India-Nepal Border पर फिर बढ़ा विवाद, वृक्षारोपण के लगाए पौधे नेपाली पक्ष ने उखाड़ फेंके, तीन दौर की बातचीत रही बेनतीजा
India-Nepal Border : पाल और भारत के अधिकारियों द्वारा इस विवाद को निपटाने के लिए पहले दो दौर की वार्ता और निरीक्षण हो चुका है, लेकिन वार्ता में कोई हल नहीं निकला था, तीसरे दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही....
सलीम मलिक की रिपोर्ट
India-Nepal Border : उत्तराखंड के उधमसिंहनगर जिले में स्थित अंतरराष्ट्रीय नेपाल सीमा पर भारत-नेपाल सीमा विवाद (India-Nepal Border Despute) एक बार फिर गहरा गया है। भारतीय पक्ष द्वारा सीमा के निकट वृक्षारोपण (Plantation) के दौरान किए जाने वाले पौधों व तारबाड़ को दूसरे पक्ष द्वारा उखाड़ दिए जाने से यह ताजा विवाद सतह पर आ गया है। दोनों देशों के अधिकारियों द्वारा कई दौर की बातचीत के बाद भी फिलहाल यह गतिरोध दूर नहीं हुआ है। बृहस्पतिवार को भी दोनों देशों के अधिकारियों ने सीमा पर संयुक्त रूप से सर्वे किया, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।
जानकारी के अनुसार खटीमा भारत-नेपाल सीमा (India-Nepal Border) पर पिलर संख्या 14 के पास तराई पूर्वी वन प्रभाग द्वारा कैंपा योजना के अंतर्गत 25 हेक्टेयर में वृक्षारोपण किया जाना प्रस्तावित था। वृक्षारोपण की सुरक्षा के लिए सीमा पिलर तथा तार बाड़ लगाए जाने थे। जिसके चलते वन विभाग ने यहां पर तारबाड़ की थी। लेकिन 3 जून को कुछ नेपाली नागरिकों द्वारा खंभे और तारबाड़ को अपनी सीमा में लगाए जाने का आरोप लगाते हुए उखाड़ कर फेंक दिया गया था। इससे पूर्व पिलर संख्या 798/2 के पास किए गए तारबाड़ को भी नेपाली नागरिकों ने उखाड़कर विरोध शुरू कर दिया था।
मामले के समाधान के लिए गुजरे मंगलवार को दोनों देशों (India-Nepal) के अधिकारियों का सीमा पर संयुक्त रूप से सर्वे होना था। इसके लिए खटीमा के एसडीएम रविंद्र व वन विभाग के रेंज अधिकारी राजेंद्र मनराल के साथ विवादित स्थल पर पहुंचे थे। जहां एसएसबी के डिप्टी कमांडेंट अनिल कुमार ने एसडीएम को बताया कि सर्वे के अनुसार जहां से पोल उखाड़े गए हैं, वह जगह नो-मैंस लैंड से लगभग 10 से 15 मीटर दूर भारतीय क्षेत्र में है। इस दौरान खटीमा एसडीएम के नेतृत्व में एसएसबी, वन विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारी मौजूद रहे। इस मौके भारतीय अधिकारियों (Indian Officials) ने तारबाड़ को तोड़े जाने के सुबूत पेश किए, जबकि नेपाली अधिकारी सुबूत पेश नहीं कर पाए।
बताया जाता है कि नेपाल और भारत (India-Nepal Border) के अधिकारियों द्वारा इस विवाद को निपटाने के लिए पहले दो दौर की वार्ता और निरीक्षण हो चुका है। लेकिन वार्ता में कोई हल नहीं निकला था। जिसके बाद बृहस्पतिवार को भी खटीमा एसडीएम, तहसीलदार, वन विभाग पुलिस प्रशासन तथा एसएसबी के अधिकारियों और नेपाल एपीएफ और नेपाल प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से घटना क्षेत्र का निरीक्षण के दौरान भारत की ओर से अपना पक्ष रखा गया लेकिन नेपाल प्रशासन द्वारा अपने पक्ष में कोई भी मान्य दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया। दस्तावेजों को पेश करने के लिए नेपाल प्रशासन द्वारा समय मांगा गया है। जिसके बाद इस विवाद के निपटारा के लिए संयुक्त रुप से बातचीत के लिए 10 जून का समय निर्धारित किया गया है।
खटीमा वन विभाग का कहना है कि हम नो मैंस लैंड की जगह के बाद 15 फीट जगह छोड़कर वृक्षारोपण के लिए तार बाड़ का कार्य कर रहे हैं, फिर भी नेपाली नागरिकों द्वारा विरोध किया जा रहा है। साथ ही निरीक्षण के दौरान मौके पर वन विभाग को नो मैंस लैंड से 15 फीट अतिरिक्त जगह छोड़कर शेष बचे कार्यों को करने के लिए निर्देशित किया गया है। मामले में खटीमा वन रेंज अधिकारी राजेंद्र सिंह मनराल का कहना है कि नेपाल प्रशासन द्वारा बार-बार समय मांग कर टालमटोल किया जा रहा है।
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