Indian Judiciary : भारतीय न्यायपालिका आज भी अनिवार्य रूप से सामंती, नजरिया बदलने की है जरूरत : जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
Indian Judiciary : सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिज डीवाई चंद्रचूड़ रविवार को गुजरात के अहमदाबाद (Ahmedabad) के पास केवडिया (Kevadia) में एक कार्यक्रम में वर्चुअली बोल रहे थे...
Indian Judiciary : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) ने देश की न्यायपालिका (Indian Judiciary) के प्रचलित रूप से सामंती (Feudal) होने पर चिंता जतायी है। उन्होंने कहा है कि देश में न्यायपालिका में सामंतवाद अब भी जारी है और इसे तभी बदला जा सकता है जब अपना दृष्टिकोण आधुनिक और भविष्यवादी बनाएं।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिज डीवाई चंद्रचूड़ रविवार को गुजरात के अहमदाबाद (Ahmedabad) के पास केवडिया (Kevadia) में एक कार्यक्रम में वर्चुअली बोल रहे थे। उन्होंने देश में न्याय व्यवस्था की सामंतवादी व्यवस्था से अलग हटकर इसे तकनीक के उपयोग से आधुनिक बनाने पर भी बल दिया।
उन्होंने कहा है कि न्यायपालिका में सामंतवादी अधीनता का एक बड़ा उदाहरण तब देखने को मिलता है जब किसी बड़े कोर्ट के जज किसी जिले में पहुंचते हैं उस दौरान देखा जाता है कि जिला कोर्ट के जजों को अपने वरीष्ठ जज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। जिला न्यायपालिका के जजों को हाईकोर्ट या अन्य वरीष्ठ जजों से बैठकर बात करने की इजाजत तक नहीं है। यह सारी बातें सामंतवाद और पराधीनता की सूचक है।
तकनीक के इस्तेमाल से बदलेगी न्यायपालिका
ये सारी बातें जस्टिज डीवाई चंद्रचूड़ ने स्टेच्यू आॅफ यूनिटी के पास केवडिया टेंट सिटी में नेशनल ज्यूडिशल कांफ्रेंस आॅन मेडिएशन एंड इंर्फोमेशन टेक्नोलॉजी (National Judicial Conference on mediation and information technology) कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करने के दौरान कही है। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिला अदालतों का निरीक्षण करना एक गंभीर तनाव का मुद्दा है। इसमें सुधार लाया जा सकता है अगर हाईकोर्ट के निरीक्षण के लिए इसमें इलेक्ट्रॉनिक रजिस्टरों का इस्तेमाल शुरू हो जाए।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि न्यायिक अधिकारियों और जजों के कार्यों के मुल्यांकन और प्रमोशन में भी तकनीक का प्रयोग महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। तकनीके सही इस्तेमाल से भारतीय न्यायपालिका की पूरी तस्वीर बदली जाती है। इसे आधुनिक बनाया जा सकता है।
आर्टिफिशन इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से जटिल मामलों को समझना होगा आसान
जस्टिम चंद्रचूड़ ने यह भी कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) का इस्तेमाल कर हम जटिल कानूनी केसों को समझने की प्रक्रिया सरल कर सकते हैं। संपत्ति और क्रिमिनल केसों में यह काफी उपयोगी साबित हो सकता है। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान यह भी कहा कि भारतीय न्यायपालिका की तस्वीर बदलने के लिए यह भी जरूरी है कि जज स्वतंत्र रूप से बिना किसी दबाव में अपने दिमाग का इस्तेमाल कर फैसले लें।