीं किया जिसमें ये कहा गया था कि आरोपी ने पिस्तौल छीन ली और फरार होने की कोशिश की। कमीशन में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस वीएस सिरपुरकर, बॉम्बे हाईकोर्ट की रिटायर जज जस्टिस रेखा बालदोता, सीबीआई के पूर्व निदेशक कार्तिकेयन शामिल थे।
यह मामला (Hyderabad Fake Encounter) 27 नवंबर 2019 को एक वेटिनरी डॉक्टर के साथ हुए रेप और उसकी हत्या (Hyderabad Fake Encounter) से जुड़ा है। युवती से रेप के बाद उसे जलाकर मार डाला गया था। इस घटना में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने चार आरोपियों मोहम्मद आरिफ उर्फ अहमद, जोलू शिवा, चिंताकुंतला चेन्नाकेशवुलु, जोलू नवीन को गिरफ्तार किया था। रेप व हत्या की वारदात के कुछ दिनों बाद यानि 6 दिसंबर को शादनगर के पास एक मुठभेड़ में चारों आरोपी मारे गए थे। पुलिस का दावा था कि वो क्राईम सीन री क्रिएट करने गई थी। तभी आरोपियों ने हिमाकत की और मारे गए।
आपको बता दें कि एनकाउंटर (Hyderabad Fake Encounter) के बाद जब सवाल उठे तब कोर्ट ने एक कमीशन बनाकर घटना की जांच करने का आदेश दिया था। सिरपूरकर कमीशन ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर दी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक दिशा रेप केस में कथित चारों आरोपियों का फेक एनकाउंटर किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट से कमीशन की रिपोर्ट पर एक्शन लेने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कानून की रक्षा के नाम पर जो हुआ वो घृणित की श्रेणी में आता है।
क्या है मामले में पुलिस की कहानी
पुलिस का कहना था कि क्राईम सीन रीक्रिएट (Hyderabad Fake Encounter) करने के लिए वह आरोपियों को लेकर मौके पर पहुंची थी। इसी बीच आरोपी उनके हथियार छीनकर भागने की कोशिश करने लगे। उसके बाद अपने बचाव में ये हत्याएं हुई हैं। पुलिस का दावा है कि वो ये कदम न उठाते तो उनकी जान पर बन आती। लेकिन मानवाधिकारों की आड़ में कई संगठनों ने पुलिस राज पर आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि आरोपियों को सजा देने का काम कोर्ट का था। पुलिस ऐसे काम करेगी तो कोर्ट का क्या मतलब रह जाएगा। कई संस्थाओं ने इस पर सवाल खड़े कर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। एनकाउंटर की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सिरपुरकर आयोग बनाया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आरोपियों को जान से मारने (Hyderabad Fake Encounter) के इरादे से पुलिस ने अंधाधुंध फायरिंग की। उन्हें पता था कि उनकी चलाई गोली चारों की जान ले लेगी। कमीशन ने सिफारिश की है कि पुलिस के अफसरों वी सुरेंदर, के नरसिम्हा, शैक लाल, मो. सिराजुद्दीन, के रवि, के वेंकटेश्वरालु, एस अरविंद गौड़, डी जानकीराम, आर बालू राठौड़ और डी श्रीकांत पर हत्या का केस चलाकर कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। उनका ये कृत्य कानून के राज के दृष्टिकोण से पूरी तरह से विपरीत है।