Rafale Deal: जिन 36 राफेल विमानों को भारत ने 8.7 अरब डॉलर में खरीदा, उन्हें इंडोनेश‍िया ने 8.1 में कैसे खरीदा वो भी पूरे 42..?

Rafale Deal: मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा। कोर्ट में सुनवाई भी हुई पर तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की बेंच ने याचिका को खारिज कर सरकार को एक तरह से क्लीन चिट दे डाली...

Update: 2022-02-13 07:24 GMT

भारत में राफेल डील का सौदा इतना महंगा कैसे हुआ?

Rafale Deal : अभी हाल ही में इंडोनेश‍िया ने फ्रांस से 42 राफेल व‍िमान डील (Rafale Deal) की है। इंडोनेशिया ने यह डील 8.1 अरब डॉलर में की है। 10 फरवरी 2022 को फ्रांस के रक्षा मंत्री ने इस डील का ऐलान क‍िया है। बता दें क‍ि इससे पहले भारत ने 2016 में फ्रांस से 36 राफेल व‍िमानों का सौदा क‍िया था। भारत ने 36 व‍िमानों के ल‍िए 8.7 अरब डॉलर में डील की थी। यानी इंडोनेशिया से अधिक कीमत पर यह डील की गई है। जिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

फ्रांसीसी रक्षा मंत्रालय के अफसर ने बृहस्पतिवार 10 फरवरी को बताया कि दोनों देशों के बीच समझौते पर दस्तखत किए गए हैं। पहले फेज में अगले कुछ माह के दौरान जकार्ता को 6 राफेल विमान सौंपे जाएंगे। बाकी के 36 विमान अगले दौर में हस्तांतरित किए जाएंगे। इनका हैंडओवर या तो इस साल के आखिर में हो सकता है या फिर अगले साल की शुरुआत में।

वहीं दूसरी तरफ, इंडोनेशिया ने एक बयान में फ्रांस के साथ हुए समझौतों पर हस्ताक्षर की पुष्टि की है। यह समझौता भारत के बाद इंडोनेशिया को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित जेट पर भरोसा करने वाला दूसरा देश बना देगा। इस डील के बाद साउथ ईस्ट एशिया क्षेत्र में इंडोनेशिया फ्रांस से हथियारों की खरीद करने वाला सबसे बड़ा देश बन जाएगा। फिलहाल उसका नंबर सिंगापुर के बाद आता है।

राफेल लड़ाकू विमान में हवा से जमीन में मार करने वाले स्कैल्प और हैमर मिसाइल के साथ-साथ मेटेअर मिसाइलों को पहले ही शामिल किया जा चुका है। ये मिसाइलें रडार को चकमा देकर बच निकलने में सक्षम हैं। ये विमान अंतिम समय तक टारगेट को भेदने में भी माहिर बताया जाता हैं।

भारत में 05 राफेल विमानों का पहला जत्था 29 जुलाई 2020 को पहुंचा था। इन विमानों को अंबाला में एक कार्यक्रम में आधिकारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। भारत ने 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 2016 में फ्रांस के साथ सौदा किया था। अभी तक भारत को दसॉल्ट एविएशन से कुल 26 राफेल विमान मिल चुके हैं। बाकी की आपूर्ति 2022 में की जानी है।

10 फ्रेंच विमान निर्माता कंपनी दसॉल्ट ने भारत को 36 राफेल फाइटर जेट बेचने का सौदा हासिल करने के लिए मिडिलमैन को करीब 7.5 मिलियन यूरो (लगभग 650 मिलियन या 65 करोड़ रुपये ) का भुगतान किया था। लेकिन भारतीय एजेंसियां, दस्‍तावेज होने के बावजूद इसकी जांच करने में नाकाम रहीं। फ्रेंच पोर्टल 'Mediapart' ने अपनी रिपोर्ट में यह आरोप लगाया तो भारत में भी हंगामा बरपा। रिपोर्ट के मुताबिक बिचौलिये सुशेन गुप्‍ता को गुप्‍त रूप से कमीशन का भुगतान किया गया।

पोर्टल 'Mediapart' कहता है कि इन दस्‍तावेजों की मौजूदगी के बावजूद भारतीय एजेंसी चुप रहीं। सीबीआई (CBI) और ईडी (ED) के पास अक्‍टूबर 2018 से सबूत हैं कि दसॉल्ट ने राफेल जेट के बिक्री सौदे को हासिल करने के लिए सुशेन गुप्‍ता को घूस दी।

राहुल गांधी ने बनाया था मुद्दा

2019 के आम चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राफेल खरीद में गड़बड़ी का आरोप लगाकर पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा था। राहुल ने सार्वजनिक मंचों से चौकीदार चोर है जैसे तक नाकरे लगवाए थे। कांग्रेस इस मामले में जेपीसी जांच की मांग करती रही लेकिन सरकार ने इसे अनसुना कर दिया। हालांकि मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा। कोर्ट में सुनवाई भी हुई पर तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की बेंच ने याचिका को खारिज कर सरकार को एक तरह से क्लीन चिट दे डाली।

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