MP के सीधी में 'निर्भया कांड' से भी जघन्य अपराध, रेप के बाद गुप्तांग में पत्थर डाल हाथ-पैर काटकर फोड़ी आंखें

आरोप है कि महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया गया है। जो लाश नदी में मिली थी उसकी एक आंख निकली हुई थी, गुप्तांग में पत्थर घुसा हुआ था, हाथ पैर कटे हुए थे। साथ ही उसे जलाकर सोन नदी में फेंक दिया गया था...

Update: 2021-07-27 13:01 GMT
महिला के प्रति निर्भया से भी अधिक हैवानियत दिखाई गई है.

जनज्वार ब्यूरो, भोपाल। मध्य प्रदेश के जनपद सीधी के थाना जमोड़ी स्थित गांव कुर्वाह में बीते दिनो देश को झकझोर देने वाले निर्भया कांड से भी भयावह वारदात अंजाम दी गई थी। यहां नदी के किनारे एक महिला की निर्वस्त्र लाश मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई थी। महिला तीन दिनों से गुमशुदा बताई जा रही थी। परिजनों ने पुलिस से बलात्कार व  हत्या की आशंका जताई है।

हालांकि जहां परिजनों ने महिला के साथ रेप के बाद नृशंसता और बुरी तरह मौत के घाट उतारे जाने का आरोप लगाया है, वहीं पुलिस का कहना है कि महिला का बलात्कार नहीं किया गया है। 14 जुलाई को गायब हुई महिला की लाश नदी के किनारे 16 जुलाई को निर्वस्त्र हालत में क्षत-विक्षत बरामद हुयी थी। 

परिजनों का आरोप है कि महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया गया है। जो लाश नदी में मिली थी उसकी एक आंख निकली हुई थी, गुप्तांग में पत्थर घुसा हुआ था, हाथ पैर कटे हुए थे। साथ ही उसे जलाकर सोन नदी में फेंक दिया गया था। लेकिन मामले में अभी तक पुलिस कोई गिरफ्तारी नहीं कर सकी है।

यह तस्वीर साफ होती तो आपका कलेजा फट सकता था.

घटना जमोड़ी थाना के अंतर्गत डेम्हा गांव की है, जहां सोन नदी के किनारे एक महिला की निर्वस्त्र लाश मिली थी। मृतक महिला की उम्र 35 वर्ष के करीब थी। परिवार के मुताबिक महिला 14 जुलाई को भैंस ढूंढने के लिए घर से बाहर निकली थी। जिसके बाद वह घर नहीं लौटी। घर वालों के ढूंढने के बाद भी महिला का पता नहीं चल पाया था।

14 जुलाई की इस घटना के बाद 16 जुलाई को महिला का जली हालत में अर्धनग्न हालत में नदी में पड़ा शव भी मिल चुका है, लेकिन पुलिस ने इस घटना को लेकर खामोश है। आरोप है कि यही घटना अगर दिल्ली या किसी गैर भाजपा सरकार के राज्य में हुआ होता तो हाहाकार मच गया होता। तब जबकि एमपी में भाजपा की सरकार है इसलिए हर तरफ खामोशी पसरी है।

ट्वीटर यूजर दीप्ति लिखती हैं 'टेंशन नहीं लेना है। औरत के ऐसे ही सम्मान में मोदी जी है ना मैदान में। सत्ता में बैठे सब औरतों के लिए ऐसे ही घटिया नेचर के हैं, तभी तो कोई शख्त कानून नहीं। सदियों पहले जो था आज भी वही मानसिकता है औरतों को लेकर।'

यूजर मुकेश चौधरी लिखते हैं 'इंसानियत शर्मसार। ये अपराधी इन्सान नहीं हो सकते। बिना कोई राजनीति किये फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले की सुनवाई बहुत जरूरी है। नहीं तो निर्भया मामले से किसी ने कुछ भी नहीं सीखा है, समय निकलने के साथ सब भूल जाते हैं। देश के मीडिया से भी निवेदन है, इस घटना में मुजरिमों को सबके सामने।'

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