Indian Army Recruitment 2022 : Tour of Duty Scheme के तहत कैसे बहाल होंगे सेना के जवान, जानिए पूरा प्लान
Indian Army Recruitment 2022 : सेना में टूर ऑफ ड्यूटी स्कीम (Tour of Duty Scheme) के तहत बहाल होने वाले जवानों की देश में उग्रवाद विरोधी अभियानों, खुफिया जानकारी जुटाने और सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े अन्य अभियानों के दौरान तैनाती कर उनकी सेवाएं ली जा सकती है...
Indian Army Recruitment 2022 : भारतीय सेना (Indian Army) में जल्द ही अनुबंध के आधार पर जवानों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। सशस्त्र बलों में जवानों की यह भर्ती भारत सरकार (Government of India) और सेना के टूर ऑफ ड्यूटी स्कीम (Tour of Duty Scheme) के तहत हो सकती है। सेना में इस स्कीम के तहत जवानों की नियुक्ति तीन से पांच वर्ष की अवधि के लिए हो सकती है। बताया जा रहा है कि इस स्कीम में उन युवाओं को भी सेना में अपनी सेवाएं देना का मौका मिलेगा जो किसी कारणवश सेना में शामिल होने से वंचित रह गए थे।
समाचारपत्र इकोनॉमिक टाइम्स (Economic Times)) में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक सेना में टूर ऑफ ड्यूटी स्कीम (Tour of Duty Scheme) के तहत बहाल होने वाले जवानों की देश में उग्रवाद विरोधी अभियानों, खुफिया जानकारी जुटाने और सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े अन्य अभियानों के दौरान तैनाती कर उनकी सेवाएं ली जा सकती है।
दो वर्षों से नहीं हुई है सेना के जवानों की बहाली
आपको बता दें कि बीते दो वर्षों से देश में कोविड महामारी (Covid Pandemic) के कारण सशस्त्र बलों में जवानों को बहाल नहीं किया गया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वर्तमान सेना (Indian Military), वायु सेना (Indian Air Force) और नौसेना (Indian Navy) में लगभग 1,25,364 पद खाली पड़े हैं। जल्द ही इन खाली पदों को भरने के लिए टूर ऑफ ड्यूटी स्कीम लागू कर बहाली करने के इस प्रस्ताव को मंजूर किया जा सकता है। रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) में इस पर अंदरखाने विचार-विमर्श का दौर जारी है। बताया जाता है कि इस योजना का प्रस्ताव साल 2020 में सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने दिया था। बीते कुछ महीनों में इस स्कीम की क्या रुपरेखा होगी इस पर गहन मंथन किया गया है।
टूर ऑफ ड्यूटी स्क्रीम के तहत 3 से 5 वर्षों में जवान हो जाएंगे सेवामुक्त
हालांकि इस अभूतपूर्व स्कीम के तहत बहाली की अंतिम रूपरेखा क्या होगी यह अभी तक सामने नहीं आयी है। खबरों के मुताबिक इस टूर ऑफ ड्यूटी स्कीम के तहत बहाल होने वाले अधिकांश जवानों को तीन या पांच साल के बाद सेवा से मुक्त कर दिया जाएगा पर उन्हें भविष्य के रोजगार के अवसरों के लिए सशस्त्र बलों की ओर से सहायता दी जाएगी। वहीं इस योजना के सेवा में लिए गए जवानों को पद खाली होने की स्थिति में सेवा में बनाए रखने पर भी विचार किया जा सकता है।
आपको बता दें कि पिछले दो सालों से भारतीय सेना में सैनिकों की भर्ती नहीं होने से देश के युवा वर्ग में इस बात को लेकर खासी नाराजगी रही है। बीते विधानसभा चुनावों के दौरान भी विपक्षी दलों की ओर से इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की गयी थी, पर वे इसके बावजूद कामयाब नहीं हो पाए। अब खबरें आ रही है कि जल्द ही प्रधानमंत्री या फिर रक्षा मंत्रालय की ओर से टूर ऑफ ड्यूटी के तहत सेना में भर्ती का ऐलान किया जा सकता है। हो सकता है कि इसकी घोषणा एक या दो दिनों के अंदर ही हो जाए।
टूर ऑफ ड्यूटी स्क्रीम के साथ सेना की गरीमा को बनाए रखा होगी चुनौती
भारतीय सेना में टूर ऑफ ड्यूटी के तहत बहाली होने की खबर मीडिया में आने के बाद से इस पर एक विमर्श भी शुरू हो गया है। कुछ लोगों का यह तर्क कि भारतीय सेना की वर्तमान गरीमा को बनाए रखते हुए क्या इस तरह की स्कीम को लागू किया जा सकता है। क्या थोड़े समय के लिए युवाओं को सेना से जोड़ने का कोई दूरगागी फायदा देश को मिलेगा, क्या इससे सेना को मजबूती मिलेगी? खैर इन सब सवालों का जावाब तो तब मिलेगा जब सरकार और रक्षा मंत्रालय की ओर से टूर ऑफ ड्यूटी के बारे में कोई आधिकारिक ऐलान कर दिया जाएगा।
आपको बता दें कि भारती सेना में सैनिकों की भर्ती रुका होने पर बीते दिनों रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने राज्यसभा में लिखित जवाब देते हुए बताया था कि कोरोना महामारी के कारण सभी बहाली रैली को स्थिगित कर दिया गया था। राज्यसभा में रक्षा राज्य मंत्री ने यह भी बताया था कि साल 2020-21 में 97 बहाली (रिक्रूटमेंट) रैली कराने की योजना थी पर अचानक कोरोना महामारी के आने और फिर लॉकडाउन लग जाने के कारण सिर्फ 47 रैलियां ही हो पायीं। इसमें भी केवल चार रैली के ही कॉमन एंट्रेस एग्जाम संपन्न हो पाए और इसके बाद की रिक्रूटमेंट एक्टिविटी पर रोक लग गई। स्थिति में सुधार होने पर चार और रिक्रूटमेंट रैलियों का आयोजन किया गया लेकिन इनका कॉमन एंट्रेस एग्जाम नहीं लिया जा सका था।
खर्च बचाकर सेना के आधुनिकीकरण का दिया जा रहा है तर्क
नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक दो वर्ष पहले जब टूर ऑफ ड्यूटी का प्रस्ताव पहली बार चर्चा में आया था तो इसके पक्ष में कहा गया था कि युवाओं को तीन साल के लिए आर्मी जॉइन कराना कम खर्चीला होगा। इससे जो पैसे बचेंगे उसका इस्तेमाल सेना के आधुनिकीकरण के लिए किया जा सकता है। आपको बता दें कि फिलहाल अगर कोई ऑफिसर 10 साल बाद आर्मी छोड़ने का फैसला करता है तो उनके वेतन, अलाउंस, ग्रेचुइटी और दूसरे खर्चे मिलाकर सेना उन पर 5.12 करोड़ रुपये खर्च करती है। इसी तरह 14 साल तक आर्मी में रहने पर एक ऑफिसर पर 6.83 करोड़ रुपये का खर्च आता है। ऐसे में अगर भारतीय सेना में टूर ऑफ ड्यूटी का प्रस्ताव अमल में लाया जाता है तो एक ऑफिसर पर तीन साल में 80 से 85 लाख तक का ही खर्च आएगा। इसी तरह वर्तमान में एक सिपाही 17 साल बाद रिटायर होता है, अगर किसी सिपाही को तीन साल के लिए ही सेवा में रखा जाए तो साढ़े 11 करोड़ रुपये की बचत की जा सकती है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक इस स्कीम की अच्छाई के बारे बोलते हुए सेना एक अधिकारी ने बताया कि तीन साल के लिए आर्मी में आने वाले युवाओं को रीसेटलमेंट कोर्स, प्रफेशल इनकेशमेंट ट्रेनिंग लीव, ईसीएचएस की जरूरत नहीं होगी। इससे खर्च बचेगा। साथ ही सेना में सेवा देने से देश को ट्रेंड, अनुशासित, कॉन्फिडेंट और कमिटेड युवा मिलेंगे। इस स्कीम से उन युवाओं को भी लाभ मिलेगा जो डिफेंस सर्विसेज को अपना स्थायी करियर नहीं बनना चाहते, लेकिन मिलिट्री प्रफेशन के थ्रिल को अनुभव करना चाहते हैं, यूनिफॉर्म पहनकर देश की सेवा करना चाहते हैं।
कुछ पूर्व सैन्य अधिकारियों ने टूर ऑफ ड्यूटी स्कीम पर उठाए सवाल
हालांकि भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हो चुके कई पूर्व अफसरों ने टूर ऑफ ड्यूटी के इस प्रस्तावित स्कीम पर सवाल भी खड़े किए हैं। मेजर जनरल यश मोर (रिटायर्ड) का कहना है कि यह बिल्कुल सही नहीं है और इससे आर्मी का स्ट्रक्चर बिगड़ेगा। इस तरह के क़दम जिन भी देशों में उठाए गए हैं, वहां ज्यादातर असफल रहे हैं। यह स्कीम छोटे देशों के लिए ठीक हैं जहां आर्मी के लिए वॉलंटियर्स न हों। पर भारत जैसे देश में जहां बड़ी संख्या में युवा सेना में शामिल होना चाहते हैं यह क़दम सही नहीं है। उनका कहना है कि युवक को एक्सपर्ट सैनिक बनने में कई साल लगते हैं। स्किल विकसित करने में वक़्त लगता है। शॉर्ट टर्म सैनिक आर्म्ड फोर्सेस में नहीं चल सकते। अगर ऐसा करना ही है, तो पहले पैरा मिलिट्री फोर्स में लागू करके देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा है कि टूर ऑफ ड्यूटी में वह कब ट्रेंड होंगे और कब एक्सपर्ट सैनिक बनेंगे। अगर यह लागू किया गया, तो इस पर बाद में अफसोस करना पड़ेगा।
लड़ाकू सैनिकों के मामले में स्कीम उपयोगी नहीं
मेजर जनरल अशोक कुमार (रिटायर्ड) ने कहा कि कुछ एरिया में यह अच्छा मॉडल हो सकता है, जैसे सिग्नल्स। आर्मी की जैग ब्रांच है, उसमें अगर कोई एडवोकेट आकर टूर ऑफ ड्यूटी के ज़रिए आर्मी का हिस्सा बनता है तो यह सही है। जिन एरिया में युवाओं को आर्मी में काम करने के लिए स्पेसिफिक ट्रेनिंग नहीं चाहिए, उनकी स्पेसिफिक स्किल हैं और बस ओरिएंटेशन देकर ही उन्हें इस्तेमाल किया जा सकता है, वहां यह सही क़दम होगा। लेकिन अगर लड़ाकू भूमिका में बात करें, तो उसमें यह सही नहीं।
अमेरिका, रूस और इजराइल जैसे देशों में होती है शार्ट टर्म बहाली
आपको बता दें कि टूर ऑफ ड्यूटी जैसी स्कीम के तहत अमेरिका, रूस, इजरायल और कुछ पश्चिमी देशों में बहाली की जाती है। वहां थोड़े समय के लिए सेना में सेवा देने के बाद दूसरे क्षेत्र में करियर तलाशने का विकल्प सैनिकों को दिया जाता है। भारत में टूर ऑफ ड्यूटी स्कीम के तहत सैनिकों की भर्ती अब तक का पहला प्रयोग होगा। अब इस स्कीम को किस रुपरेखा के तहत लागू किया जाएगा, कैसे जवानों की बहाली होगी, सेवामुक्त होने के बाद उन्हें क्या अवसर मिलेंगे? इन सारे सवालों के जवाब के लिए हमें टूर ऑफ ड्यूटी के बारे में सरकार और भारतीय रक्षा मंत्रालय और भारतीय सेना की ओर से आधिकारिक घोषणा का इंतजार करना पड़ेगा।