भारत की TV पत्रकारिता शर्मसार, AFP ने लिखा- 'सनसनीखेज' अंदाज में करते हैं कवरेज, कोरोना-चीन-मंदी छोड़ सुशांत-रिया में उलझे

भारतीय टीवी चैनलों के न्यूज कवरेज पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। अब दुनिया भर में अपनी खबरों के लए प्रतिष्ठित न्यूज एजेंसी एएफपी ने अपनी रिपोर्ट में उस पर सवाल उठाया है...

Update: 2020-09-11 08:37 GMT

नई दिल्ली। भारत की टेलीविजन पत्रकारिता पर लगातार सवाल उठाये जाते रहे हैं। विभिन्न मंचों से यह कहा जाता रहा है कि वास्तविक मुद्दों से भटक कर भारतीय न्यूज चैनल कम जरूरी, गैर जरूरी और सनसनी टाइप खबरों पर काम करते हैं। अब प्रतिष्ठित न्यूज एजेंसी एएफपी ने भी अपनी रिपोर्ट में यह बात लिखी है।

एएफपी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में जब 40 लाख से अधिक कोरोना केस हैं और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के खतरे हैं तो वहां के टीवी चैनल सबकुछ भूल कर फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत और उसमें अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती की भूमिका पर कवरेज दे रहे हैं और लंबे अरसे से उसे ही प्रमुख खबर बना रखा है।


एएफपी ने लिखा है कि कोरोना संक्रमण के कारण लाॅकडाउन से अर्थव्यवस्था में गिरावट के बावजूद भारतीयों से सुशांत की खबरों के कवरेज के साथ महीने गुजारे हैं। रिपोर्टर से लेकर प्राइम टाइम एंकर तक दिवंगत अभिनेता का मुस्कुराता हुआ फोटो इस उद्देश्य से प्रयोग कर रहे हैं कि वे डिप्रेशन से पीड़ित नहीं थे।

एएफपी ने लिखा है कि इस मामले में अभिनेता की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती को दोषी बताया गया है और नशीले पदार्थ खरीदने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया है। रिपोर्ट में लिखा गया है कि इस खबर को कवर करने में भारत के कई टीवी चैनल व उसके हाइप्रोफाइल एंकर शामिल हैं। इसमें रिपब्लिक टीवी के अर्णब गोस्वामी के नाम का उल्लेख भी किया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक नाजुक मुद्दे का सनसनीखेज कवरेज गलत है। रिपोर्ट में लिखा गया है कि भारत के टीवी न्यूज चैनलों का टैबलाइड अंदाज में खबरों को कवर करने का एक लंबा इतिहास है। वे अपराध व मशहूर हस्तियों से जुड़े मामलों में खासकर ऐसा करते हैं। रिपोर्ट में मीडिया ट्रायल शब्द का भी जिक्र है।

इसमें यह भी जिक्र किया गया है कि मशहूर अभिनेत्री श्रीदेवी की जब 2018 में दुबई में एक बाथ टब में डूबने से मौत हो गई थी तो टीवी चैनल पर इसे दिखाने के लिए एक रिपोर्टर में बाथ टब में डूब कर यह बताना चाहा था कि वे कैसे मर सकती हैं।

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