चीन से पाॅवर प्लांट के आयात पर रोक के बहाने उद्योगपति अनिल अग्रवाल ने भेल के निजीकरण की कर दी पैरवी

चीन से उत्पन्न संकट के बीच उद्योगपति अनिल अग्रवाल ने वहां से मंगाये जाने वाले पाॅवर प्लांट को रोकने के लिए भेल के निजीकरण की पैरवी की है

Update: 2020-06-21 09:35 GMT

जनज्वार। देश इस समय चीन द्वारा गलवान घाटी में धोखे से हमारे वीर 20 सैनिकों पर किए गए हमले के गम में है। चीन के क्रूर हमले में हमारे 20 जांबाज शहीद हो गए और कई अन्य घायल हुए। चीन की इस क्रूरता के खिलाफ देश भर में गुस्सा है जिसे लोग चीनी वस्तुओं का विरोध कर प्रकट कर रहे हैं। जन भावना के इस प्रकटीकरण के बीच कुछ लोग इसमें अपने लिए कारोबार की संभावनाएं भी तलाश रहे हैं।

खनन क्षेत्र में विशेष तौर पर सक्रिय उद्योगपति अनिल अग्रवाल ने भी इस जन भावना के उबाल के बीच एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा है कि भारत में अधिकतर पाॅवर प्लांट चीन से आयात किए जाते हैं। भारत हेवी इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (BHEL) जिसे भेल के नाम से आम लोग जानते हैं कि उसके बारे में अनिल अग्रवाल ने अपने ट्वीट में लिखा है कि यह दुनिया के सबसे उम्दा पाॅवर प्लांट बनाने में बहुत सक्षम है। उन्होंने लिखा है कि पूर्ण स्वायत्ता दी जाती है या फिर काॅरपोरेटाइज या निजीकरण किया जाता है तो किसी भी कर्मचारी को हटाए बिना यह आत्मनिर्भर भारत के लिए एक चमत्कार हो सकता है।




आत्म निर्भर भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोरोना संकट के बीच एक नया नारा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले छह साल के शासन में कई नए नारे गढे हैं, जिसमें अब एक आत्म निर्भर भारत का भी नारा जुड़ा है। आत्म निर्भर भारत के इस नारे के बहाने उद्योगपति अनिल अग्रवाल अप्रत्यक्ष रूप से भेल जैसी प्रतिष्ठित पीएसयू के निजीकरण की 'शाॅर्प पैरोकारी' कर रहे हैं।

अनिल अग्रवाल के इस पर खूब प्रतिक्रिया भी आई और लोगों ने उन्हें रिप्लाई किया। किसी ने लिखा कि अब भेल पर गिद्ध दृष्टि है तो किसी ने लिखा कि संकट के समय भी मुनाफे के बारे में ये सोच रहे हैं। आर्थिक क्षेत्र के कुछ एक्सपर्ट ने उनकी बातों को खारिज भी किया तो बहुतों ने समर्थन भी किया। आप नीचे उनके ट्वीट पर आए कुछ रिप्लाई को देख सकते हैं  : 





 

भेल का निजीकरण क्यों नहीं होना चाहिए

भेल भारत सरकार का एक उपक्रम है यानी यह हर भारतीय की कंपनी है। 1964 में इसकी स्थापना भारत में बिजली उपष्करों के निर्माण के लिए की गयी थी। इस कंपनी के उत्पाद ने देश के बिजली उत्पादन व कनेक्टिविटी में बड़ा योगदान दिया है। यह भी बार-बार दिखा है कि जब भी सरकार बड़े आर्थिक संकट में पड़ी है, सरकारी कंपनियों ने नही देश को उस समय संबल दिया है। अपवादों को छोड़ दिया जाए तो निजी कंपनियों के संकट के समय पीछे हटने का पुराना इतिहास है। भेल में इस समय 39 हजार से अधिक कर्मचारी हैं। 



 


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