Indian Economy News : ध्रुवीकरण की राजनीति से देश के विकास को पहुंच रहा नुकसान? भारत सरकार के पूर्व सलाहकार ने बताया बेरोजगारी का यह कारण
Indian Economy News : कौशिक बसु ने कहा है कि भारत की सबसे बड़ी चुनौती फिलहाल देश में रोजगार की कमी है। भारत 24 प्रतिशत से अधिक युवा बेरोजगार हैं, जिसके कारण यह दुनिया में सबसे अधिक बेरोजगारी वाले देशों में शामिल है...
Indian Economy News : विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल तत्व भले ही मजबूत हों, पर समाज के विभिन्न वर्गों के बीच विभाजन और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण में इजाफा देश के विकास की नींव को कमजोर कर रहा है। आपको बता दें कि कौशिक बसु साल 2009 से 2012 के बीच भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार थे।
कौशिक बसु ने कहा है कि भारत की सबसे बड़ी चुनौती फिलहाल देश में रोजगार की कमी है। भारत 24 प्रतिशत से अधिक युवा बेरोजगार हैं, जिसके कारण यह दुनिया में सबसे अधिक बेरोजगारी वाले देशों में शामिल है। बसु ने पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में कहा किसी देश का विकास केवल आर्थिक नीति पर निर्भर नहीं करता है। किसी राष्ट्र की आर्थिक सफलता का एक बड़ा निर्धारक लोगों के बीच भरोसा होना है।
प्रख्यात अर्थशास्त्री ने कहा है कि भारतीय समाज में विभाजन और ध्रुवीकरण में तेजी न केवल अपने आप में दुखद है, बल्कि यह देश के विकास की नींव को नुकसान पहुंचा रही है। अगर इस पर लगाम नहीं लगायी गयी तो भविष्य में हालात बिगड़ सकते हैं।
हालांकि बसु ने यह भी कहा है कि भारत में मजबूत बुनियादी ढांचा है। एक बड़ा उद्यमी वर्ग और अत्यधिक कुशल श्रमिक हैं। पर जीडीपी पिछले कुछ वर्षों में गिर रही है जो चिंताजनक हैं।
कॉर्नेल विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर कौशिक बसु ने कहा कि हालांकि मुद्रास्फीति की वजह भारत से अलग है, मुझे चिंता इस बात की है कि हम गरीबों और मध्यम वर्ग की रक्षा के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहे हैं। बताया कि हालांकि खुदरा मुद्रास्फीति इस साल अप्रैल में आठ साल के उच्च स्तर 7.8 प्रतिशत पर पहुंच गई, लेकिन थोक मूल्य मुद्रास्फीति 15.08 प्रतिशत थी।
वे बोले, "हमने पिछले 24 वर्षों में इतनी अधिक थोक मुद्रास्फीति नहीं देखी है।" कहा कि अब जो हो रहा है वह 1990 के दशक के उत्तरार्ध की दिलाता है, जब पूर्वी एशियाई संकट भारत में फैल गया था।
यह संकेत करते हुए कि डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति अब 13 महीनों के लिए दोहरे अंकों में है, बसु ने कहा कि इससे स्थिति और खराब हो गई, क्योंकि इसका मतलब है कि मौजूदा उच्च मुद्रास्फीति एक साल पहले तेज मुद्रास्फीति के शीर्ष पर थी।
ऐसे में भारत को यह नहीं भूलना चाहिए कि उसने पूर्वी एशियाई संकट के दौरान क्या सीखा, बसु ने कहा कि डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति का पीछा करते हुए सीपीआई मुद्रास्फीति के और बढ़ने की आशंका है। कहा, "मेरी गणना यह है कि भारत की सीपीआई मुद्रास्फीति 9 प्रतिशत को पार कर जाएगी। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए कि यह दोहरे अंकों में न टूटे।
बसु ने कहा भारत को जिस चीज से सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है, वह है बेरोजगारी और आरबीआई का विकास को धीमा नहीं करने के लिए सतर्क रहना सही कदम है।