Mohammad Zubair को विदेशी चंदे मामले में शिकंजे में ले रहीं जांच एजेंसियां, वकील ने कहा, एक पैसा नहीं आया जुबैर के निजी अकाउंट में

Mohammad Zubair bial Controversy : मोहम्मद जुबैर के खाते में सीधे कोई पैसा नहीं आया। क्या किसी विदेशी कंपनी का एक भी आर्थिक लेन-देन हुआ है। इसका जवाब अभियोजन पक्ष के पास है।

Update: 2022-07-03 11:19 GMT

ऑल्टन्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को अभी तक नहीं मिले लैपटॉप और गैजेट्स, वजह पूछने पर पुलिस से कोर्ट को मिले ये जवाब

Mohammad Zubair bial Controversy : ऑल्टन्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ( Altnews co-founder Mohammad Zubair ) की जमानत याचिका ( Bail Plea ) पर शनिवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ( Delhi Police ) ने अदालत को बताया कि एफआईआर ( FIR ) में आरोपी के खिलाफ तीन गंभीर धाराएं जोड़ी गई हैं। पुलिस ने आरोप लगाया कि जुबैर ने पाकिस्तान, सीरिया, यूएई, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और रियाद से एफसीआरए ( FCRA ) के उल्लंघन में रेजरपे ( Razorpay ) के जरिए धन हासिल किया।

अभियोजन पक्ष ने अदालत के सामने दावा किया कि प्रावदा मीडिया ( Pravda Media ) के खाते में रेजरपे कॉस्ट गेटवे से प्राप्त जवाब के मूल्यांकन से पता चला है कि विदेशों से मोबाइल नंबरों और आईपी पते का उपयोग करके कई लेनदेन किए गए हैं। इतना ही नहीं, विशेष लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि जांच चल रही है। दिल्ली पुलिस ( Dehi Police ) फिर से उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ कर सकती है।

वहीं, मोहम्मद जुबैर ( Mohammad Zubair ) की ओर से पेश अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने दावा किया कि चंदा ऑल्ट इंफॉर्मेशन की पैरेंट या मदर फर्म प्रावदा मीडिया द्वारा प्राप्त किया गया था। आरोपी यानि मोहम्मद जुबैर इस तरह की राशि कभी नहीं मिली। प्रावदा एक पीस 8 फर्म ( piece 8 firm ) है। आरोपी के खाते में सीधे कोई पैसा नहीं आया। देखें कि क्या किसी विदेशी कंपनी का एक भी आर्थिक लेन-देन हुआ है। क्या किसी ने मुझसे इसके बारे में कोई जानकारी मांगी।

अदालत को गुमराह करने की छूट पुलिस को नहीं दी जा सकती। सभी लेन-देन साबित होते हैं। ये मौद्रिक लेनदेन हैं। फंड लेने वाला संगठन एफसीआरए का उल्लंघन नहीं करेगा।

अभी तक पुलिस ने प्रावदा को कोई नोटिस जारी नहीं किया है। पुलिस ने दावा किया कि पत्रकार जुबैर ( Mohammad Zubair )  ने पैसा लिया। इसके बाद पैरेंट कंपनी प्रावदा ने भी ऐसा ही कहा। दोनों के इस दावे से यह मसला और उलझ गया है। जुबैर के वकील ने कहा कि यही वजह है कि हम राष्ट्र पर एक रियलिटी चेकर चाहते हैं।

ग्रोवर के इस दलील पर लोक अभियोजक ने जुबैर को कंपनी का निदेशक बताते हुए खारिज कर दिया। पुलिस ने यह भी दावा किया था कि जुबैर ( Mohammad Zubair ) ने 2018 में जिस मोबाइल फोन से दोबारा ट्वीट किया था वह अभी तक उसे मुहैया नहीं कराया गया है। इसके जवाब में जुबैर के वकील ने कहा कि कुछ बाइक सवारों ने फोन छीन लिया था। इस संबंध में पुलिस में की गई शिकायत को दर्ज कर लिया गया है। इस पर अदालत ने पूछा कि अभी तक मोबाइल फोन खो जाने के बारे न तो पहले सूचना दी गई न ही कोई दस्तावेज पेश किए गए हैं।

इससे पहले मोहम्मद जुबैर ( Mohammad Zubair ) को उसकी पुलिस हिरासत खत्म होने पर शनिवार सुबह करीब साढ़े दस बजे अदालत में पेश किया गया। पुलिस ने रिमांड बढ़ाने की मांग नहीं की। इसके बदले जुबैर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने के लिए आवेदन दिया। ताकि जरूरत पड़ने पर पुलिस उससे पूछताछ कर सके। साथ ही अभियोजन पक्ष के वकील ने जमानत के लिए एक सॉफ्टवेयर पेश किया। दोपहर 1 बजे तक दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया।

लोक अभियोजक ने कहा कि आईपीसी की धारा 201 को सीडीआर के मूल्यांकन के रूप में लागू किया गया है, जिससे पता चला है कि जुबैर 25 जून से पहले एक रेडमी बी 8 सेल फोन ( Redmi Be aware 8 cell phone )a का उपयोग कर रहा था। जुबैर को 24 जून को एक अन्य मामले में पेश होने का नोटिस दिया गया था। वकील ने ये भी कहा कि जुबैर ने जान बूझकर अपने सेल फोन बदला, ताकि पहले वाले से डेटा हटाना संभव हो सके। इस पर जुबैर के वकील ग्रोवर ने कहा कि जुबैर अपने सेलफोन से जो चाहे कर सकता है। यह उसकी निजी संपत्ति है। ग्रोवर ने पूछा कि क्या कई फोन रखना कानून के खिलाफ है क्या?

जुबैर ( Mohammad Zubair ) के लैपटॉप को पुलिस द्वारा जब्त किए जाने का विरोध करते हुए ग्रोवर ने कहा कि समाचार की सत्यता और पवित्रता को बनाए रखा जाना चाहिए, लेकिन इस बात की आशंका है कि इसमें हेराफेरी की जा सकती है। साथ ही उसका गलत इस्तेमाल भी हो सकता है। ग्रोवर ने कहा कि हम एक पुलिस राज्य में नहीं रह रहे हैं। अगर वे दिखाएंगे कि आरोपी ने अपराध किया है, तो मैं उन्हें अपना लैपटॉप कंप्यूटर दूंगा। ऐसा नहीं हो सकता है कि पहले आप मुझे अपना लैपटॉप दे दें और फिर सबूत पेश करें।

जुबैर के वकील ने कहा कि उनके ट्विट से से किसी की भी धार्मिक भावना को ठेस नहीं पहुंची है। ट्विटर हैंडल हनुमान भक्त इस ट्वीट को किस लक्ष्य के लिए निकालता है? उनका कहना है कि उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हैं, लेकिन यह 'इंडियन हार्म सेंटिमेंट कोड' नहीं है। वह भारतीय दंड संहिता है। उसने कहा कि जिसमें कानूनी साजिश का हिस्सा भी शामिल नहीं था। आखिर जुबैर खुद के खिलाफ साजिश क्यों करेगा? खास बात यह है कि पुलिस ने इस मामले में अभी तक किसी अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया है।

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