क्या तीस्ता सीतलवाड़ को जेल में रखने के लिए मोदी सरकार फिजूल के तर्कों का ले रही है सहारा?
सीजेआई यूयू ललित ( CJI UU lalit ) ने एक दिन पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा था तीस्ता ( Teesta Setalvad ) के खिलाफ न तो यूएपीए और न ही पोटा का केस दर्ज है, फिर भी दो महीने से आपने उन्हें कस्टडी में क्यों रखा है।
नई दिल्ली। जब से केंद्र में भगवा ब्रिगेड की सरकार आई है तभी से तरह-तरह के आरोपों में उन लोगों को फंसाने का सिलसिला जारी है, जो जन अधिकारों को लेकर जन विरोधी सरकार के खिलाफ संघर्षरत हैं। चाहे बात अर्बन नक्सल के नाम पर लोगों को जेल में डालने की हो या राष्ट्रवाद की आड़ में सीएए-एनआरसी विरोधियों को जेल में डालने की हो। मोदी सरकार की ऐसे लोगों के खिलाफ अलोकतांत्रिक मुहिम आज भी जारी है।
आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि देश में हर रोज राजद्रोह, शासकीय गोपनीयता अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम समेत राष्ट्र के खिलाफ तमाम अपराधों के आरोप में 14 मामले दर्ज हो रहे हैं। साल 2021 में 5164 लोगों को देशभर में जेल में डाला गया है। चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ( Teesta Setalvad ) का नाम भी ऐसे ही लोगों में शिमल है। उन्हें केंद्र सरकार ( Modi government ) के इशारे पर गुजरात सरकार की एटीएस ने सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) की ओर से जकिया जाफरी मामले में सख्त टिप्पणी करने के आधार पर जेल में डाल दिया। तीस्ता सीतलवाड़ ( Teesta Setalvad ) पिछले दो महिने जेल में हैं।
केंद्र सरकार द्वारा उत्पीड़न का मामला यहीं तक सीमित नहीं है। कल तो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी तीस्ता सीतलवाड़ ( Teesta Setalvad ) को लेकर सरकारी पक्ष के वकील तुषार मेहता ने अजीबोगरीब तर्क पेश कर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) को जमानत न देने के लिए बाध्य कर दिया। सुप्रीम कोर्ट कल ही तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत देने के फैसले तक पहुंच गई थी, लेकिन सरकारी वकील के दबाव में इस मसले पर आज फिर सुनवाई होने जा रही है। उम्मीद है कि आज तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत मिल जाए।
एक दिन पहले तीस्ता को दो माह से जेल में डाले रखने पर सीजेआई यूयू ललित ( CJI UU lalit )ने भी सवाल उठाए। सीजेआई ने सरकारी वकील से पूछा कि ऐसे उदाहरण दें जहां ऐसे मामलों में आरोपी महिला को उच्च न्यायालय से ऐसी तारीखें मिली हों। सुप्रीम कोर्ट ने हैरत जताई कि गुजरात हाईकोर्ट ने कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ( Teesta Setalvad ) की जमानत याचिका को 19 सितंबर को सुनवाई के लिए क्यों सूचीबद किया है। हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को नोटिस दिए जाने के छह सप्ताह बाद शीर्ष अदालत ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सरकार से तीस्ता की याचिका पर जवाब मांगा है। प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने सीतलवाड़ की याचिका पर सीतलवाड़ को आज जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी कर सकती है। बता दें कि 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित तौर पर सबूत गढ़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
सीजेआई यूयू ललित ने तीस्ता ( Teesta Setalvad ) के मामले में नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि ऐसे उदाहरण दें जहां ऐसे मामलों में आरोपी महिला को उच्च न्यायालय से ऐसी तारीखें मिली हों। या तो इस महिला को अपवाद बनाया गया है। अदालत यह तारीख कैसे दे सकती है। क्या गुजरात में यह मानक प्रथा है।
सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा. तीस्ता के खिलाफ न तो यूएपीए और न ही पोटा का केस दर्ज है, फिर भी दो महीने से आपने उन्हें कस्टडी में रखा है। इसके जवाब में तीस्ता की जमानत का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामला हाईकोर्ट में है, इसलिए आप वहीं सुनवाई होने दें। तीस्ता की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल तो गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल मेहता पेश हुए।
दरअसल, गुजरात उच्च न्यायालय ने तीन अगस्त को सीतलवाड़ ( Teesta Setalvad ) की जमानत याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था और मामले की सुनवाई 19 सितंबर को तय की थी। अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने 30 जुलाई को सीतलवाड़ और पूर्व महानिदेशक पुलिस आरबी श्रीकुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने कहा था कि अगर इन्हें रिहा किया जाता है तो यह गलत काम करने वालों को संदेश जाएगा कि कोई भी बिना सजा के आरोप लगा सकता है और इससे बच सकता है।
2021 में राजद्रोह, यूएपीए व अन्य मामलों में दर्ज हुए 5164 केस
बता दें कि पिछले साल राजद्रोह, शासकीय गोपनीयता अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम समेत राष्ट्र के खिलाफ तमाम अपराधों के आरोप में 5,164 मामले दर्ज किए गए यानि हर दिन औसतन 14 मामले। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो एनसीआरबी के मुताबिक 2020 और 2019 की तुलना में 2021 में मामलों में कमी देखी गई। 2020 में 5613 और 2019 में 7656 मामले दर्ज किए गए थे। राजद्रोह के आरोपों सहित सरकार के खिलाफ अपराध के तहत मामले दर्ज करने वाले राज्यों की सूची में असम सबसे टॉप पर है। राज्य में 2021 में ऐसे कुल 35 मामले दर्ज किए गए।