Hyderabad Murder News : कट्टरपंथी 'मुस्लिम' हों तो शुतुरमुर्ग क्यों बन जाते हैं 'सेक्यूलर बुद्धिजीवी'?

Hyderabad Murder News : हैदराबाद की इस घटना (Hyderabad Murder News) ने एक बार फिर इस बात को साबित कर दिया है कि प्रगतिशील मुस्लिम समाज ही क्यों ना हो जब जाति की बात आती है तो वे भी अपनी धर्म और जाति के लिए उतने ही कट्टरपंथी हैं जितना कि एक कट्टरपंथी हिंदू है...

Update: 2022-05-06 10:00 GMT

Hyderabad Murder News : दलित युवक नागराजू की हत्या के मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है

हैदराबाद में दलित युवक की नृशंस हत्या पर कुश आंबेडकरवादी की टिप्पणी

Hyderabad Murder News : हैदराबाद (Hyderabad) में एक दलित लड़के की एक मुस्लिम लड़की से शादी करने पर पीट-पीटकर हत्या (Hyderabad Murder News) कर दी गई है। तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में हुई दलित युवक नागराजू (Nagaraju) की निर्मम हत्या (Hyderabad Murder News) वीडियो दिल दहलाने वाला है। इस वीडियो का सबसे खौफनाक पहलू यह है कि बीच चौराहे पर इस नृशंस हत्या को अंजाम दिया गया है। बस लिए कि लड़की के परिवार वालों को यह बात हजम नहीं हो पा रहा था कि लड़का दलित है।

बुद्धिजीवियों की चुप्पी हैरान करने वाली

इस घटना पर समाज के तथाकथित प्रगतिशील पत्रकारों और बुद्धिजीवियों की चुप्पी भी हैरान करने वाली है। कट्टरपंथी मुस्लिम हों तो सेक्यूलर बुद्धिजीवी अक्सर शुतुरमुर्ग बन जाते हैं, आखिर ऐसा क्यों है? खुद को प्रगतिशील बताने वाले मुस्लिम बुद्धिजीवी भी इस मामले में (Hyderabad Murder News) बोलने से परहेज कर रहे हैं। आखिर इसका क्या कारण हो सकता है? मैं किसी पार्टी का मेंबर नही हूं बस एक राजनीतिक विश्लेषक हूं और मेरा राजनीति में आने का कोई इरादा भी नही है। मैं एक अंबेडकरवादी हूं और बाबा साहेब आंबेडकर के विचारों पर चलने को प्रतिबद्ध हूं। ऐसे में दलितों के साथ हमारे समाज में होने वाली अन्याय की हर घटना की तरह हैदराबाद की घटना भी कचोटती है। 

नागराजू की हत्या दलित एक्टिविस्टों व दलित पत्रकारों के लिए एक सबक की तरह 

हैदराबाद की इस घटना (Hyderabad Murder News) ने एक बार फिर इस बात को साबित कर दिया है कि हमारे देश का प्रगतिशील मुस्लिम समाज ही क्यों ना हो जब जाति की बात आती है तो वे भी अपनी धर्म और जाति के लिए उतने ही कट्टरपंथी हैं जितना कि एक कट्टरपंथी हिंदू है। नागराजू की हत्या की घटना उन दलित एक्टिविस्टों, दलित पत्रकारों के लिए भी एक सबक की तरह है जो अपने स्वार्थ में इतने अंधे हो गए है कि हिंदू कट्टरता के खिलाफ मुस्लिम कट्टरता का समर्थन तक करने को आतुर रहते है और अम्बेडकरवाद को अक्सर बदनाम करवाते हैं।

प्यार धर्म नही देखता लेकिन जाति जरूर देखता है। आज पूरे देश में मुस्लिम भाजपा के निशाने पर है। मुस्लिम पत्रकार विदेशों तक में जाकर ये बताते है कि भारत मुस्लिमों के लिए असुरक्षित है भारत में मुस्लिम डरा हुआ है लेकिन इतने डरे होने के बाद भी एक दलित की इस तरह सरेआम हत्या करने पर उनके मुंह से आवाज नहीं निकली है, उन्हें बिलकुल डर नहीं लगता। इस मामले में उनकी चुप्पी खटकती है। मेरा उनसे एक सवाल है कि क्या यदि नागराजू दलित की जगह ब्राह्मण या ठाकुर होता तो क्या तब भी उसकी हत्या होती?

हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई हर धर्म में जातिवाद

हमारे समाज ​में जातिवाद बहुत गहराई तक जड़ जमा चुकी है। यह सिर्फ एक धर्म में नहीं है यह धर्म से आगे जा चुका है। कहा जाता है कि प्यार धर्म नहीं देखा। पर भारत के संदर्भ में यह कहा जा सकता है प्यार धर्म नहीं देखता पर जाति जरूर देखता है। यह एक बड़ा सवाल है कि यदि आप एक जख्म पर लापरवाही बरतेंगे तो वह खत्म नहीं होगा बल्कि बढ़ता ही जाएगा और उससे दुर्गंध आने लगेगी। जब आप जातिवाद की बात करेंगे तो आपको बाबा साहब आंबेडकर के विचार को लेकर समान रूप से देखना पड़ेगा कि हिंदुओं में किस तरह से जातिवाद है, मुस्लिमों, सिखों और इसाइयों में किस तरह का जातिवाद है। आप सिर्फ एक धरे को देखकर दूसरों को क्लिनचीट नहीं दे सकते हैं।

अगर कोई हिन्दू कट्टरपंथी यह कहता है कि जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है तो कुछ लोग कहते हैं कि इस्लाम में समानता है पर वह समानता कहां वह आज क्यों नहीं दिख रही है। जब आप शेख, सैय्यद और पठान गर्व से ये कहते हैं कि वे शेख, सैय्यद और पठान हैं। वे अपना सरनेम नहीं छोड़ पा रहे हैं तो फिर समानता कहां है। एक टीवी चैनल पर एक पार्टी के गर्व से कहते हैं कि राम हमारे पूर्वज थे। हम राजपूत हैं। योगी जी हमारी जाति की हैं। ऐसे में जब आप जाति छोड़ नहीं पा रहे हैं तो फिर आप किस बात के मुसलमान हैं।

मुसलमानों में पसमांदा समाज कि स्थिति किसी से​ छिपी नहीं

हैदराबाद मामले में उनकी चुप्पी साबित करती है कि ये सब के सब खुद बड़े जातिवादी हैं। चाहे वह राणा अय्युब हों या आरफा खानम शेरवानी। इन लोगों ने कभी पसमांदा के विषय पर बात नहीं की। मुसलमानों में पसमांदा समाज कि स्थिति किसी से​ छिपी नहीं है। उनसे सवाल किया जाना चाहिए कि अगर हैदराबाद का युवक राजपूत या ब्राह्मण होता तो क्या उसकी इस तरह से हत्या कर दी जाति?

​इस घटना (Hyderabad Murder News) पर यदि मुस्लिम बुद्धिजीवी और पत्रकार बोल नहीं पा रहे हैं तो यह भी उनके अंदर के जातिवाद को दिखाता है। इससे यह बात जाहिर होती है कि आप कितने सिलेक्टिव हैं। लखबीर सिंह की हत्या को बेअदबी बताने वाले, हाथरस को प्रेम प्रसंग बताने वाले, सोनभद्र में दलितों की हत्या को भूमि विवाद बताने वाले हैदराबाद में हुई दलित की हत्या को ऑनर किलिंग बताने वाले यही जाहिर कर रहे हैं कि आप भी कट्टरवादी है और उससे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।

देश में दलितों को संघी और मुसंघियो दोनों से दूर रहना होगा

आज के इस कठिन समय में यह समझे जाने की जरूरत है कि मनुवादी सवर्ण हिंदू हो या सवर्ण मुस्लिम दोनो दलितों के लिए एक जैसे है बस ये बात नादान दलित एक्टिविस्टों, पत्रकारों को समझ नही आती है। असल में इस देश में दलितों को संघी और मुसंघियो दोनों से दूर रहना होगा। कभी भी एक कट्टरता के खिलाफ दूसरी कट्टरता का समर्थन करना वाजिब नहीं है। ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरी है कि बाबा साहेब को पढ़ें और उनके मार्ग पर आगे बढ़ें। हैदराबाद में दलित युवक की हत्या पर मेन स्ट्रीम मीडिया तक में न्यूज बन गई है लेकिन बहुजन मीडिया? बेचारों की फंडिंग रुक जायेगी।

Tags:    

Similar News